New Parliament Building: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन उद्घाटन का मामला, राष्ट्रपति को बुलाने की मांग

New Parliament Building: संसद भवन उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि नए संसद भवन उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न बुलाकर संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है।

Update:2023-05-25 18:50 IST
सुप्रीम कोर्ट ( सोशल मीडिया)

New Parliament Building: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर लगातार बवाल मचा हुआ है। कई राजनीतिक दलों ने 28 मई को होने वाले समारोह का बहिष्कार किया है। इसी बीच जानकारी मिल रही है कि संसद भवन उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि नए संसद भवन उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न बुलाकर संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है।

संविधान का हो रहा उलंघन

सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है। कहा गया है कि राष्ट्रपति को उद्घाटन समारोह से बाहर करके, सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। इसमें मांग की गई है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।

याचिककर्ता का क्या है तर्क

संविधान के आर्टिकल 79 का जिक्र करते हुए याचिकर्ता का कहना है कि संसद का अर्थ दोनों सदनों का प्रमुख राष्ट्रपति होता है। तीनों को मिलाकर ही संसद बनती है। देश का राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं और उसके कस्टोडियन हैं। याची ने कहा कि राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है, जो संसद के सत्र का शुभारंभ करते हैं। महामहिम ही प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट को शपथ दिलाते हैं। यही नहीं कोई भी विधेयक मंजूर होता है तो वह राष्ट्रपति के नाम पर ही होता है। ऐसे में राष्ट्रपति को आमंत्रित न करना न केवल उनका अपमान है बल्कि संविधान का भी उल्लंघन है।

28 मई को होना है शुभारंभ

नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। वहीं राष्ट्रपति के न बुलाने पर 19 दलों ने बायकॉय किया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी(आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आदि दलों ने विरोध किया है।

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