एक चिट्ठी से भड़का नेपालः मचा हंगामा, मीडिया में छिड़ गई जंग

पत्र में कहा गया है कि, कुछ समूह अवैध तरीके से सीमा पार करने की कोशिश कर रहे हैं और मीडिया का ध्यान खींचने के लिए गुंज, कालापानी और लिम्पियाधुरा में घुस रहे हैं।

Update:2020-07-28 14:40 IST

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ प्रशासन की ओर से भेजे गए एक पत्र को लेकर नेपाल में विवाद छिड़ गया है।जिला प्रशासन से अपील करते हुए धारचूला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने एक पत्र नेपाल को लिखा है और कहा है कि नेपालियों को भारतीय क्षेत्र में अवैध तरीके से घुसने से रोकें। पत्र में कहा गया है कि धारचूला जिला प्रशासन को खबर मिली है कि गुंज, कालापानी और लिम्पियाधुरा में नेपाली चोरी-छिपे घुस रहे हैं।

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कालापानी और लिम्पियाधुरा में घुस रहे

पत्र में कहा गया है कि, कुछ समूह अवैध तरीके से सीमा पार करने की कोशिश कर रहे हैं और मीडिया का ध्यान खींचने के लिए गुंज, कालापानी और लिम्पियाधुरा में घुस रहे हैं। इससे दोनों देशों के प्रशासन को परेशानी हो रही है इसलिए आपसे अनुरोध है कि अगर आपको इस तरह की कोई भी जानकारी मिले तो हमें तुरंत सूचना दें।

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नेपाल की सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं

इस पत्र को लेकर नेपाल की सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है लेकिन नेपाली मीडिया में इसे लेकर हंगामा मच गया है। नेपाल के प्रमुख अखबार ने इस पर कवर स्टोरी छापी है साथ ही इसका शीर्षक दिया है- 'भारत का आपत्तिजनक पत्र: नेपाली कालापानी और लिम्पियाधुरा में चोरी-छिपे घुस रहे.'

भारत का कहना कि नेपाली चोरी-छिपे इन इलाकों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।नेपाल भारत के तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर अपना दावा पेश करता है जिसमें कालापानी 58 सालों से भारत के पास है और नेपालियों की एंट्री संभव नहीं है।

भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बढ़ा

भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बढ़ा है। लिपुलेख से गुजरने वाले कैलाश मानसरोवर रोडलिंक का उद्घाटन भारत ने 8 मई को किया तो नेपाल ने ऐतराज जताया था। कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद सीमा विवाद पर वार्ता करने का प्रस्ताव भारत ने रखा था। लेकिन नेपाल ने इसके बाद कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल करते हुए नया नक्शा जारी कर दिया था।

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गृह मंत्रालय को पत्र की सूचना दी

नक्शा जारी करने के बाद नेपाल के अधिकारी भारत में नेपालियों के अवैध तरीके से प्रवेश को सही भी मानने लगे हैं।नेपाल के एक अधिकारी शरद कुमार पोखरेल ने कहा कि, इसमें कोई शक नहीं है कि भारत ने जिन इलाकों का जिक्र किया है, वे नेपाल की जमीन है। नेपाली नागरिक नेपाल की जमीन पर घूमने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। इसलिए जिला प्रशासन से हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। पत्र 11 दिन पुराना है लेकिन हमें कल ही मिला है। रविवार को हमने गृह मंत्रालय को इस पत्र की सूचना दे दी है। हमारा मानना है कि नेपाली अपनी धरती पर आजादी से घूम सकते हैं और उन्हें कोई रोक नहीं सकता है।

केंद्र के स्तर पर बातचीत चल रही

पोखरेल ने कहा, हम ऊपर से निर्देश आने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के जरिए जवाब देगी या क्या कदम उठाएगी इसका कुछ नहीं कहा जा सकता है। इस मुद्दे पर केंद्र के स्तर पर बातचीत चल रही है।

नेपाल के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हमें इस पत्र की जानकारी है।सीमा विवाद को राजनीतिक और कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए और इसे लेकर चर्चा चल रही है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, नेपाली दशकों से लिम्पियाधुरा नहीं गए हैं और अब वे अचानक जाने की कोशिश कर रहे हैं? हमें अपमानित करने और उकसाने की कोशिशें की जा रही है।नेपाल को इस समस्या का समाधान गंभीर कूटनीतिक कदमों के जरिए करना चाहिए।

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