नई दिल्ली: #metoo को लेकर विवादों में घिरे केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर को भारतीय जनता पार्टी आज इस्तीफा देने के लिए कह सकती है। भाजपा इस मामले को लेकर जबर्दस्त दबाव में है। एक ओर विपक्ष एमजे अकबर के इस्तीफे की मांग कर रहा है। वहीं एनडीए के घटक दलों से भी उस पर इस्तीफा लेने का दबाव बढ़ रहा है। पार्टी के भीतर भी फिलहाल कोई स्पष्ट राय बनती नहीं दिख रही है। अंतिम फैसला अमित शाह के ऊपर है।
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भाजपा में हालांकि इस मामले पर अलग अलग राय है कुछ लोगों का यह मानना है कि एमजे अकबर पर #metoo के आरोप उनके मंत्री बनने से पहले उस समय के हैं जब वह पत्रकार या संपादक के रूप में विभिन्न मीडिया हाउसों में रहे हैं। इसलिए बिना आरोप साबित हुए एमजे अकबर को बलि का बकरा बनाना उचित नहीं होगा। इस धड़े का यह भी मानना है कि यदि एमजे अकबर पर कार्रवाई होती है तो केंद्र सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के खिलाफ मीटू को हथियार बनाते हुए एक श्रृंखला न खड़ी कर दे।
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#metoo के मामले में दूसरे धड़े का यह मानना है कि मोदी की मिस्टर क्लीन की इमेज बरकरार रखने के लिए और आगामी चुनाव पर पड़ने वाले असर को देखते हुए फिलहाल इस्तीफा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इन लोगों का यह भी मानना है कि यदि एमजे अकबर से इस्तीफा नहीं लिया जाता है तो इसका खमियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। जिसकी भरपाई करने में मुश्किल आएगी।
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सूत्रों का यह भी कहना है कि इस मामले में एमजे अकबर की सफाई बेमानी है। फिलहाल इस्तीफा लेकर जांच कमेटी गठित कर दी जाए। यदि जांच में वह निर्दोष पाए जाते हैं तो उन्हें फिर से पदभार सौंपा जा सकता है।