Women Reservation Bill: मणिपुर, अडानी, महंगाई, बेरोजगारी… सारे मुद्दे हुए किनारे,पीएम मोदी के एक दांव से बदली संसद में बहस की दिशा, अब क्रेडिट लेने की जंग
Women Reservation Bill: दरअसल कांग्रेस नेताओं को पता है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के अन्य शीर्ष नेता अपनी जनसभाओं में महिला आरक्षण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। वे इस मुद्दे पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को घेरने की कोशिश करेंगे।
Women Reservation Bill: संसद के मानसून सत्र से विशेष सत्र के बीच गंगा में काफी काफी पानी बह चुका है। संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को समाप्त हुआ था और इस सत्र के दौरान मणिपुर,अडानी महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों की गूंज सुनाई पड़ी थी। यहां तक की विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक पेश कर दिया था। तीन दिनों तक 19 घंटे से अधिक समय तक इस पर चर्चा चली थी मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के बाद यह प्रस्ताव ध्वनिमत गिर गया था।
लोकसभा में विपक्ष की रणनीति जरूर फेल हुई मगर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने मुंबई की बैठक के बाद और तीखे तेवर अपना लिए। 2024 की सियासी जंग में पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार की तैयारी शुरू हो गई मगर पीएम मोदी ने विशेष सत्र बुलाकर एक बार फिर विपक्षी खेमे में खलबली मचा दी है। 27 वर्षों से अटके महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश करके पीएम मोदी ने ऐसा सियासी खेल खेला है जिसने बहस की सारी दिशा ही मोड़ दी है। अब कांग्रेस और भाजपा के बीच महिला आरक्षण का क्रेडिट लेने की जंग छिड़ती नजर आ रही है।
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अधीर रंजन ने कर डाला बड़ा दावा
मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए महिला आरक्षण बिल ने कांग्रेस को किस तरह चिंता में डाल दिया है, इसका नजारा लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के दावे से साफ हो गया। चौधरी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल कभी राज्यसभा में पास होता था तो लोकसभा में गिर जाता था और यदि लोकसभा में पास होता था तो राज्यसभा में गिर जाता था। उन्होंने दावा किया कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए कांग्रेस ने इस बिल को लोकसभा में पास कराया था।
कांग्रेस नेता ने यहां तक दावा कर डाला कि मनमोहन सरकार के समय महिला आरक्षण का जो बिल आया था, वह आज तक जीवित है। इस बिल को राज्यसभा की ओर से पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस बिल को मंजूरी देने की मांग की गई थी। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बिल के महत्व के संबंध में पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था। चौधरी के बयान पर भाजपा सांसदों ने खूब हंगामा किया।
चौधरी के दावे पर शाह का पलटवार
चौधरी के इस बयान पर गृह मंत्री अमित शाह आगबबूला हो गए। उनका कहना था कि चौधरी ने तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल गलत बयान दिया है। उन्होंने अपने बयान में दो तथ्यात्मक गलतियां की हैं। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए या सबूत लाकर सदन के पटल पर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि महिला आरक्षण बिल कभी लोकसभा में पारित हुआ था।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि चौधरी ने यह कहकर भी गलतबयानी की है कि पुराना महिला आरक्षण बिल लोकसभा में अभी भी जीवित है। इस संबंध में में मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि 2014 में लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह विधेयक समाप्त हो गया है।
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दूसरे मुद्दे हुए किनारे,अब क्रेडिट की जंग
विपक्ष के नेता और गृह मंत्री के इन बयानों से साफ है कि कांग्रेस संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का श्रेय खुद लेना चाहती है जबकि भाजपा इसके लिए कतई तैयार नहीं है। कांग्रेस और विपक्ष के अन्य दलों की यह चिंता अनायास नहीं है। दरअसल मोदी सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर एक ऐसा सियासी दांव चल दिया है जिसने राजनीतिक बहस का मुद्दा ही बदल दिया है।
संसद के विशेष सत्र की शुरुआत से पूर्व कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी मोदी को चिट्ठी लिखी थी और इस चिट्ठी में उन्होंने मणिपुर,महंगाई, बेरोजगारी और अडानी जैसे मुद्दे उठाते हुए संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार को घेरने का संकेत दिया था। अब मोदी सरकार ने ऐसा सियासी दांव चल दिया है कि कांग्रेस भी सारे मुद्दे छोड़कर अब महिला आरक्षण बिल का क्रेडिट लूटने में ही जुट गई है।
पीएम मोदी ने भाजपा की धुर विरोधी माने जाने वाली पार्टी कांग्रेस को भी ऐसा उलझा दिया है कि कांग्रेस भी अब महिला आरक्षण बिल को अपना कदम बताते हुए मोदी सरकार की रणनीति को फेल करने की कोशिश करती हुई दिख रही है।
मंजूरी के बाद भी लागू होने में लगेगा वक्त
हालांकि संसद की मंजूरी के बाद भी महिला आरक्षण बिल को लागू करने में अभी वक्त लगेगा। फिलहाल इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया है जहां से पारित होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। भाजपा और कांग्रेस समेत कई दलों के इसके समर्थन में होने के कारण इस बार इसके पारित होने की उम्मीद जताई जा रही है। वैसे इस बिल के लागू होने में अभी समय लगने वाला है। जनगणना और परिसीमन के बाद ही यह बिल लागू हो पाएगा और ऐसे में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का तो कहना है कि 2029 से पहले महिला आरक्षण का यह बिल लागू नहीं हो पाएगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का भी कहना है कि 2027 या 2028 में जनगणना होगी और उसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उसके बाद ही महिला आरक्षण बिल को लागू किया जाएगा। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि जब इस बिल को लागू करने में अभी इतना वक्त लगने वाला है तो कांग्रेस की चिताओं का आखिरकार कारण क्या है।
भाजपा करेगी भुनाने की कोशिश
दरअसल कांग्रेस नेताओं को पता है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के अन्य शीर्ष नेता अपनी जनसभाओं में महिला आरक्षण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। वे इस मुद्दे पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को घेरने की कोशिश करेंगे।
पीएम मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं को बड़े मुद्दे को सियासी रूप से भुनाने की कला बखूबी आती है। यही कारण है कि भाजपा को महिला मतदाताओं का समर्थन और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
भाजपा की रणनीति से विपक्ष में खलबली
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार की ओर से मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से आजादी दिलाने वाला बिल लाया गया था।। 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की अगुवाई में भाजपा को मिली बड़ी जीत में महिलाओं के समर्थन की बड़ी भूमिका मानी गई थी। कहा तो यहां तक जाता है कि कई इलाकों में मुस्लिम महिलाओं का भी समर्थन पीएम मोदी को हासिल हुआ था।
ऐसे में महिला आरक्षण बिल को लागू करने में भले ही अभी कुछ वक्त लगे मगर 2024 की सियासी जंग में भाजपा इसका बड़ा फायदा उठा सकती है। यही कारण है कि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों में खलबली मची हुई है और पीएम मोदी ने राजनीतिक विमर्श की पूरी दिशा ही मोड़ने में कामयाबी हासिल की है। पीएम मोदी पहले से ही महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर फोकस करते रहे हैं और ऐसे में उनका यह दांव 2024 की जंग में कारगर साबित हो सकता है।