कांग्रेस राज्य सरकारों की तैयारी, उठाने जा रहे ये कदम, मोदी सरकार की बढ़ी मुसीबत

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बाबत बताया कि कांग्रेस शुरू से ही मोदी सरकार की ओर से उठाए जाने वाले इन कदमों का जोरदार विरोध कर रही थी।

Update:2020-09-29 08:59 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने आर-पार की जंग लड़ने का मूड बना लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बड़ा कदम उठाते हुए कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों से कहा है कि वे इस कानून को निष्प्रभावी बनाने के लिए अपने यहां कानून पारित करने की संभावना पर विचार करें। पार्टी अध्यक्ष ने कांग्रेस सरकारों से संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करने को कहा है। पंजाब सहित कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में इस कानून का पहले ही जोरदार विरोध किया जा रहा है।

कांग्रेस शासित राज्यों को मिलेगी राहत

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बाबत बताया कि कांग्रेस शुरू से ही मोदी सरकार की ओर से उठाए जाने वाले इन कदमों का जोरदार विरोध कर रही थी। वेणुगोपाल ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने जिस अनुच्छेद का उल्लेख किया है, वह अनुच्छेद राज्य के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण करने वाले केंद्रीय कानूनों को नकारने के लिए विधानसभाओं को कानून पारित करने की अनुमति देता है।

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कांग्रेस शासित राज्य नहीं लागू करेंगे कृषि कानून बिल (फाइल फोटो)

वेणुगोपाल ने दावा किया कि इस कदम से कांग्रेस शासित राज्यों में कृषि संबंधित कानूनों को अस्वीकार करने एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार करने में कामयाबी मिलेगी। इससे इन राज्यों के किसानों को काफी राहत मिलेगी। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मोदी सरकार और भाजपा की ओर से किसानों के साथ घोर अन्याय किया गया है और कांग्रेसी शासित सरकारों की ओर से नया कानून पारित करने के बाद राज्यों के किसानों को इस अन्याय से मुक्ति मिल जाएगी।

कांग्रेस और मोदी सरकार में नई जंग की शुरुआत

कांग्रेस शासित राज्य नहीं लागू करेंगे कृषि कानून बिल (फाइल फोटो)

मौजूदा समय में पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारें काम कर रही हैं। इनके अलावा झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा है। इन राज्यों में करीब डेढ़ करोड़ से अधिक किसान रहते हैं। कांग्रेसी सरकारों के इस कदम से कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच नई जंग की शुरुआत हो सकती है। संसद के मानसून सत्र के दौरान किसानों से जुड़े तीन विधेयकों को मंजूरी दी गई थी।

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राज्यसभा में इन विधेयकों पारित कराने के दौरान विपक्ष की ओर से जमकर हंगामा भी किया गया था मगर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने ध्वनिमत से इन विधेयकों को पारित करा दिया था। बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को इन विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब ये तीनों विधेयक कानून बन गए हैं।

पंजाब सरकार देगी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

कांग्रेस शासित राज्य नहीं लागू करेंगे कृषि कानून बिल (फाइल फोटो)

उधर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि नए कृषि कानून उन्हें मंजूर नहीं है और उनकी सरकार इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को लेकर पंजाब के किसानों में काफी असंतोष और नाराजगी है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसका फायदा उठा सकती है।

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आईएसआई इसका फायदा उठाकर पूरे देश में गड़बड़ी पैदा करने की साजिश रच सकती है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और हमें यह कानून स्वीकार नहीं है। हम इस मामले को शीर्ष अदालत में ले जाएंगे।

कई राज्यों में किसानों का उग्र प्रदर्शन

कांग्रेस शासित राज्य नहीं लागू करेंगे कृषि कानून बिल (फाइल फोटो)

इस बीच नए कृषि कानून को लेकर देश के किसानों में गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को दिल्ली में इंडिया गेट के पास एक ट्रैक्टर फूंक दिया जबकि हरियाणा, पंजाब, गुजरात और कर्नाटक में भी किसानों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया। पंजाब में कई स्थानों पर किसानों ने रेल पटरियों पर कब्जा जमा लिया है और इस कारण कई ट्रेनें रद्द कर दी गई है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भी धरने पर बैठे

कांग्रेस शासित राज्य नहीं लागू करेंगे कृषि कानून बिल (फाइल फोटो)

पंजाब में किसानों के साथ एकजुटता जताने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी धरने पर बैठे। मुख्यमंत्री ने पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और सुनील जाखड़ के साथ खटकर कलां गांव जाकर शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी।

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और इसके बाद उन्होंने किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए वहां किसानों के साथ धरना भी दिया।

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