MS Swaminathan Death: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन, खाद्यान मामले में देश को बनाया था आत्मनिर्भर

MS Swaminathan Death: स्वामीनाथन ने आज सुबह चेन्नई में जब अंतिम सांस ली तो उस वक्त उनकी उम्र 98 वर्ष थी। उन्होंने धान और गेहूं की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को डेवलप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका परिणाम है कि आज भारत विश्व में खाद्यान मामले में आत्मनिर्भर है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-09-28 14:19 IST

MS Swaminathan  (photo: social media )

MS Swaminathan Death: महान कृषि वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन का आज यानी गुरूवार 28 सितंबर को निधन हो गया। स्वामीनाथन ने आज सुबह चेन्नई में जब अंतिम सांस ली तो उस वक्त उनकी उम्र 98 वर्ष थी। उन्होंने धान और गेहूं की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को डेवलप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका परिणाम है कि आज भारत विश्व में खाद्यान मामले में आत्मनिर्भर है।

कभी अमेरिकी से आने वाले घटिया श्रेणी के गेहूं पर निर्भर रहने वाला भारत आज दूनिया के अन्य देशों में रह रहे लोगों के पेट भरता है। इस बड़ी सफलता का श्रेय महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को ही जाता है। भारत में ज्यादातार सीमांत किसान हैं, जिनके पास खेत कम हैं। ऐसे किसानों को हरित क्रांति से खासतौर पर फायदा हुआ क्योंकि वे कम खेत में ही ज्यादा फसल पैदा करने लगे।

पीएम मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के निधन पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर स्वामीनाथन के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में, कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।

कहां से सफर की हुई शुरूआत ?

एमएस स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुम्भकोणम में 7 अगस्त 1925 को हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन हैं। वे पौधों के जेनेटिक के वैज्ञानिक थे। उन्होंने केरल के तिरूवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से जूलॉजी और कोयंबटूर कृषि विश्वविद्यालय से कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने साल 1949 में भारतीय कृषि अनुंसधान संस्थान (आईएआरआई) से कृषि विज्ञान में एमएससी और साल 1952 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी की।

साल 1954 में स्वामीनाथन आईएआरआई नई दिल्ली के संकाय में शामिल हो गए। इसके बाद वे साल 1961 से लेकर 1972 तक आईएआरआई के निदेशक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक पद पर रहे। साल 1972 से लेकर 1979 तक वो भारत सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग में सचिव के पद पर रहे। 1979-80 तक वे कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव के पद पर रहे। 1980 से 1982 तक वे योजना आयोग में भी रहे। इसके बाद साल 1982 से लेकर 1988 तक फिलीपींस में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में महानिदेशक के तौर पर काम किया। साल 1988 में उन्होंने चेन्नई में एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित

कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वे 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार, 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार, शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार, फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट फोर फ्रीडम मेडल और 2000 में यूनेस्को का महात्मा गांधी पुरस्कार और 2007 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुके हैं। 1967 में उन्हें पद्मश्री, 1972 में उन्हें पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से भारत सरकार ने सम्मानित किया था।

बता दें कि स्वामीनाथन के परिवार में उनकी पत्नी मीना और तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं।

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