Maharashtra Politics: नए मंत्रियों की सूची पर खींचतान जारी, अब तीन दिनों में कैबिनेट विस्तार का दावा
Maharashtra Politics: सेएम एकनाथ शिंदे को तीन दिनों के भीतर कैबिनेट विस्तार की बात कही है। विधानसभा सत्र की शुरुआत से पहले मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देना चाहते हैं।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के लिए अपनी कैबिनेट (Cabinet) का विस्तार काफी मुश्किल काम साबित होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 27 दिन बाद भी वे अपने मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दे सके हैं। जानकारों का कहना है कि मंत्रियों के नामों को लेकर भाजपा और शिंदे गुट के बीच आम सहमति नहीं बन पा रही है। इसी कारण से शिंदे बार-बार दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं और भाजपा के शीर्ष नेताओं से मंथन करने में जुटे हैं। अब उन्होंने तीन दिनों के भीतर कैबिनेट विस्तार की बात कही है।
विधानसभा सत्र की शुरुआत से पहले शिंदे अपने मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देना चाहते हैं। वे बुधवार की रात दिल्ली पहुंचने वाले थे मगर उनका दौरा रद्द हो गया। अब उनके आज दिल्ली जाने की बात बताई जा रही है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद शिंदे की दिल्ली की यह पांचवीं यात्रा होगी। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी शिंदे के साथ दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत कर चुके हैं।
कैबिनेट विस्तार में कोई विवाद नहीं
एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि निश्चित रूप से कैबिनेट के विस्तार में देरी हुई है मगर इसके पीछे किसी भी प्रकार का विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि अब इसमें देरी नहीं होगी और अगले तीन दिनों में कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि मंत्रियों के नामों को लेकर किसी भी प्रकार का विवाद नहीं है।
महाराष्ट्र में करीब एक महीने से टूमैन कैबिनेट ही काम कर रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ही महाराष्ट्र के सभी विभागों की जिम्मेदारी संभाल रखी है। इसे लेकर महाराष्ट्र के सियासी हलकों में सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं मगर अभी तक मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों के नाम नहीं तय कर सके हैं।
जानकारों का कहना है कि कैबिनेट का विस्तार न हो पाने के कारण विभिन्न विभागों का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि मंत्रियों की नियुक्ति न होने के कारण विभिन्न विभागों में फाइलें अटकी हुई हैं और कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।
सबको संतुष्ट करने की मुश्किलें
दरअसल मुख्यमंत्री शिंदे के सबसे बड़ी दिक्कत बागियों को समायोजित करना और भाजपा विधायकों को संतुष्ट करना है। शिंदे के साथ 40 विधायकों ने बगावत करके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सत्ता से बेदखल करने में मदद की थी। अब इन विधायकों की ओर से मंत्री पद की दावेदारी की जा रही है। शिवसेना के बागी खेमे में शिंदे को छोड़कर आठ पूर्व मंत्री शामिल है। इन नेताओं को छोड़कर अन्य विधायक भी मंत्री पद के लिए जोड़-तोड़ करने में जुटे हुए हैं।
दूसरी ओर उद्धव सरकार को गिराने में बागी खेमे के साथ भाजपा की भी बड़ी भूमिका रही है। भाजपा का मुख्यमंत्री पद पर दावा था मगर शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी पहले ही बड़ा बलिदान कर चुकी है। ऐसे में भाजपा की ओर से ज्यादा मंत्री पदों की दावेदारी की जा रही है। शिंदे मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 43 मंत्री शामिल हो सकते हैं। ऐसे में सबको संतुष्ट करना मुश्किल साबित हो रहा है।।
भाजपा बना रही शिंदे पर दबाव
जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा की ओर से पार्टी को मंत्रिमंडल में अच्छा प्रतिनिधित्व देने का दबाव बनाया जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री सुंदर से बातचीत भी की है। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी इसके लिए दबाव बना रहे हैं।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिंदे अहम मंत्रालयों की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं। हालांकि बागी गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर का कहना है कि मंत्री पद और मंत्रालयों को लेकर किसी भी प्रकार की कोई खींचतान नहीं है। उनका दावा है कि शिंदे इस बाबत गहन विचार विमर्श करने में जुटे हुए हैं और मंत्रियों की सूची को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उनका कहना है कि मंत्री पदों को लेकर किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं है।
दावेदारी में जुटे हुए हैं विधायक
शिंदे गुट की ओर से भले ही किसी भी प्रकार की खींचतान होने से इनकार किया जा रहा हो मगर यह सच्चाई है कि मंत्री पदों को लेकर जबर्दस्त जोड़ तोड़ चल रही है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और शिंदे गुट के विधायक मुंबई से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं ताकि उनकी दावेदारी मजबूत बनी रहे।
इसके साथ ही शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच शिवसेना पर प्रभुत्व कायम करने की जंग बीच छिड़ी हुई है। शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में अपना दावा भी पेश कर दिया है। आयोग की ओर से दोनों गुटों को 8 अगस्त तक आपत्तियां और दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री इस मामले में भी उद्धव गुट को पटखनी देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।