पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके सहयोगी मंत्री नवजोत सिद्धू के बीच विवाद गहरा गया है। दोनों नेताओं के बीच जंग इस मोड़ पर पहुंच चुकी है कि अब दोनों का एक साथ काम करना मुश्किल लगता है। दोनों के बीच विवाद का ही नतीजा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धू पूरे देश में तो कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रचार करते रहे मगर वे पंजाब से कटे-कटे से रहे। बताया जाता है कि ऐसा सीएम अमरिंदर सिंह के दबाव के कारण हुआ। उन्होंने हाईकमान से बात कर सिद्धू को पंजाब में सक्रिय होने से रोक दिया। चुनाव प्रचार बीतने के बाद अब नवजोत सिद्धू ने एक बार फिर विरोध का मोर्चा खोल दिया है और इस बार उनका टारगेट हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह, जिन पर वह लगातार तंज कर रहे हैं।
कैप्टन के खिलाफ आर-पार की जंग
अब सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ आर-पार की जंग छेड़ दी है। मुख्यमंत्री और सिद्धू के बीच मतभेद पिछले साल अगस्त में सामने आए थे, जब सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने गए थे। वहां उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को गले लगाया। इस पर कैप्टन ने सार्वजनिक रूप से नाखुशी जाहिर की थी। इस घटना के कुछ महीनों बाद सिद्धू ने फिर एक बयान में कहा कि कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ही उनके कैप्टन हैं और अमरिंदर सिंह तो सेना के कैप्टन रहे हैं।
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पत्नी का टिकट कटने पर बढ़ी नाराजगी
सिद्धू और कैप्टन के बीच विवाद उस समय गहराया जब उनकी पत्नी को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट नहीं मिला। पिछले सप्ताह सिद्धू की पत्नी ने आरोप लगाया कि कैप्टन और पंजाब मामलों की पार्टी प्रभारी आशा कुमारी के कहने पर उनका टिकट काटा गया है। इसे लेकर विवाद बढऩे पर सिद्धू ने अप्रत्यक्ष रूप कैप्टन पर हमला बोलते हुए कहा कि उनकी पत्नी झूठ नहीं बोलतीं। उनकी पत्नी चुनाव लडऩा चाहती थी मगर राज्य के नेताओं के कहने पर ही टिकट काट दिया गया। फिर 17 मई को सिद्धू ने राज्य में कांग्रेस सरकार को धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मुद्दे पर घेरते हुए सवाल किया था कि 2015 की बेअदबी और गोलीबारी की घटनाओं के संबंध में बादल के खिलाफ कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई? क्या कोई फ्रेंडली मैच चल रहा है। सिद्धू ने यहां तक कह डाला कि अगर 2015 की बेअदबी की घटनाओं पर कार्रवाई नहीं होती है तो वे इस्तीफा दे देंगे।
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मंत्रियों ने भी खोला मोर्चा
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मुखर होने के बाद पंजाब के मंत्रियों ने भी सिद्धू के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा और सुखजिंदर सिंह रंधावा के बाद वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने कहा कि सिद्धू अगर कैप्टन के साथ काम नहीं कर सकते तो उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। कैप्टन का भी कहना है कि सिद्धू महत्वाकांक्षी हैं और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं। उनकी बयानबाजी से पार्टी को नुकसान हो रहा है। उन्हें पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए। इसके अगले दिन धर्मसोत ने कहा कि सिद्धू की हालिया टिप्पणी पार्टी अनुशासन के खिलाफ है और पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर सिद्धू को लगता है कि वह कैप्टन अमरिंदर के साथ काम नहीं कर सकते तो उन्हें मंत्री पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सिद्धू की महत्वाकांक्षाएं बहुत अधिक हैं और वे जहां भी जाते हैं, वहां संतुष्ट नहीं रहते हैं। जब वह भाजपा में थे तब वहां भी संतुष्ट नहीं थे। आज वह मुख्यमंत्री पद पर नजरें गड़ाए हुए हैं, कल प्रधानमंत्री की कुर्सी भी उन्हें संतुष्ट नहीं कर सकती। यही कारण है कि उन्हे हर जगह समस्याएं रहती हैं।
इमरान की पार्टी में चले जाएं सिद्धू
इस बीच हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने फिर सिद्धू पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू सभी पार्टियों से अपमानित हो चुके हैं। उनके पास अब एक ही विकल्प बचा है कि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी में शामिल हो जाएं। विज ने कहा सिद्धू को उनकी पार्टी के नेता भी अब उन्हें पार्टी से निकाले जाने की वकालत करने लगे हैं। पंजाब कांग्रेस के बीच चल रही आपसी जंग पर कटाक्ष करते हुए विज ने कहा कि वैसे भी सिद्धू के इमरान खान के साथ अच्छे संबंध हैं और वे पाकिस्तान जाकर इमरान खान की भाषा बोलने के साथ ही उनके साथ गलबहियां डालते हैं । सिद्धू के भाजपा में शामिल किए जाने की संभावनाओं पर सवाल पर विज ने कहा कि सच्चाई यह है कि सिद्धू किसी पार्टी के काबिल नहीं। लिहाजा उन्हें इमरान खान की पार्टी ही चुन लेनी चाहिए।