Lumpy skin disease: तेजी से फैल रही 'लंपी स्किन' बीमारी, हजारों मवेशी संक्रमित

Lumpy skin disease: मवेशियों को संक्रमित करने वाला लंपी त्वचा रोग कई राज्यों में तेजी से फैल रहा है। इस बीमारी से गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में हजारों गायों की मौत भी हो चुकी है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2022-08-12 12:01 IST

Lumpy skin disease (image social media)

Lumpy skin disease: मवेशियों को संक्रमित करने वाला लंपी त्वचा रोग कई राज्यों में तेजी से फैल रहा है। इस बीमारी से गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में हजारों गायों की मौत भी हो चुकी है। रिपोर्टों के मुताबिक अभी तक कम से कम 8,000 गायों की मौत हो चुकी है और 25,000 से 30,000 गायें संक्रमित हैं। शुरू में सिर्फ राजस्थान और गुजरात में इस बीमारी के मामले सामने आए थे लेकिन अब पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से भी संक्रमण की खबरें आ रही हैं।

यह लक्षण और बीमारी

लंपी स्किन डिज़ीज़, मवेशियों में फैलने वाली एक वायरल बीमारी है। यह संक्रमण पॉक्सविरिडे नाम के वायरस से होता है। जेनेटिक रूप से इसे गोट पॉक्स और शीप पॉक्स वायरस परिवार से संबंधित माना जाता है। वर्ल्ड आर्गेनाईजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के मुताबिक इस बीमारी में एक से लेकर पांच प्रतिशत तक की मृत्यु दर होती है।यह बीमारी खून पीने वाले मक्खियों, मच्छरों जैसे कीड़ों की कुछ खासी प्रजातियों द्वारा फैलाई जाती है। इस बीमारी में मवेशियों को बुखार होता है, त्वचा पर गांठें निकल आती हैं, दूध की मात्रा कम हो जाती है और कई मामलों में मौत भी हो जाती है। त्वचा पर गांठ पड़ने की वजह से इसे लंपी स्किन डिज़ीज़ कहा जाता है। 

यह इलाज करा सकते 

विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और सिर्फ टीके से ही इससे बचाव किया जा सकता है। यूरोप में तो अब एक टीकाकरण कार्यक्रम से इसके प्रसार पर काबू पा लिया गया है, लेकिन अब यह पश्चिमी और केंद्रीय एशिया में भी फैल गई है। 2019 से दक्षिण एशिया में भी इसके मामले सामने आए हैं। इस बीमारी से संक्रमित मवेशियों में कई लक्षण लंबे समय तक या स्थायी रूप से भी मौजूद रह सकते हैं। इससे ठीक होने में भी समय लगता है।डब्ल्यूओएएच के मुताबिक लंपी स्किन डिज़ीज़ कोई जूनोटिक बीमारी नहीं है, यानी यह जानवरों से इंसानों में नहीं फैल सकती।

भारत में वैक्सीनें उपलब्ध

मवेशियों को इस संक्रमण से बचाने के लिए कई तरह के टीके उपलब्ध हैं। भारत में इसके लिए गोट पॉक्स टीके का इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि सरकार ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए "लंपी प्रो वैक" नाम का नया टीका उपलब्ध करना शुरू किया है। इस वैक्सीन को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार तथा भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान इज्जतनगर ने मिल कर बनाया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द इस टीके के पूरे देश में प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत में करीब दो साल में 50 तरह के वायरस को आइसोलेट करने के बाद इस वैक्सीन को डेवलप करने में सफलता मिली है। ये अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

बचाव के यह प्रमुख उपाय

- भैंस या गाय की स्किन में गांठ पड़ जाए, या बुखार हो तो तत्काल पशु चिकित्सक को दिखाएं।

- इस बीमारी की चपेट में आये मवेशी को अन्य मवेशियों से अलग रखें। उसके बछड़े को भी उससे अलग रखें।

- बीमार मवेशी के पशुपालक साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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