निहंग सिख बोले: नई पार्टी बनाएंगे, देश के अगले PM और राष्ट्रपति दोनों होंगे किसान
निहंग से अभिप्राय है ऐसे सिख से है जो पूर्ण रूप से दसम गुरु के आदेशों के लिए हर समय तत्पर रहते हैं और प्रेरणाओं से ओतप्रोत होते हैं। यह दसम गुरु के काल में यह सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी होते थे।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन आज भी जारी है। शुक्रवार को किसान आंदोलन 93वें दिन में प्रवेश कर गया है।
बड़ी तादाद में किसान बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान संगठन के नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार किसानों की मांगें पूरी नहीं करेगी। वे अपने घर लौटकर नहीं जाएंगे।
इस बीच सिंघु बॉर्डर से एक वीडियो जारी हुआ है, जिसमें निहंग सिख नेता बाबा राज सिंह कहते नजर आ रहे हैं कि अब उन्हें देश की किसी भी पार्टी पर भरोसा नहीं है,
इसलिए एक नई पार्टी बनाई जाएगी। इसमें सभी किसान मजदूर शामिल होंगे। अगला प्रधानमंत्री किसान होगा और राष्ट्रपति मजदूर।
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निहंग का धार्मिक इतिहास
निहंग से अभिप्राय है ऐसे सिख से है जो पूर्ण रूप से दसम गुरु के आदेशों के लिए हर समय तत्पर रहते हैं और प्रेरणाओं से ओतप्रोत होते हैं।
यह दसम गुरु के काल में यह सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी होते थे।
निहंग सिंह गुरु महाराजों द्वारा रची गई रचना साहिब और गुरु ग्रंथ साहिब के प्रहरी होते हैं। ये "सिख" और "गुरु ग्रंथ साहिब" की रक्षा आखरी सांस तक करते हैं । निहंग सिंह पूरी तरह सिख धर्म के लिए समर्पित होते हैं।
निहंगों को उनके आक्रामक व्यक्तित्व के लिए भी जाना जाता है। निहंग सिंहों के धर्म चिन्ह आम सिखों की अपेक्षा मज़बूत और बड़े होते हैं और जन्म से लेकर जीवन के अंत तक सिख धर्म के जितने भी संस्कार होते हैं उन्हें मर्यादानुसार निर्वहन करते हैं।
1708 में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब को गुरिआई बख्शकर पंथ को सदिवी तौर पर शबद गुरु सिद्धांत के साथ जोड़ा।
साथ ही कुछ संगठनों की स्थापना भी की। इन जत्थेबंदियों में से एक सिमौर संगठन है निहंग सिखों की जिसे गुरु की लाडली फोज भी कहा जाता है। जानकारों के मुताबिक निहंग शब्द फारसी से लिया गया है।
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निहंगों में हैं दो दल
कहा जाता है कि निहंग सिंहों में दो दल है। एक बाबा बुड्ढा और दूसरा तरना दल। इसमें तरना दल को गर्म ख्याली दल माना जाता है। इस दल के आगे कई छोटे-छोटे दल भी हैं।
गरुद्वारा प्रबंधन का कार्यभार देखने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से इस दल का कोई संबंध नहीं होता। निहंगों को अकाली भी कहा जाता है और वे श्री अकालतख्त के पुजारी होते हैं।
आपस में भी टकराते रहे हैं निहंग
गर्म ख्याली के तौर पर जाने जाते निहंगों का आपस में भी टकराव होता रहता है। अक्टूबर 2014 में बंदी छोड़ दिवस के दिन अमृतसर के रेलवे बी ब्लॉक की ग्राउंड में लुधियाना के दो निहंग सिंह संगठनों के बीच टकराव हो गया।
जिस समय यह घटना हुई उस समय परंपरागत ढंग से निहंग सिंहों की तरफ से महल्ला निकाला जा रहा था तभी तरना दल शहीद बाबा जीवन सिंह डेरा ताजपुर रोड (लुधियाना) व दशमेश तरना दल गुरुद्वारा बाबा जीवन सिंह सलेम टाबरी (लुधियाना) के बीच पहले तलवारें चलीं और बाद में गोलियां।
इससे वहां मौजूद हजारों लोगों में भगदड़ मची। दोनों गुटों के मुखी के सुरक्षा में तैनात पुलिस भाग खड़ी हुई। इस घटना में छह लोग घायल हो गए थे।
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