भोपाल। मध्यप्रदेश में मतदाताओं को रिझाने के लिए भाजपा जादूगरों का भी सहारा लेगी। पार्टी ने कुछ जादूगरों को शिवराज सरकार के कामकाज के बारे में लोगों को जानकारी देने की जिम्मेदारी सौंपी है। मध्यप्रदेश की सत्ता में 15 साल से काबिज शिवराज सरकार जादूगरों के जरिये ज्यादा से ज्यादा से मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है।
पार्टी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने इस बाबत बताया कि पार्टी के प्रचार अभियान में ये जादूगर तमाम नुक्कड़ नाटक, छोटी-छोटी कलाओं के माध्यम से अपना संदेश देंगे। पार्टी इसके लिए छह जादूगरों की सेवाएं लेगी। हर शो 25-30 मिनट का होगा। यह जादू यात्रा 151 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचेगी। जानकारों के मुताबिक बीजेपी ने इसकी पूरी रणनीति तैयार कर ली है। जादूगरों को शिवराज सरकार की संबल योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना जैसी लोकप्रिय योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार के बारे में खेल तैयार करने को कहा
गया है।
भाजपा के फैसले से कांग्रेस नाराज
भाजपा के चुनाव प्रचार में जादूगरों को उतारने के फैसले से कांग्रेस की भौंहें टेढ़ी हो गई हैं। कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा कि 15 साल से यह सरकार भ्रम का जादू फैलाकर लोगों को ठग रही है, लेकिन अब कोई भ्रम नहीं चलेगा। जनता शिवराज सरकार की चालबाजी समझ चुकी है। इसलिए लोग कह रहे हैं कि मामा हमें मामू बनाना बंद कीजिए। इस बार राज्य में भ्रष्ट सरकार का अंत होना तय है।
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मोदी का फार्मूला फिर अपनाएगी भाजपा
राज्य में चौथी बार सरकार बनाने के लिए भाजपा हर उस फार्मूले को अपना रही है, जो उसे सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा सके। अब इस कड़ी में भाजपा ने लोगों से सीधा जुडऩे के लिए पीएम मोदी का विनिंग फॉर्मूला यानी चाय पर चर्चा को अपनाया है। मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों से चाय पर चर्चा कर उनकी राय जानी थी। कुछ उसी तर्ज पर भाजपा ने सूबे की सभी 230 विधानसभा सीटों पर एक चाय एक राय कार्यक्रम की शुरुआत की है। कार्यक्रम में पार्टी के बड़े नेता समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने के लिए लोगों से उनकी राय और सुझाव मांग रहे है। वैसे इस कार्यक्रम का मकसद लोगों का फीडबैक लेना भी है। स्थानीय विधायक के साथ पार्टी के बड़े नेता लोगों से उनकी राय पूछ रहे हैं।
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शुरू हो गयी साधु-संतों की सियासत
मध्य प्रदेश की राजनीति में अब साधु-संतों के बीच भी सियासत शुरू हो चुकी है। कंप्यूटर बाबा के शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त स्वामी अखिलेश्वरानंद ने शिवराज के समर्थन में संत समागम का आयोजन किया।
इस समागम में सभी साधु-संत शिवराज सरकार की तारीफ करते नजर आए। संतों की तारीफ से शिवराज सिंह बेहद खुश नजर आए। कंप्यूटर बाबा के नाराज होने के बाद शिवराज साधु-संतों को मैनेज करने में जुटे हुए हैं। कंप्यूटर बाबा भी संत समागम का आयोजन करने वाले हैं।
मध्य प्रदेश की राजनीति में साधु संतों और धार्मिक स्थलों का बहुत ज्यादा असर माना जाता है। इसका कारण यह है कि प्रदेश की 230 में से तकरीबन 100 से ज्यादा सीटें किसी ना किसी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं। वैसे अभी तक इन सीटों पर भाजपा ही जीतती रही है।