इंंदौर में हाहाकार: 20 दिनों में सामने आए 900 केस, प्रशासन में मानी अपनी गलती

देश में लगातार तेजी से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। हर दिन सैकड़ों की तादाद में COVID- 19 के नए मामले सामने आ रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर में 4 मार्च से 24 मार्च के बीच 900 मामले सामने आए हैं।

Update: 2020-04-23 07:55 GMT

भोपाल: देश में लगातार तेजी से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। हर दिन सैकड़ों की तादाद में COVID- 19 के नए मामले सामने आ रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर में 4 मार्च से 24 मार्च के बीच 900 मामले सामने आए हैं। वहीं अब केंद्र सरकार की एक टीम यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि इंदौर प्रशासन से आखिर कहां लापरवाही हुई है, जिसके चलते यहां पर कोरोना के मामलों में इतनी बढ़ोत्तरी हुई है।

जिले में नहीं किया गया लॉकडाउन का पालन

केंद्र सरकार की ये टीम एक हफ्ते पहले जिले की स्थिति की समीक्षा करने के लिए गई थी। टीम मामले बढ़ने के वजहों के बारे में बताया कि जिले में कोरोना के केसेस इसलिए बढ़े क्योंकि यहां पर लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं किया और प्रशासन समुदाय के साथ प्रभावी तरीके से जुड़ने में विफल रहा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) के एक अधिकारी ने कहा कि इंदौर में लॉकडाउन के नियमों का ठीक तरह से पालन नहीं किया गया है।

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जिले के लोगों का मानना था कि उन्हें नहीं हो सकती बीमारी

अधिकारी ने कहा कि शुरुआत में इंदौर के लोगों ने यह नहीं सोचा था कि उन्हें ये बीमारी हो सकती है क्योंकि उन्हें उनके स्वच्छ शहर टैग को लेकर संतुष्टि है। इसलिए शुरु से ही इस लेकर यहां के लोगों का नजरिया काफी ढीला-ढाला रहा। लॉकडाउन के नियमों को प्रभावी ढंग से नहीं लागू किया गया। यहां पर पहले से ही कोरोना वायरस आ गया था इसलिए यहां पर कोरोना का संक्रमणं फैलता चला गया। जानकारी के लिए आपको बता दें कि केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में पहले स्थान पर है।

लॉकडाउन के दौरान लोग सड़कों थे

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जांच टीम के एक सदस्य ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोग सड़कों पर आते थे, जिस कारण कोरोना का संक्रमण बड़े स्तर पर फैल गया। उन्होंने कहा कि यहां पर पर्याप्त रुप से लोगों की गतिविधियों को बंद नहीं किया गया। साथ ही स्थानीय प्रशासन भी समुदाय के साथ जुड़ने में नाकामयाब रही। जबकि स्वास्थ्यकर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसने निवारक उपायों के कार्यान्वयन को सीमित किया। जब बाद में उन्होंने बड़े स्तर पर टेस्ट किए तो तब तक संख्या काफी बढ़ चुकी थी।

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स्थानीय प्रशासन ने मानी अपनी गलती

वहीं स्थानीय प्रशासन ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें शुरु से ही संक्रमण को रोकने की तैयारी करनी चाहिए थी। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने कहा हम शुरुआत में तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि हमें COVID- 19 के खिलाफ रणनीति का पता लगाने और इससे निपटने की क्षमता में कुछ समय लगा।

24 मार्च तक काफी देर हो चुकी थी

24 मार्च को 4 लोगों के संक्रमित होने की खबर सामने आई थी, लेकिन जब अचानक से मामलों की संख्या बढ़ने लगी तो हमें महसूस हुआ कि वायरस काफी पहले से ही फैल रहा है। 24 मार्च तक काफी देर हो चुकी थी। हमने तब तक बहुत कम टेस्ट किए थे। हमें ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ा, जिसमें हमें अपनी क्षमता को तेजी से बढ़ाना था। ये सब अचानक हुआ।

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