बढ़ रही है कुपोषित बच्चों की तादाद, पुष्टाहार बेचकर की जा रही कमाई 

Update:2017-12-29 12:53 IST

कपिल देव मौर्य

जौनपुर: केन्द्र व प्रदेश की सरकारें कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए चाहे जितनी योजनाएं संचालित करें लेकिन जिले के कर्मचारी एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां जब तक कागजी बाजीगरी का खेल करती रहेगी तब तक कुपोषित बच्चों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती ही रहेगी। पुष्टाहार को बेचकर जमकर कमाई की जा रही है। पुष्टाहार बेचने से मिले पैसे में ऊपर से लेकर नीचे तक सबकी हिस्सेदारी होती है। लेकिन विभाग द्वारा शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में कागजी बाजीगरी करते हुए संख्या घटाने का प्रयास किया जा रहा है।

शासन के आदेश पर जून 2017 में जिले में सरकारी एजेंसी ने बच्चों का वजन कराया तो कुल 1 लाख 80 हजार 690 बच्चे कुपोषित मिले थे। इसके बाद अक्टूबर में फिर अभियान चलाकर वजन लिया गया तो इस बार कुपोषित बच्चों की संख्या 1356 ज्यादा मिली है। दिसम्बर 2017 में अब कुपोषिम बच्चों की संख्या 1 लाख 82 हजार 46 हो गयी है। इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और विभाग कागजी बाजीगरी के खेल में हर समय जुटा नजर आ रहा है। 26 हजार 562 अतिकुपोषित बच्चे पाए गए हैं।

पोषाहार बेचकर की जा रही कमाई

केन्द्र सरकार कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ पुष्टाहार उपलब्ध करा रही है। प्रत्येक गांव में आंगनबाड़ी सेन्टर स्थापित करने के साथ ही गरीब असहाय बच्चों को पोषाहार के साथ हाटकुक दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए भी पौष्टिक आहार दिए जाने का शासनादेश है,लेकिन सरकार के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है। अब इसे धनोपार्जन का माध्यम बना लिया गया है। जिले के 5030 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रतिमाह बच्चों के लिए 80 हजार 480 बोरी पोषाहार भेजा जा रहा है जो बाजार में बेचकर संबंधित लोग मालामाल हो रहे हैं और बच्चे कुपोषण के शिकार होते जा रहे हैं।

एक खबर के मुताबिक सरकार कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए शबरी संकल्प योजना शुरू करने जा रही है, लेकिन सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि योजना का पूरा लाभ जरुरतमंदों को मिल सकेगा। जिले के कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिकाओं सहित सीडीपीओ को सख्त निर्देश है कि अति कुपोषित एवं कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए। लापरवाही बरतने पर विभागीय कार्रवाई संभव है।

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