Mission 2024: बिहार में भी सीट बंटवारे को लेकर खींचतान, लालू-तेजस्वी का अधिक सीटों के लिए जदयू पर दबाव, नीतीश के ही फॉर्मूले की नजीर

Mission 2024: इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक के दौरान कई दलों की ओर से 31 दिसंबर तक बंटवारे का काम पूरा कर लेने पर जोर दिया गया था मगर नया साल शुरू हो जाने के बावजूद मामला पूरी तरह अटका हुआ है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-01-05 08:54 IST

Lalu pradas yadav , Tejashwi yadav , Nitish kumar  (photo: social media )

Mission 2024: इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों के बीच बिहार समेत कई राज्यों में सीट शेयरिंग पर आम सहमति बनती हुई नहीं दिख रही है। गठबंधन में शामिल सभी दलों के बीच लगभग सभी राज्यों में खींचतान शुरू हो गई है। इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक के दौरान कई दलों की ओर से 31 दिसंबर तक बंटवारे का काम पूरा कर लेने पर जोर दिया गया था मगर नया साल शुरू हो जाने के बावजूद मामला पूरी तरह अटका हुआ है।

जिन राज्यों में सीटों को लेकर खींचतान चल रही है, उन राज्यों में बिहार भी शामिल है। बिहार में भी सीट शेयरिंग के फार्मूले पर अभी तक महागठबंधन के दलों के बीच आम राय नहीं कायम हो सकी है। जानकार सूत्रों के मुताबिक सहयोगी दलों के साथ ही महागठबंधन के दो प्रमुख दलों जदयू और राजद के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के फॉर्मूले के आधार पर ही ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं।

जदयू और राजद में दिख रही खींचतान

जदयू की कमान नीतीश कुमार के हाथों में जाने के बाद से ही बिहार में सियासी हलचलें काफी तेज दिख रही हैं। पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह पर गाज गिरने का एक प्रमुख कारण लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाले राजद से उनकी नजदीकी को भी माना जा रहा है। नीतीश कुमार के जदयू का अध्यक्ष चुने जाने के बाद कई दिन व्यतीत हो चुके हैं मगर अभी तक लालू और नीतीश कुमार की मुलाकात नहीं हो सकी है।

अभी हाल में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के जन्मदिन के मौके पर भी नीतीश कुमार ने चुप्पी साधे रखी। उन्होंने मिलना तो दूर सोशल मीडिया पर भी राबड़ी देवी को शुभकामनाएं नहीं दीं। राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी नीतीश कुमार की मुलाकात कई दिनों बाद गुरुवार को हुई।

दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत होने की खबर है मगर सीट शेयरिंग का कोई फॉर्मूला अभी तक सामने नहीं आ सका है। जानकारों का कहना है कि जदयू और राजद के बीच भी सीटों को लेकर खींचतान की स्थिति दिख रही है।

नीतीश कुमार के फॉर्मूले की ही नजीर

जानकारों के मुताबिक राजद की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फॉर्मूले के आधार पर ही ज्यादा सीटों की मांग की जा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास सिर्फ दो सांसद थे मगर उनकी पार्टी के विधायकों की संख्या भाजपा से ज्यादा थी। इसी आधार पर नीतीश कुमार ने जदयू के लिए 17 सीटें झटक ली थीं जबकि भाजपा ने भी 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। बाकी छह लोकसभा सीटें रामविलास पासवान की अगुवाई वाले लोजपा को दी गई थीं।

अब इस फॉर्मूले के आधार पर राजदू की ओर से ज्यादा लोकसभा सीटों की मांग की जा रही है क्योंकि पार्टी के पास जदयू से ज्यादा विधायक हैं। अब लाल यादव की ओर से विधायक गिनवाए जा रहे हैं जबकि नीतीश कुमार सांसदों की संख्या को आधार बनाने की बात कर रहे हैं। जदयू किसी भी सूरत में राजद से कम लोकसभा सीटों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है और यही कारण है कि सीट बंटवारे को लेकर बड़ा पेंच फंसा हुआ है।

पहले किसी फॉर्मूले पर आम सहमति जरूरी

जानकारों का कहना है कि सीट शेयरिंग से पहले दोनों दलों के बीच किसी फॉर्मूले पर आम सहमति बनना जरूरी है। उसके बाद ही दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे के काम को पूरा किया जा सकेगा। इसके बाद ही कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना संभव हो सकेगा। जदयू की ओर से सांसदों की संख्या को आधार बनाने की बात इसलिए कहीं जा रही है क्योंकि इसके जरिए राजद पर दबाव बनाया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में लोकसभा में राजद का एक भी संसद नहीं है। नीतीश कुमार को सीटों की संख्या के साथ ही जदयू के कब्जे वाली सीटों को किसी और को देने से पैदा होने वाली समस्या की भी चिंता है।

उन्हें अपने कब्जे वाली सीटों के न मिलने की स्थिति में अपने सांसदों के दलबदल करके भाजपा का दामन थाम लेने की चिंता भी सता रही है। जानकारों के मुताबिक जब तक दोनों प्रमुख दलों के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला नहीं तय हो जाता,तब तक बिहार में विपक्षी गठबंधन के बीच सीटों को लेकर खींचतान खत्म होती नहीं दिख रही है।

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