2024 Lok Sabha Elections: मोदी सरकार का बड़ा कदम ! संसद के विशेष सत्र में ला सकती है 'एक देश-एक चुनाव' बिल

One Nation One Poll Bill: संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा। जानकार बताते हैं केंद्र सरकार संसद के इस सत्र में 'एक देश-एक चुनाव' का बिल ला सकती है। पीएम मोदी का इस दिशा में शुरुआत से ही जोर रहा है।

Update:2023-08-31 19:02 IST
One Nation One Poll Bill (Social Media)

One Nation One Election Bill : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार (31 अगस्त) को संसद के विशेष सत्र का ऐलान कर देशवासियों ही नहीं राजनीतिक दलों को भी चौंका दिए। विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक 5 बैठकों के लिए बुलाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है कि, केंद्र सरकार संसद के इस सत्र में 'एक देश-एक चुनाव' (One Nation One Election Bill) का बिल ला सकती है।

जानकार बताते हैं 'एक देश-एक चुनाव' के लिए सरकार को अनुच्छेद- 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद से ही देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर चर्चा जोरों पर रही है। उनका तर्क है कि इस कदम से चुनाव कराने की लागत कम होगी और समय भी बचेगा।

केंद्र का समर्थन, कई दल विरोध में

देश में काफी वक़्त से 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बहस जारी है। इसी साल जनवरी महीने में विधि आयोग (law commission) ने इसे लेकर राजनीतिक दलों से 6 सवालों के जवाब मांगे थे। एक तरफ, केंद्र सरकार इसे लागू कराना चाहती है, जबकि कई राजनीतिक पार्टियां इसके विरोध में हैं।'

राज्यसभा में क्या बोले थे PM मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'एक देश एक चुनाव' के संबंध में राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा था, 'सीधे कह देना कि हम इसके पक्षधर नहीं हैं। आप इस पर चर्चा तो करिए भाई। आपके भी विचार होंगे। उन्होंने कहा, हम चीजों को स्थगित क्यों करते हैं। मैं मानता हूं जितने भी बड़े राजनेता हैं, उन्होंने कहा है कि यार इस बीमारी से मुक्त होना चाहिए। 5 साल में एक बार चुनाव हों, महीना-दो महीना चुनाव उत्सव चले। उसके बाद फिर काम में लग जाएं। ये बात सबने बताई है। सार्वजनिक रूप से स्टैंड लेने में दिक्कत होती होगी।'

1967 तक देश में एक साथ चुनाव आम बात थी

गौरतलब है, इस वर्ष चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना हैं। अगले साल 2024 लोकसभा चुनाव होने हैं। 'एक देश-एक चुनाव' का विचार कम से कम 1983 से ही अस्तित्व में है, जब चुनाव आयोग ने पहली बार इस पर विचार किया था। आपको बता दें, 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव आम बात थी। लेकिन, 1968 और 1969 में कुछ राज्यों की विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने की वजह से यह चक्र बाधित हो गया। 1970 में लोकसभा चुनाव समय से पहले ही भंग हो गई थी। 1971 में फिर चुनाव हुए। इस तरह से पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा को पूरे 5 साल का कार्यकाल मिला।

22वें लॉ कमीशन ने पूछे थे गंभीर सवाल

22वें लॉ कमीशन (22nd Law Commission) ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर राजनीतिक पार्टियों, चुनाव आयोग (EC) और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी संगठनों से इसे लेकर उनकी राय मांगी थी। विधि आयोग ने पूछा था कि, क्या एक साथ चुनाव कराना किसी भी तरह से लोकतंत्र, संविधान के मूल ढांचे या देश के संघीय ढांचे के साथ खिलवाड़ है? इतना है नहीं कमीशन ने ये भी पूछा था कि, त्रिशंकु विधानसभा (Hung Assembly) या आम चुनाव में त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में जब किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत ना हो तो चुनी गई संसद या विधानसभा के स्पीकर की ओर से प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जा सकती है?

अब देखना होगा कि, संसद के विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार किन मुद्दों और बिल को पेश करती है। बता दें, ये विशेष सत्र संसद के नए भवन में चलेगा। 18 से 22 सितंबर को 5 बैठकों के लिए बुलाया गया है।

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