New vs Old Parliament: जानिए क्या फर्क है नए और पुराने संसद भवन में

New vs Old Parliament: नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है। विशाल, आधुनिक और प्रभावशाली इमारत सबके सामने है। ठीक इसके सामने है पुराना संसद भवन जो अब चुपचाप, शालीनता से खड़ा है। 1926 में निर्मित, भारतीय संसद को मूल रूप से काउंसिल हाउस के रूप में जाना जाता था।

Update:2023-05-28 18:28 IST
नयी एवं पुरानी पार्लियामेंट (फोटो: सोशल मीडिया)

New vs Old Parliament: नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है। विशाल, आधुनिक और प्रभावशाली इमारत सबके सामने है। ठीक इसके सामने है पुराना संसद भवन जो अब चुपचाप, शालीनता से खड़ा है। 1926 में निर्मित, भारतीय संसद को मूल रूप से काउंसिल हाउस के रूप में जाना जाता था। इस इमारत में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल थी। स्वतंत्रता के बाद, इसने भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया। अब 97 वर्ष बाद नया संसद भवन तैयार है।

जानिए,आखिर क्या फर्क है दोनों बुलंद इमारतों में?

निर्माण

- पुराना संसद भवन औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था।

- नई इमारत अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिज़ाइन, प्लानिंग सनद मैनेजमेंट द्वारा वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन की गई थी। नए भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स ने किया है।

आकार

- पुरानी संसद आकार में गोलाकार है, जबकि नई संसद चार मंजिला और त्रिकोणीय आकार की है।

- नई संसद का निर्मित क्षेत्र यानी बिल्टअप एरिया 64,500 वर्ग मीटर है। जबकि पुरानी संसद का निर्मित क्षेत्र 24,281.16 वर्ग मीटर है। पुराना भवन गोलाकार है जो 560 फीट (170.69 मीटर) व्यास का है। इसकी परिधि 536.33 मीटर है।

- पुरानी संसद में 12 द्वार हैं जबकि नए परिसर में तीन मुख्य द्वार हैं, जिनके नाम हैं - ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं।

सीटों की संख्या

- नई संसद लोकसभा में 888 सांसदों को समायोजित करने में सक्षम होगी, जो वर्तमान लोकसभा की क्षमता का तीन गुना है। पुरानी संसद में केवल 543 सांसद ही बैठ सकते हैं। पुरानी संसद में 1956 में दो मंजिलें जोड़ी गईं थीं। लेकिन सेंट्रल हॉल की बैठने की क्षमता सिर्फ 440 लोगों तक सीमित रही। बैठने की व्यवस्था तंग थी और दूसरी पंक्ति के आगे कोई डेस्क नहीं था।

- नए संसद भवन की राज्यसभा में भी बैठने की क्षमता अधिक होगी। मौजूदा राज्यसभा में 245 सीटें हैं, जबकि नई राज्यसभा में 384 सीटों का प्रावधान होगा।

सेंट्रल हॉल :

- पुराने संसद भवन के विपरीत नए भवन में सेंट्रल हॉल नहीं होगा। इसके बजाय, नए संसद भवन में लोकसभा हॉल को संयुक्त सत्रों को आसानी से समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है।

- पुराने भवन में संसद के संयुक्त सत्रों के दौरान अतिरिक्त कुर्सियों को लगाना पड़ता था। लेकिन नई बिल्डिंग में 1,272 लोगों के एकसाथ बैठने की कैपेसिटी है।

भूकंप रोधी बिल्डिंग

- पुराना संसद भवन 1921 से 1927 के बीच निर्मित हुआ। वह इमारत भूकम्प रोधी नहीं है।

- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भूकंप के बढ़ते जोखिम को देखते हुए नए संसद भवन का निर्माण जोन 5 में मजबूत झटके झेलने के लिए मजबूत बनाया गया है।

इकोफ्रेंडली

- नया संसद भवन इकोफ्रेंडली है। ग्रीन निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया है और 30 प्रतिशत बिजली की खपत को बचाने के लिए उपकरण लगाए गए हैं। रेनवाटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा उत्पादन प्रणाली लगाई गई है।

सुरक्षा उपाय

- पुराने भवन में अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय था क्योंकि इसे मौजूदा अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया था। संभावित आग के खतरे को देखते हुए कई नए विद्युत केबल जोड़े गए थे। इसके अलावा, जल आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो-वीडियो सिस्टम आदि को बाद में समय समय पर जोड़ा गया जिसके चलते मूल भवन की सुंदरता नष्ट हुई और साथ साथ जगह जगह लीकेज भी हुआ।

- नई इमारत में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा व्याख्या या अनुवाद प्रणाली और प्रोग्राम योग्य माइक्रोफोन शामिल हैं। हॉल के अंदरूनी हिस्सों को वर्चुअल साउंड सिमुलेशन के साथ फिट किया गया है ताकि गूँज को सीमित किया जा सके।

खर्चा

- नया संसद भवन 1,200 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। पुराने संसद भवन के निर्माण की लागत 83 लाख रुपये थी।

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