Maratha Reservation: मराठा आरक्षण पर सियासत गर्म, सीएम ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, जाने क्या है मांग?

Maratha Reservation Movement: मराठा क्रांति मोर्चा के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने बीते 10 सितंबर को कहा था कि जबतक मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र नहीं मिल जाता तबतक वह भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे।

Written By :  Anant kumar shukla
Update:2023-09-11 18:39 IST

Maratha reservation regarding Meeting CM Eknath Shinde (Photo-Social Media)

Maratha Reservation: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। मराठा समुदाय को आरक्षण की मांग पर अब सियासत गर्मा रही है। भूख हड़ताल पर बैठे मराठा क्रांति मोर्चा मनोज जरांगे पाटिन ने एक चैनल से बात करते हुए बताया कि आरक्षण के इलाज का यह सबसे अच्छा समय है। मामला बढ़ता देख महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक मुंबई के सहयाद्री गस्ट हाउस में की जाएगी। सियासी गलियारों में चर्चा है मराठा आरक्षण पर राजनीतिक दलों के दबाव के चलते सीएम ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मराठा संगठनों ने विरोध में सोमवार को एकनाथ शिंदे का गढ़ कहे जाने वाले ठाणे बंद रखा। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर व्यवस्था चाकचौबंद है।

29 से शुरू किया था आंदोलन

मराठा क्रांति मोर्चा के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने बीते 10 सितंबर को कहा था कि जबतक मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र नहीं मिल जाता तबतक वह भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे। मनोज जरांगे के भूख हड़ताल का आज 14वां दिन है। डॉक्टरों की एक टीम द्वारा जरांगे के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखा जा रहा है। सोमवार को स्वास्थ्य जांच के बाद डॉक्टरों नें बताया कि भूख हड़ताल का असर स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। जरांगे से उचार का अनुरोध किया गया तो उन्होंने कहा कि आरक्षण मेरे लिए बेहतर उपचार होगा। मनोज जरांगे 29 इगस्त से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

अपने रुख पर कायम जरांगे

लोगों में नारागी को देखते हुए सरकार ने निजाम काल के रिकॉर्ड रखने वालों को कुनबी-मराठा, मराठा-कुनवी के रूप में जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया था। लेकिन मनोज जरांगे अपने रुख पर कायम है। सरकार द्वारा जीआर जारी करने पर उन्होंने इसका स्वागत किया था। लेकिन उन्होंने सरकार से मांग की थी इसमें से वंशावली शब्द हटाए। इस मुद्दे पर अब राजनीति गरमा रही है। कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की। वहीं शरद पवार का मानना है कि मराठा समुदाय ओबीसी में आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार द्वारा 2018 में अलग से आरक्षण दिया गया था तो सुप्रीम कोर्ट ने उसपर रोक लगा दी थी।

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