महावीर प्रसाद द्विवेदी: जानिए इनकी अनसुनी बातें, ऐसा रहा पूरा जीवन

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने पचास से अधिक ग्रंथों और सैकड़ों निबंधों की रचना की। इसमें से विचार- विमर्श, रसज्ञ-रंजन, संकलन, कालिदास की निरंकुशता, कालिदास और उनकी कविता आदि है।

Update:2020-12-21 11:49 IST
महावीर प्रसाद द्विवेदी: जानिए इनकी अनसुनी बातें, ऐसा रहा पूरा जीवन photos (social media)

लखनऊ : महान साहित्यकार, पत्रकार और युग विधायक महावीर प्रसाद द्विवेदी ऐसे समय में हिन्दी के सेवक बने थे। जब हिन्दी ने अपने विकास के बारे में सोचा भी नहीं था। उस समय में इस महान साहित्यकार ने इस भाषा की नींव रखकर कई हिन्दी को कई अभावो से मुक्त कराया था। आज इस महान साहित्यकार की पुण्यतिथि पर इनके जीवन से जुड़ी और हिन्दी साहित्य में दिए गए योगदान के बारे में जानते हैं।

रायबरेली जिले में हुआ था जन्म

उत्तरप्रदेश के रायबरेली जिले में महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 15 मई 1864 को हुआ था। उनके पिता ने उनका नाम महावीर रखा था। जब इनका दाखिला प्रारम्भिक शिक्षा के लिए गांव की पाठशाला में कराया गया। लेकिन शिक्षक की गलती से उनका नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी लिख गया। उन्होंने अपने जीवन में कई भाषाओं का ज्ञान लिया था। आपको बता दें कि उन्हें संस्कृत, गुजरती, मराठी, अंग्रेजी जैसी भाषाओं का ज्ञान हासिल किया था।

1903 में सरस्वती पत्रिका के बने संपादक

अपनी पढ़ाई को पूरी कर इन्होंने रेलवे के विभिन्न पदों पर नौकरी हासिल की। नौकरियों के साथ इन्होंने अपनी भाषा सीखने पर अपनी पकड़ बनाई रखी। नौकरी में अधिकारी से अनबन होने पर इन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। आपको बता दें कि यह 1903 में सरस्वती पत्रिका के संपादक बने और बड़ा मुकाम हासिल किया। इसके साथ सरस्वती पत्रिका के अंतिम संपादक श्री नारायण चतुर्वेदी ने अपने लेख सरस्वती की कहानी में महावीर प्रसाद द्विवेदी के संपादक बनने की परिस्थितियों का वर्णन किया है।

कई ग्रंथों और निबंधों की रचना

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने पचास से अधिक ग्रंथों और सैकड़ों निबंधों की रचना की। इसमें से विचार- विमर्श, रसज्ञ-रंजन, संकलन, कालिदास की निरंकुशता, कालिदास और उनकी कविता आदि है। आपको बता दें कि इन्होंने कई ग्रंथों का भी अनुवाद किया है। संस्कृत से अनूदित ग्रंथों में रघुवंश, महाभारत, कुमारसंभव जैसे कई ग्रंथों की रचना की। इन्होंने अपने जीवन में कई गद्य और पद्य की रचना भी की है।

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21 दिसंबर 1938 को हुआ निधन

आपको बता दें कि इस महान साहित्यकार ने आज ही के दिन 21 दिसंबर 1938 को इस दुनिया से विदा ले लिया था। रायबरेली में दो दशकों से महावीर प्रसाद द्विवेदी की राष्ट्रीय स्मारक समिति द्वारा इनकी दो प्रतिमाएं स्थापित कराई गई हैं। इनकी पुण्यतिथि पर लोग इनको याद करते हैं।

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