पाकिस्तान-भारतियों से 1400 लेगा! जजिया' के नाम पर पैसे वसूलने का प्लान
करतारपुर कॉरिडोर के लिए अब तीर्थयात्रियों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरु हो गया है। श्रद्धालु केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किए गए वेबसाइट के जरिए अपना ऑनलाइल फॉर्म भर सकते हैं। बता दें कि पीएम मोदी 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर के भारतीय हिस्से का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तान भी इसी दिन 9 नवंबर को करतारपुर के अपने हिस्से का उद्घाटन कर देगा।
नई दिल्ली: करतारपुर कॉरिडोर के लिए अब तीर्थयात्रियों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरु हो गया है। श्रद्धालु केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किए गए वेबसाइट के जरिए अपना ऑनलाइल फॉर्म भर सकते हैं। बता दें कि पीएम मोदी 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर के भारतीय हिस्से का उद्घाटन करेंगे।
इसके साथ ही पाकिस्तान भी इसी दिन 9 नवंबर को करतारपुर के अपने हिस्से का उद्घाटन कर देगा। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयन्ती के लिए पहला जत्था 5 नवंबर को और दूसरा जत्था 6 नवंबर को यात्रा के लिए जाएगा।
यह भी पढ़ें. झुमका गिरा रे…. सुलझेगी कड़ी या बन जायेगी पहेली?
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच गुरुवार को करतारपुर कॉरिडोर को लेकर समझौता हुआ है। दोनों देशों की ओर से इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के बाद भारतीय श्रद्धालु करतारपुर स्थित दरबार साहिब के दर्शन के लिए जा सकेंगे। लेकिन हर श्रद्धालु को इसके लिए 20 डॉलर (करीब 1400 रुपये) शुल्क देना होगा। साथ ही पाकिस्तानी वीजा की भी जरूरत नहीं होगी।
भारत का निवेदन, पाकिस्तान को मंजूर नहीं...
यह भी पढ़ें. 10 करोड़ की होगी मौत! भारत-पाकिस्तान में अगर हुआ ऐसा, बहुत घातक होंगे अंजाम
गौरतलब है कि करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत ने कई बार पाकिस्तान के समक्ष कहा है कि वह शुल्क कम करे, लेकिन पाकिस्तान नहीं माना।
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि पाकिस्तान हर भारतीय श्रद्धालु से 1400 रुपये क्यों ले रहा है? उसने शुल्क कम क्यों नहीं किया? इस शुल्क को 'जजिया' क्यों कहा जा रहा है?, जजिया का रूप क्यों कहा जा रहा है। क्या होता है जजिया? तो आईये इन सभी प्रश्नों से आपको रूबरू कराते हैं।
जजिया के नाम पर पाकिस्तान क्यों ले रहा पैसे...
डीजी मोहम्मद फैजल ने कहा...
पाकिस्तान की तरफ से समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले विदेश कार्यालय के प्रवक्ता और डीजी (दक्षिण एशिया व सार्क) मोहम्मद फैजल ने कहा कि जितना खर्च किया जा रहा है उसकी तुलना में यह शुल्क काफी कम है। यहां आकर देखें, यह एक अद्भुत चीज है।
यह भी पढ़ें. एटम बम मतलब “परमाणु बम”, तो ऐसे दुनिया हो जायेगी खाक!
इसके साथ ही आपको बता दें कि पाकिस्तान की तरफ से करतारपुर कॉरिडोर के ढांचागत विकास के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। खास बात यह है कि यहां गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं को लंगर भी खिलाए जाएंगे। साथ ही ई-रिक्शा फेरी सेवा भी दी जाएगी। श्रद्धालुओं से जो पैसे लिए जा रहे हैं, वह बतौर सेवा शुल्क लिए जा रहे हैं।
जजिया के रूप में शुल्क...
बता दें कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय श्रद्धालुओं पर 'जजिया' लगाया गया है। इस कारण भारत में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे 'जजिया' बताया है।
जानकारों के मुताबिक...
जानकारों के मुताबिक एक स्वतंत्र देश होने के नाते पाकिस्तान के पास अधिकार है कि वह श्रद्धालुओं पर शुल्क लगा सकता है, लेकिन करतारपुर मामले में 20 डॉलर शुल्क को समझौता का हिस्सा बनाया गया है। इसका मतलब ये है कि भविष्य में अगर पाकिस्तान यह शुल्क बढ़ाना भी चाहेगा तो उसे भारत की सहमति लेनी होगी।
यह भी पढ़ें. 250 ग्राम का परमाणु बम! पाकिस्तान का ये दावा, सच्चा या झूठा
'जजिया' एक अलग तरह का शुल्क...
विशेषज्ञों की मानें तो इस्लामी कानून के तहत जजिया एक तरह का प्रतिव्यक्ति कर है। इसे एक इस्लामिक देश द्वारा गैर मुस्लिम लोगों पर लगाया जाता है। भारत में भी मुगल शासकों ने ही जजिया लगाना शुरू किया था।
इतिहासकारों ने कहा...
हालांकि 'जजिया' पर इतिहासकार बताते हैं कि भारत में मुगल शासन के दौरान इसे अलग-अलग समय व स्थान से हटाया भी गया। जैसे- 1564 में अकबर ने राजस्थान से जजिया हटाया था।
कितना आएगा खर्च...
यह भी पढ़ें. मोदी का मिशन Apple! अब दुनिया चखेगी कश्मीरी सेब का स्वाद
ज्ञात हो कि करतारपुर कॉरिडोर 10 नवंबर से भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। यह सप्ताह में हर दिन सुबह से शाम तक खुला रहेगा।
संभावना जताई जा रही है कि भारत से करीब पांच हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पाकिस्तान जाएंगे और उसी दिन वापस लौट आएंगे। 1400 रुपये के अनुसार अगर पांच हजार लोगों का खर्च देखा जाए, तो यह प्रतिदन करीब 70 लाख रुपये आएगा। यानी सालाना करीब 265 करोड़ या ज्यादा।
सिर्फ करतारपुर को हो सकेगा दर्शन...
वहीं, पाकिस्तान ने ये भी कहा है कि इस समझौते के तहत भारतीय श्रद्धालु सिर्फ करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का ही दर्शन कर सकेंगे। अन्य किसी गुरुद्वारे के लिए उन्हें वीजा लेकर पूरी प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान जाना होगा।