ऑनलाइन FIR की सुविधा और डिजिटल रिकॉर्ड्स को वैधता, सजा व इंसाफ पर जोर, जानिए नए कानून में क्या-क्या हुआ बदलाव

New Criminal Laws: संसद में तीनों कानून को मंजूरी मिलने के बाद अब इन कानून पर अमल की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-07-01 15:05 IST

New Criminal Laws in india  (photo: social media )

New Criminal Laws: देश की कानून प्रणाली में आज से बड़ा बदलाव लागू हो गया है। अंग्रेजों के समय से लागू आईपीसी,सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में अब बड़ा बदलाव किया गया है। उनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू किया गया है। इन तीनों कानून को पिछले साल दिसंबर में संसद से पारित किया गया था और अब आज से इन्हें लागू कर दिया गया है।

देश को 1947 में आजादी हासिल हुई थी मगर आज भी देश में औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानून ही लागू थे। हालांकि बीच-बीच में इनमें संशोधन भी जरूर किया गया मगर लंबे समय से इन कानून में बदलाव की मांग की जा रही थी। संसद में तीनों कानून को मंजूरी मिलने के बाद अब इन कानून पर अमल की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। हालांकि विपक्ष की ओर से इन कानून को लेकर तमाम सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं मगर सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि यह भारतीयों की ओर से भारत के लिए बनाए गए कानून हैं और संसद की मंजूरी के बाद ही इन्हें लागू किया गया है।

ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा

नए कानून के तहत कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कर सकता है। इसके जरिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने में मदद मिलेगी और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिए समन भी भेजे जा सकेंगे। किसी मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए पीड़ित को थाने का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। पुलिस थाने पर गए बिना भी पीड़ित व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकता है। इससे केस तुरंत दर्ज करने में मदद मिलेगी और पुलिस को भी एक्शन लेने के लिए वक्त मिल जाएगा।

कोई भी व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाय किसी दूसरे थाने में भी एफआईआर दर्ज करा सकता है। आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी लेने का अधिकार भी होगा।


डिजिटल रिकॉर्ड्स को भी कानूनी वैधता

देश में लागू किए गए नए कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को भी शामिल किया गया है। दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य के साथ मेल और मैसेजेस को भी कानूनी वैधता प्रदान दी गई है।

इसके पीछे सरकार की ओर से मजबूत तर्क भी दिया गया है। सरकार का कहना है कि इस प्रणाली को लागू करने से अदालतों को कागजों के बोझ से बचाने में मदद मिलेगी।


सुनवाई खत्म होने पर 45 दिनों में फैसला

नए कानून के लागू होने से अदालतों की कार्यप्रणाली में भी बड़े बदलाव की उम्मीद है। अब आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर फैसला आ जाएगा। इसके साथ ही पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। सभी राज्य सरकारों को भी गवाहों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।

इसके अलावा एक बड़ा बदलाव यह भी नजर आएगा कि लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे। इससे सामान्य की भावना को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है। कोई भी गंभीर अपराध होने की स्थिति में फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाकर साक्ष्य इकट्ठा करना अनिवार्य बना दिया गया है।


छलपूर्वक संबंध बनाना पड़ेगा काफी महंगा

कई नए अपराधों को भी भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है। उदाहरण के तौर पर धारा 69 का उल्लेख किया जा सकता है। इस धारा में ‘छलपूर्वक’ यौन संबंध बनाने के केस में सजा का प्रावधान किया गया है। इस सेक्शन में कहा गया है कि यदि कोई शख़्स ‘छलपूर्वक साधन’ या किसी महिला से शादी करने का वादा कर (जिसे पूरा करने का कोई इरादा नहीं है) उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे दस साल तक की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है। ‘छलपूर्वक साधन’ में रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, किसी तरीके का दबाव डालना या असली पहचान छिपाकर शादी करना भी शामिल है।


संगठित अपराध पर मिलेगी कड़ी सजा

भारतीय न्याय संहिता में एक और महत्वपूर्ण बदलाव संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे अपराधों को शामिल करना है। पहले इन अपराधों को अलग-अलग कानून के दायरे में शामिल किया गया था। जैसे- आतंकवाद के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम या UAPA और राज्य के अपने कानून जैसे- महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम।

संगठित अपराध से मौत होने की स्थिति में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। 10 लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसे अपराधों में मदद करने वालों के लिए भी सजा तय की गई है। छोटी संगठित आपराधिक गतिविधियों में सात साल तक की सजा मिलेगी।


लिंचिंग की घटनाएं रोकने की मजबूत पहल

भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 के तहत पहली बार जाति, नस्ल या समुदाय के आधार पर की गई हत्या को एक अलग अपराध के रूप में मान्यता दी गई है। ऐसे अपराधों के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा तय की गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में केंद्र सरकार को लिंचिंग के लिए एक अलग कानून पर विचार करने का निर्देश दिया था। हाल के वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में मॉब लिंचिंग की अनेक घटनाएं हुई हैं। इस नए कानून के जरिए इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने में मदद मिलने की संभावना है।


आतंकवाद की पहली बार व्याख्या

नए कानून में पहली बार आतंकवाद की व्याख्या की गई है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति भारत की एकता,अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को संकट में डालने या संकट में डालने की मंशा से कोई काम करता है तो वह आतंकवाद की श्रेणी में आएगा।

इसके साथ ही लोगों में आतंक फैलाने के मंसूबे से बम, डायनामाइट, विस्फोटक पदार्थ, विषैली गैसें या रेडियोधर्मी पदार्थ का इस्तेमाल भी आतंकवाद ही माना जाएगा। आतंकवादी गतिविधियों के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है और इसमें कोई पैरोल नहीं मिलेगा।


नाबालिग पत्नी से संबंध को माना जाएगा रेप

नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना भी अब महंगा पड़ेगा। भारतीय न्याय संहिता में नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध को भी रेप के दायरे में लाया गया है। नए कानूनों की एक और मुख्य बात यह है कि इसमें कुछ अपराधों के दंड की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत शामिल है। इनमें छोटी चोरी, मानहानि, और किसी सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने की नीयत से आत्महत्या का प्रयास जैसे कदम शामिल हैं।


स्नेचिंग या छिनैती पर तीन साल तक की सजा

भारतीय न्याय संहिता में पहली बार चेन स्नेचिंग को भी नए अपराध की कैटेगरी में शामिल किया गया है। संहिता की धारा 304(1) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यदि कोई अपराधी चोरी करने के इरादे से किसी व्यक्ति के कब्जे से उसकी चल संपत्ति जबर्दस्ती छीन लेता है/पकड़ लेता है/ या हथिया लेता है तो इस कानून के दायरे में आएगा। चोरी और छिनैती की घटनाओं में तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है।




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