Bharat Jodo Nyay Yatra: ममता सरकार ने राहुल को नहीं दी जनसभा की इजाजत, असम के बाद बंगाल में भी परेशान कांग्रेस

Bharat Jodo Nyay Yatra: ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच तनातनी का असर अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी दिखने लगा है। सिलीगुड़ी में राहुल गांधी को रैली करने तक की इजाजत नहीं मिली।

Update: 2024-01-26 08:50 GMT

Bharat Jodo Nyay Yatra in Bengal (Photo:Social Media)

Bharat Jodo Nyay Yatra. राहुल गांधी की अगुवाई में मणिपुर से महाराष्ट्र तक के लिए निकली कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जारी है। मणिपुर, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश और असम के बाद यात्रा अब पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर चुकी है। अभी तक ये यात्रा जिन राज्यों से गुजरी, वहां बीजेपी और उसकी सहयोगी की सरकार है। ऐसे में राहुल गांधी अपनी यात्रा को लेकर पहली बार गैर-बीजेपी शासित राज्य पहुंचे है, जहां इंडिया ब्लॉक में शामिल तृणमुल कांग्रेस की सरकार है।

राहुल के बंगाल पहुंचने से पहले ही टीएमसी ने राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर विपक्षी एकता की कवायद को जबरदस्त झटका दिया। ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच तनातनी का असर अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी दिखने लगा है। ममता सरकार ने सिलीगुड़ी में राहुल गांधी को रैली करने तक की इजाजत नहीं दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों के रिश्ते किस हद तक खराब हो चुके हैं।

अभी तक राहुल गांधी समेत तमाम नेता मणिपुर और असम की भाजपा सरकारों पर यात्रा में खलल पैदा करने का आरोप लगाते थे लेकिन अब जब इंडिया ब्लॉक में शामिल टीएमसी भी उसी राह जाती दिख रही है तो कांग्रेस को सफाई देना मुश्किल हो गया है। यहां तक की राहुल गांधी और जयराम रमेश जैसे नेता अभी भी कोशिश में हैं कि ममता बनर्जी वापस इंडिया ब्लॉक में आ जाएं, जो फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है।

अधीर रंजन के तेवर भी हुए नरम

पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सबसे तीखा हमला करते रहे हैं। लेकिन अब उनके भी नरम पड़ते नजर आ रहे हैं। चौधरी ने कहा कि यात्रा के बंगाल में आने के बाद हमने प्रशासन से छोटा सा निवेदन किया था कि सिलीगुड़ी में एक जनसभा की अनुमति दी जाए मगर प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। खास बात ये रही कि इस दौरान कांग्रेस नेता ने असम और मणिपुर में यात्रा के सामने आई परेशानियों का जिक्र करते हुए भाजपा पर तो हमला बोला लेकिन ममता सरकार के खिलाफ बोलने से परहेज करते नजर आए।

ममता-कांग्रेस में क्यों नहीं बन पाई बात ?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच संबंध खराब होने की दो वजहें बताई जा रही हैं, पहला सीट शेयरिंग और दूसरा वामदलों के साथ गठबंधन। दरअसल, ममता ने कांग्रेस में रहते हुए और फिर टीएमसी के बनाने के बाद बंगाल में लेफ्ट पार्टियों से लंबे समय तक संघर्ष किया है। ऐसे में वह उसके साथ किसी भी तरह के सियासी समझौते के खिलाफ रहीं। हालांकि, पिछले दिनों ममता के तेवर नरम जरूर हुए और उन्होंने लेफ्ट के साथ चुनाव लड़ने पर हामी भर दी। लेकिन मामला अब सीट बंटवारे पर आकर फंस गया।


ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बंगाल में लोकसभा की दो सीटें ऑफर कीं, जिसको लेकर यहां की राज्य ईकाई भड़क गई। जो पहले से राज्य में टीएमसी के साथ गठबंधन का विरोध कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ममता के इस ऑफर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि उनसे भीख मांगने कौन गया है। ममता जी से कौन सीट मांग रहा है। हम अपने दम पर चुनाव लड़ सकते हैं। ममता जी नरेंद्र मोदी की सेवा में लगी हुई है, कांग्रेस को उनकी दया की जरूरत नहीं है। हम अपने दम पर चुनाव लड़ सकते हैं।

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल की कुल 42 सीटों में 22 पर टीएमसी, 18 पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस की जीत मिली थी। कांग्रेस की एक सीट से अधीर रंजन चौधरी से स्वयं एमपी हैं। बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी कांग्रेस के लिए महज ये दोनों ही सीटें छोड़ना चाहती हैं।


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