MUDA Scam : कर्नाटक जमीन घोटाला, क्या करेंगे लोकायुक्त?, गिरफ्तारी का है अधिकार

MUDA Scam : अदालत ने कर्नाटक लोकायुक्त को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और अन्य शामिल हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-09-27 20:03 IST

 MUDA Scam : कर्नाटक के जमीन घोटाले की जांच अब लोकायुक्त पुलिस के पास है। अदालत ने कर्नाटक लोकायुक्त को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और अन्य शामिल हैं। अदालती आदेश के बाद लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, पत्नी के भाई और अन्य के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है। विशेष अदालत ने मैसूर लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच करने और 90 दिनों के भीतर अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। अब आगे क्या होगा, जानते हैं इसके बारे में।

क्या हैं लोकायुक्त के अधिकार

कर्नाटक लोकपाल अधिनियम के अंतर्गत लोकपाल इन लोक सेवकों की जांच कर सकता है : मुख्यमंत्री, राज्य विधानमंडल के सभी अन्य मंत्री और सदस्य, राज्य सरकार के सभी अधिकारी, स्थानीय प्राधिकरणों, राज्य विधानमंडल के किसी कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित वैधानिक निकायों या निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, स्थानीय प्राधिकरणों, राज्य सरकार के स्वामित्व वाले या उसके नियंत्रण वाले निगमों, ऐसी कंपनी जिसमें राज्य सरकार के पास 50 फीसदी से कम शेयर नहीं हैं, राज्य पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत समितियां, विधानमंडल के किसी कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित सहकारी समितियां और विश्वविद्यालय की सेवा में लगे व्यक्ति।

जांच के बाद

किसी शिकायत की जांच के बाद लोकायुक्त को लगता है कि लोक सेवक के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य है तो संबंधित लोक सेवक, यदि वह मुख्यमंत्री या कोई अन्य मंत्री या राज्य विधानमंडल का सदस्य है, तो उसे अपना पद त्याग देना चाहिए। यदि वह कोई अन्य गैर-सरकारी है, तो उसे अपना पद त्यागना चाहिए और यदि वह कोई अधिकारी है, तो उसे घोषणा की स्वीकृति की तिथि से निलंबित माना जाएगा।

मुकदमे का अधिकार

अगर जांच के बाद लोकायुक्त को यह विश्वास हो जाता है कि लोक सेवक ने कोई आपराधिक अपराध किया है, तो वह किसी अन्य प्राधिकारी को संदर्भित किए बिना अभियोजन आरंभ कर सकता है। ऐसे अभियोजन के लिए किसी कानून के तहत अपेक्षित कोई भी पूर्व स्वीकृति प्रदान की गई मानी जाएगी।

गिरफ्तारी का अधिकार

लोकायुक्त पुलिस को एफआईआर, जांच, छापेमारी और गिरफ्तारी करने का अधिकार है। कर्नाटक में लोकायुक्त पुलिस काफी एक्टिव रही है और गिरफ्तारियां हुईं हैं।

अब देखना है कि मैसूर जमीन मामले में लोकायुक्त पुलिस किसकी गिरफ्तारी करती है।सिद्धारमैया की गिरफ्तारी हो सकती है या नहीं, फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर आदेश देते हुए कहा था कि जांच होनी चाहिए। वर्तमान में जांच शुरुआती दौर में है। अब एफआईआर के आधार पर सिद्धारमैया को पूछताछ के लिए भी बुलाया जा सकता है।

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