ट्रेन से कटे 16 मजदूरों की दर्दनाक कहानी, ऐसे तेजी से आई मौत

महामारी की सबसे ज्यादा मार गरीब मजदूर ही झेल रहे हैं। संक्रमित नहीं तो ऐसे ही कि पूरी आमदनी ठप पड़ गई, घर-परिवार से दूर और ये आफते। कुछ मजदूर पैदल कुछ साइकिले से अपने-अपने घर के लिए रवाना हो रहे है।

Update: 2020-05-08 09:40 GMT

नई दिल्ली। महामारी की सबसे ज्यादा मार गरीब मजदूर ही झेल रहे हैं। संक्रमित नहीं तो ऐसे ही कि पूरी आमदनी ठप पड़ गई, घर-परिवार से दूर और ये आफते। कुछ मजदूर पैदल कुछ साइकिले से अपने-अपने घर के लिए रवाना हो रहे है। ऐसे ही लगभग 16 मजदूर जो बिचारे घर पहुंचने की उम्मीद में पैदल ही रवाना हुए थे, एक भीषण हादसे का शिकार हो गए और जिंदगी से जुदा हो गए, उनकी मौत हो गई।

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16 से अधिक मजदूरों को कुचल दिया

शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बदनापुर-करमाड रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी निकल रही थी, उसी समय उसने 16 से अधिक मजदूरों को कुचल दिया। पटरी पर हुए दर्दनाक इस हादसे में 16 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई है, जबकि कुछ मजदूर बुरी तरह घायल भी हुए हैं।

इण्डियन रेलवे की तरफ से जारी किया गया है कि जिन मजदूरों की मौत हुई है, वो सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और महाराष्ट्र के जालना में एसआरजी कंपनी में कार्यरत थे।

5 मई को इन सभी मजदूरों ने जालना से अपना सफर शुरू किया, पहले ये सभी सड़क के रास्ते आ रहे थे लेकिन औरंगाबाद के पास आते हुए इन्होंने रेलवे ट्रैक के साथ चलना शुरू किया।

 

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36 किमी. तक पैदल चलने के बाद

इसके बाद लगभग 36 किमी. तक पैदल चलने के बाद जब सभी मजदूर थक गए थे, तो ट्रैक के पास ही आराम के लिए लेट गए और वहां ही सो गए। रेलवे ट्रैक पर 16 लोग सोए, 2 बराबर में और बाकी तीन कुछ दूरी पर। जिसमें से 16 की मौत हो गई है, बाकी बचे जो घायल हैं उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है।

पटरी पर हुए इस भयानक दर्दनाक हादसे के बाद अब रेल मंत्रालय की ओर से जांच के आदेश दिए गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर दुख जाहिर किया है।

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5-5 लाख रुपये का मुआवजा

मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन सभी मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है, इसके साथ ही घायलों का इलाज करने के आदेश है।

कोरोना महामारी के चलते देश के कई हिस्सों से इन दिनों मजदूर को लेकर कई मामले सामने आ रहे हैं। कि पैदल ही घर जा रहे मजदूरों के साथ कोई हादसा हुआ है जिसमें उसकी जान चली गई या फिर उन्होंने भूख-प्यास से दम तोड़ दिया है।

मजदूरों के लिए ये दौर बहुत ही कठिन है, जो किसी न किसी मर ही रहे है और जिंदा रह कर भी मार झेल रहे हैं। औरंगाबाद में क्या कुछ देर चैन से सोन की सजा मिली मजदूरों को। ये अपनी ही किस्मत को दोष दे रहे हैं।

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