AIMP Law Board Meeting: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अहम बैठक, महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ दायर होगी याचिका
AIMP Law Board Meeting: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून से टकराता है। यह फैसला आम आदमी के हक में नहीं है और हम इसे चुनौती देंगे।
Muslim Personal Law Board Meeting: सुप्रीम कोर्ट की ओर से मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आज दिल्ली में बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में देशभर के 50 से अधिक धार्मिक गुरुओं और कानून के जानकारों ने हिस्सा लिया। बैठक में पारित प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बताया गया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून से टकराता है। यह फैसला आम आदमी के हक में नहीं है और हम इसे चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि अगर किसी मर्द को पता होगा कि उसे गुजारा भत्ता देना है तो वह तलाक नहीं देगा और महिला को बिना तलाक के ही परेशान करता रहेगा। इसलिए इस फैसले को महिलाओं के हक में नहीं माना जा सकता।
मुसलमान शरिया कानून का पाबंद
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस महत्वपूर्ण बैठक में आठ प्रस्तावों पर चर्चा हुई मगर सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा सुप्रीम कोर्ट का मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने संबंधी फैसला था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता कासिम ने कहा कि मुसलमान शरिया कानून का पाबंद है मगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून से कांफ्लिक्ट पैदा करने वाला है। मुसलमान शरिया से अलग हटकर कोई काम नहीं कर सकता।
फैसले के खिलाफ दायर होगी याचिका
उन्होंने कहा के संविधान में मजहब के अनुरूप जिंदगी गुजारने का मौलिक अधिकार मिला हुआ है मगर यह फैसला इसके खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं की दिक्कत आने वाले समय में और बढ़ जाएगी क्योंकि उन्हें और परेशानी झेलनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि बैठक में इस मुद्दे पर गहराई से मंथन किया गया है और इस बाबत प्रस्ताव भी पारित किया गया है। हम कोशिश करेंगे कि किस तरह इस फैसले को रोलबैक किया जाए। इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।
यूसीसी को भी चुनौती देने का फैसला
उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमान शरियत को मानते हैं और गुजारा भत्ता देने का फैसला पूरी तरह शरियत के खिलाफ है। सैयद कासिम ने कहा कि भारत में हिंदुओं के लिए कानून है, हमारे लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ है। यह आजादी भारत का संविधान देता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले समय में मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ी मुसीबत बन जाएगा।
बैठक के दौरान समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर भी चर्चा की गई। यूसीसी के संबंध में भी बैठक के दौरान प्रस्ताव पारित किया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि हम उत्तराखंड के इस कानून को चुनौती देंगे। उत्तराखंड के लोगों को यूसीसी से परेशानी होगी। यदि केंद्र या राज्य सरकार इस दिशा में कोई कदम उठाना चाहती है तो उसे इस तरह के कदम से बचना चाहिए।
वक्फ बोर्ड कानून पर भी चर्चा
इसके साथ ही बैठक में वक्फ बोर्ड कानून को लेकर भी चर्चा की गई। बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि अगर इस कानून को खत्म करने की कोशिश की गई तो हम इसका विरोध करेंगे। हमने बाबरी मस्जिद के फैसले को आज तक स्वीकार नहीं किया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण नहीं किया गया। 1991 के वर्शिप एक्ट के कारण हमें उम्मीद थी कि इस तरह के मामले रुकेंगे मगर इस तरह के मामलों पर विराम नहीं लग पा रहा है।
फैसले से मुस्लिम संगठनों में जबर्दस्त बेचैनी
मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम संगठनों में जबर्दस्त बेचैनी दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुसार नागरिकों में कानून के आधार पर भेदभाव न करने तथा सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हवाला देते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है। यह फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजारा भत्ता महिलाओं के लिए भीख नहीं है बल्कि यह उनका अधिकार है।
मुस्लिम संगठनों को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रास नहीं आ रहा है क्योंकि शरिया कानून के अनुसार तलाक़ के बाद महिलाओं को सिर्फ तीन महीने तक ही पूर्व पति की ओर से गुजारा भत्ता दिए जाने का प्रावधान है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया गया है।