मौत के बाद शवों को मिले सम्मान, मोहम्मत ख़ालिद ने पेश की मिसाल

हज़ारीबाग़ मुर्दा कल्याण समिति के संस्थापक मोहम्मद ख़ालिद पिछले 14 सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में जब लोग अपनों से दूरी बना रहे हैं।

Update:2020-10-04 12:41 IST
मौत के बाद शवों को मिले सम्मान, मोहम्मत ख़ालिद ने पेश की मिसाल (social media)

रांची: जिस मज़हब में मौत के बाद भी जिस्म को जलाने का रिवाज़ नहीं है। उस धर्म के मानने वाले मोहम्मद ख़ालिद कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। राजधानी में जब संक्रमित शवों को जलाने के लिए आगे कोई नहीं आया तब मारवाड़ी सहायक समिति और रांची ज़िला प्रशासन की तरफ से मोहम्मद ख़ालिद को हज़ारीबाग़ से रांची बुलाया गया। वो कहते हैं कि, धर्म कोई भी हो लेकिन मरने के बाद शवों को सम्मान मिलना चाहिए।

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मुर्दा कल्याण समिति के संस्थापक हैं मो. ख़ालिद

हज़ारीबाग़ मुर्दा कल्याण समिति के संस्थापक मोहम्मद ख़ालिद पिछले 14 सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में जब लोग अपनों से दूरी बना रहे हैं। उस दौरान मोहम्मद ख़ालिद कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। दरअसल, रांची में मारवाड़ी सहायक समिति द्वारा मुक्तिधाम में कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई लेकिन शवों को जलाने के लिए कोई आगे नहीं आया। समिति के साथ ही ज़िला प्रशासन के लिए शवों का अंतिम संस्कार एक बड़ी चुनौती थी। लिहाज़ा, हज़ारीबाग़ के रहने वाले मोहम्मद ख़ालिद को रांची बुलाया गया तब जाकर शवों का अंतिम संस्कार शुरू हुआ। जो अब बदस्तूर जारी है।

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अपनों ने किया किनारा तो मो. ख़ालिद का मिला सहारा

रांची में जैसे-जैसे कोरोना का संक्रमण बढ़ता गया मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया। लिहाज़ा, मुक्तिधाम में शवों का अंतिम संस्कार करने वाले स्थानीय कल्लू को कोरोना का भय सताने लगा और वो बिना किसी को कुछ बताए ग़ायब हो गए। बाद में मोहम्मद ख़ालिद को हज़ारीबाग़ से रांची बुलाया गया। हालांकि, इस बीच कल्लू भी रांची पहुंच गये और शवों के अंतिम संस्कार में हाथ बंटाने लगे। वो कहता है कि, मोहम्मद ख़ालिद का साथ मिलने से शवों के अंतिम संस्कार में मदद मिली है। वो जानते हैं कि, ऐसे बुरे वक्त में परिवार को किस तरह समझाया जाता है।

अपनों ने फेरा मुंह, तो मो. ख़ालिद रहे मौजूद

मोहम्मद ख़ालिद अबतक सैंकड़ों शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। कहते हैं कि, कोरोना संक्रमण का उन्हे भी डर है लेकिन वो पूरी एहतियात के साथ शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि, जब समाज में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नफरत फैलाई जा रही हो वैसे समय में मोहम्मद ख़ालिद लोगों के सामने मिसाल पेश कर रहे हैँ। उनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। कोरोना से होने वाली मौत के बाद परिवार वाले भी मुंह फेर लेते हैं कि, लेकिन ख़ालिद साहब वहां मौजूद रहते हैं।

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कोरोना महामारी की जकड़ में झारखंड

झारखंड में कोरोना महामारी तेज़ी के साथ पांव पसार रहा है। 02 अक्टूबर तक राज्य में संक्रमित मरीज़ों की संख्या 85 हज़ार के पार कर गई है। अबतक 729 मरीज़ों ने दम तोड़ा है। सबसे बुरी हालत राजधानी रांची की है जहां कोविड-19 के मरीज़ों की तादाद 19 हज़ार को पार कर गई है। ऐसी स्थिति में संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार भी ज़िला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है जिसे मोहम्मद ख़ालिद जैसे लोगों ने कम करने की कोशिश की है।

शाहनवाज़

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