हमारे यहां हर किसी ने यह बात सुनी होगी कि रिश्ते तो भगवान की मर्जी के मुताबिक तय होते हैं। आदमी शादी के लिए कई जगहों पर दौड़ता है मगर आखिरकार रिश्ता वहीं तय होता है जहां तय होना किस्मत में लिखा होता है। लेकिन मुरुगवेल जानकीरमन की जिन्दगी की कहानी तो कुछ और ही बात कहती है। अब वे लोगों के रिश्ते तय कराने की महत्वपूर्ण कड़ी बन चुके हैं। पहले का जमाना कुछ और था। तब रिश्ते तय कराने में पंडितों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हुआ करती थी मगर समय के साथ अब जमाना भी बदल गया है। कम्प्यूटर के इस दौर में अब ढेर सारे रिश्ते ऑनलाइन तय होने लगे हैं।
लोगों को ऑनलाइन रिश्ते खोजने में सहूलियत भी महसूस होती है क्योंकि इसके लिए ज्यादा दौडऩा धूपना नहीं पड़ता और आसानी से एक से बढक़र एक रिश्तों का पूरा ब्योरा मिल जाता है। यही कारण है कि जानकीरमन लाइफपार्टनर ढूंढने में लोगों की मदद करते हुए अरबपति बन चुके हैं। हमेशा कुछ नया करने की सोच वाले जानकीरमन ने जोडिय़ां बनाने में लोगों की मदद के लिए भारत मेट्रीमनी डॉट कॉम की स्थापना की और आज कामयाबी की सीढिय़ा चढ़ते हुए वे इसी धंधे से 2200 करोड़ से ज्यादा की कंपनी के मालिक बन चुके हैं।
निवेशकों ने नकार दिया था प्रेजेंटेशन
वैसे जानकीरमन ने यह कामयाबी आसानी से नहीं हासिल की है। इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। यही कारण उनकी जिन्दगी की कहानी लोगों को जीवन में संघर्ष करने का संदेश देती है। उनकी जिन्दगी यह बताती है कि कुछ नया करने के लिए बस दिलो-दिमाग में एक जुनून होना चाहिए। मेहनत और जुनून से आदमी अपने हर सपने को पूरा करने में जरूर कामयाब होता है। जानकीरमन ने यह काम शौकिया तौर पर शुरू किया था।
खाली टाइम पास करने के लिए उन्होंने एनआरआई की शादी कराने के मकसद से एसवाईएस इंडिया डॉट कॉम की शुरुआत की। शादी के जोड़ों के बारे में जानकारी के लिए उन्होंने अपना नेटवर्क बनाया। जानकीरमन न्यूक्लीयस सॉफ्टवेयर नामक कंपनी में नौकरी कर रहे थे। नौकरी करने के साथ ही वे जीवन में कुछ अलग करने का सपना भी देखते रहते थे। अपने सपने को पूरा करने के लिए 1997 में उन्होंने इस नौकरी को छोडक़र एक बड़ा रिस्क लिया। इसके बाद जानकीरमन पूरी तरह से वेबसाइट का ही काम करने लगे। लेकिन उन्हें काम की शुरुआत में ही भारी झटका लगा।
निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उन्होंने 1999 में सिलीकॉन वैली में जाकर प्रेजेंटेशन दिया मगर निवेशकों ने इसे नकार दिया। जानकीरमन उन्हें प्रभावित करने में पूरी तरह नाकामयाब रहे।
नहीं मानी हार, घर तक रख दिया गिरवी
काम की शुरुआत में इतना भारी झटका लगने पर लोगों के हौसले टूट जाते हैं मगर जानकीरमन उन लोगों में नहीं थे। वे तो किसी और मिट्टी के बने थे। वे इतनी जल्दी हार मानने वाले लोगों में नहीं थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में खुद इस बात का खुलासा किया था जब उन्हें पैसा नहीं मिला तो उन्होंने कंपनी के लिए अपना घर तक गिरवी रख दिया। घर गिरवी रखने से उन्हें जो पैसा मिला उसे उन्होंने कंपनी में लगा दिया। किसी ने सही ही कहा है कि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं जो मुसीबतों से लडऩे का हौसला रखता है। जानकीरमन के साथ भी ऐसा ही हुआ। धीरे-धीरे उन्हें कामयाबी हासिल होने लगी और इससे कंपनी भी मजबूत होने लगी।
2001 में उन्होंने चेन्नई के अपने 300 वर्ग मीटर में फैले ऑफिस से मेट्रीमनी डॉट कॉम की शुरुआत की। इसके बाद उन्हें आसानी से दो करोड़ डॉलर की फंडिंग मिल गयी। यह कंपनी जानकीरमन की कामयाबी की दास्तान बताने के लिए काफी है। इसमें 3500 से ज्यादा लोग काम करते है और देशभर के 20 बड़े शहरों में इसकी 140 ब्रांच हैं।
भारत मेट्रीमोनी डॉट कॉम के जरिये की शादी
मजे की बात तो यह है कि जिन्दगी में कुछ बड़ा काम करने का सपना देखने वाले जानकीरमन चेन्नई के मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने चेन्नई के एक कॉलेज से स्टैटिसटिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद मद्रास विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहां से उन्होंने एमसीए की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने एक बार इंटरव्यू में परिवार के बारे में जानकारी साझा की थी। उनका कहना था कि वे परिवार से पहले आदमी थे जो कॉलेज में पढऩे गए। जानकीरमन का कहना है कि उन्होंने अपनी शादी भारत मेट्रीमनी डॉट कॉम के जरिये ही की है। उनकी पत्नी का नाम दीपा नेकर है। जानकीरमन के दो बच्चे हैं और उनके नाम अर्जुन व अनाशा हैं।