How to Apply for Gun License: क्या आपको भी बनवाना है गन का लाइसेंस, जानें पूरी प्रक्रिया और यहां करें आवेदन
Gun License : भारत में गन का लाइसेंस बनवाने के लिए कुछ निर्देश हैं, जो आपको अपने राज्य के अधिकारियों से पुष्टि करने की आवश्यकता होगी।
Gun License Process: अगर आप अपनी सुरक्षा के लिहाज से अपने लिए एक गन लेने की तैयारी कर रहें हैं, लेकिन उससे पहले की जाने वाली कागज़ी प्रक्रिया यानी गन लाइसेंस बनवाना आपके लिए बड़ा ही पेचीदा काम साबित हो रहा है तो आपकी आसानी के लिए यहां वो सारी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है, जिसके जरिए आप स्टेप बाई स्टेप सारे नियमों को पढ़ कर उनके अनुसार की गई सारी तैयारी से आप बड़े ही आसान तरीके से अपनी गन का लाइसेंस बनवाने में सफल हो सकते हैं। लाइसेंस बनवाने के नियमों के मुताबिक, गन लाइसेंस जारी करने का अधिकार राज्य सरकारों के गृह विभाग के अधिकार क्षेत्र में रहता है। अलग-अलग राज्यों में डीएम यानी जिलाधिकारी, जिला कलेक्टर, कमिश्नर या इस रैंक के अन्य अधिकारियों को लाइसेंस जारी करने का अधिकार होता है।आइए जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया से जुड़ी विस्त्रित जानकारी .....
गन रखने के लिए भारतीय नागरिक की उम्र कितनी होनी चाहिए
पिस्तौल रखना चाहते हैं तो लाइसेंस हासिल करने के लिए किसी भी भारतीय नागरिक की उम्र 21 साल या अधिक होनी चाहिए तभी उस व्यक्ति लाइसेंस मिल सकता है। आर्म्स एक्ट, 1959 के तहत आत्मरक्षा के लिए जिला प्रशासन से कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति लाइसेंस लेकर हथियार खरीद सकता है।
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किन परिस्थितियों में नहीं मिलता लाइसेंस
यदि आप पर कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है तो लाइसेंस नहीं मिल सकता। गन लाइसेंस हासिल करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी ही होता है साथ में लाइसेंस लेने के लिए सबसे बड़ी शर्त ये है कि आपको कारण बताना होता है कि गन की आवश्यकता क्यों है। किससे और क्यों आपको जान का खतरा है।
लाइसेंस के लिए यहां करें आवेदन
गन लाइसेंस जारी करने का अधिकार राज्य सरकारों के गृह विभाग के पास होता है. अलग-अलग राज्यों में डीएम यानी जिलाधिकारी, जिला कलेक्टर, कमिश्नर या इस रैंक के अन्य अधिकारी लाइसेंस जारी करते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में पुलिस थाना और लोकल इंफॉर्मेशन यूनिट का सबसे अहम रोल होता है।
बताना होता है कौन सा हथियार लेना चाहते हैं
गन लाइसेंस हासिल करने के लिए सबसे पहले एक तय फॉर्मेट में आवेदन करना होता है। देश के कई राज्यों में ये प्रक्रिया ऑनलाइन भी है। लाइसेंस का आवेदन करते वक्त आपको बताना होता है कि किस तरह का हथियार अपने लाइसेंस पर लेना चाहते हैं। मसलन पिस्तौल, रिवॉल्वर जैसे छोटे हथियार या फिर राइफल, एकनाली या दोनाली जैसी बड़ी बंदूक लेनी है. वो हथियार जो प्रोहिबिटेड हैं उनको लाइसेंस पर नहीं चढ़ाया जा सकता. मसलन 38 बोर, 9 एमएम, 303 जैसे हथियार नियमों के मुताबिक, खिलाड़ी भी निशानेबाजी के लिए हथियार का लाइसेंस लेते हैं।
कुछ इस तरह होती है हथियार का लाइसेंस बनवाने की पूरा प्रक्रिया
जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद जब लाइसेंस मिल जाता है तो उसके बाद ही आप वही हथियार खरीद सकते हैं, जिसके लिए आपने आवेदन किया था। गन को सरकार से रजिस्टर्ड दुकानों से खरीदा जा सकता है। लाइसेंस पर चढ़े हथियार और उसका डिटेल्स की एक कॉपी संबंधित पुलिस थाने में भी जमा करना बेहद जरूरी होता है।
हर पांच साल में बंदूक के लाइसेंस का कराना होता है रिन्युअल
इस प्रक्रिया में समय समय पर कुछ सुधार के साथ परिवर्तन होते रहते हैं। बंदूक का लाइसेंस पहले तीन साल के लिए मिलता था, जिसकी अवधि सरकार ने अब बढ़ाकर 5 साल कर दी है। यह अवधि यानी वैलिडिटी खत्म होने के बाद लाइसेंस को फिर से रिन्यू कराना होता है। इसके लिए भी लाइसेंस धारक की फिर से जांच-पड़ताल के बाद लाइसेंस फीस जमा करनी होती है।
बंदूक की कारतूसों का भी रखना होता है हिसाब
बंदूक के लाइसेंस मिलने के साथ ही ये भी तय किया जाता है कि आपको एक साल के दौरान कितनी गोलियां दी जाएंगी। आपने गोलियां कहां खर्च कीं, इसका रिकॉर्ड के तौर पर खोखा रखना होता है और इसकी जानकारी देनी पड़ती है तभी आपको फिर से नई गोलियां दी जाती हैं। यदि कोई लाइसेंस धारक दिखावे या रौब जमाने के लिए गोलियां चलाता है या फिर दहशत पैदा करने के लिए फायरिंग करता है तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है या जेल भी जाना पड़ सकता है। अगर इन नियम-शर्तों का पालन नहीं होता तो लाइसेंस रद्द कर हथियार भी मालखाने में जमा करा लिया जाता है।
शस्त्र लाइसेंस पाने की क्या होती है प्रक्रिया
लाइसेंस लेने के लिए आपको पहले ऐप्लिकेशन जिलाधिकारी या फिर कमिश्नर के दफ्तर में मौजूद असलहा यानी शस्त्र लाइसेंस विभाग में जमा करना होती है। जिसके बाद इस फॉर्म की एक कॉपी एसएसपी ऑफिस भेजी जाती है। वहां से एसएसपी फार्म की एक कॉपी उस थाने भेजते हैं जहां का आवेदक रहने वाला है। फार्म का एक हिस्सा डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में भेजा जाता ताकि पता चल सके कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास तो नहीं है।
क्रिमिनल रिकॉर्ड होने पर नहीं बन सकेगा लाइसेंस
शस्त्र लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया के फलस्वरूप थाने और DCRB की रिपोर्ट एसएसपी जिलाधिकारी कार्यालय भेजते हैं जिसके बाद एक साक्षात्कार के उपरांत जिलाधिकारी गन लाइसेंस पर आदेश जारी करते हैं। जरूरत पड़ने पर या संदेह होने पर इंटेलीजेंस विभाग से भी जांच करवाई जाती है। यह बता देना जरूरी है कि यह पूरी तरह से जिलाधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है कि आपको लाइसेंस जारी करें या नहीं। पहचान प्रमाण पत्र और एड्रेस प्रूफ, मेडिकल सर्टिफिकेट, आयु प्रमाण पत्र (आपकी उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक), चरित्र प्रमाण पत्र यानी आप पर कोई गंभीर क्रिमिनल केस ना हो और इसी के साथ अपने आय का प्रमाण पत्र के रूप में ITR के पेपर्स आदि देना होता है।