सिंहस्थ में परी अखाड़े की त्रिकाल भवंता ने ली 10 फीट के गड्ढे में समाधि

Update:2016-04-26 16:59 IST

उज्जैन: परी अखाड़े (महिला अखाड़ा) ने सिंहस्थ से पहले पेशवाई की और शाही स्नान की परमिशन नहीं मिलने से नाराज अखाड़े की संस्थापक त्रिकाल भवंता अब समाधि लेने के लिए 10 फीट गहरे गड्ढे में उतर गई हैं। उनके इस फैसले से सिंहस्थ प्रशासन में हडकंप मचा हुआ है।

इससे पहले वे आमरण अनशन पर बैठ गईं थीं और हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था। उन्होंने सिंहस्थ 2016 में धर्म का चीरहरण होने का आरोप लगाया था और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बताया था।

सरकार की बढ़ी मुसीबतें

-उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में साधू-संतों की लगातार व्याप्त अव्यवस्थाओं के खिलाफ तल्ख तेवर ने सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।

-कई साधू-संत इस मामले में सरकार को अल्टीमेटम दे चुके हैं और उन्होंने हालात न सुधरने पर उज्जैन छोड़ने की चेतावनी भी दे डाली है।

-इसी बीच त्रिकाल भवंता के ज़िंदा समाधि लेने की घोषणा ने सरकार को मुसीबत में डाल दिया है।

केवल 13 अखाड़ों को मिलेगी सुविधा

-त्रिकाल भवंता की घोषणा के बाद सिंहस्थ का इंतजाम देख रहे एक अधिकारी ने बताया कि सिंहस्थ कुंभ में केवल 13 अखाड़ों को सरकार की तरफ से मान्यता दी गई है और इन्हें सिंहस्थ प्रशासन की ओर से सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

-इस बार सिंहस्थ शुरू होने से पहले ही परी अखाड़े की संस्थापक त्रिकाल भवंता ने अपने अखाड़े के लिए वही सुविधाएं मांगीं थीं, जिसे मध्य प्रदेश सरकार ने नामंजूर कर दिया था।

-कुंभ के आयोजन से पहले अखाड़ों की पेशवाई निकालने और शाही स्नान के लिए अखाड़ों के समय और घाट तय किए जाने की परम्परा है।

अखाड़े के पास खोदा 10 फीट का गड्ढ़ा

-सिंहस्थ क्षेत्र में स्थापित परी अखाड़े के पास त्रिकाल भवंता ने करीब 10 फीट गहरा गड्ढा खुदवाया और उसमे जाकर बैठ गईं।

-उन्होंने जिंदा समाधि लेने की घोषणा कर दी है।

-उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो इस गड्ढे को मिट्टी से ढक दिया जाएगा।

दूसरे अखाड़े कर रहे हैं परी अखाड़े का विरोध

-इस मामले को लेकर संत समाज में भी मुद्दा गरमा गया है।

-अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्रगिरि ने त्रिकाल भवंता की समाधि को सरकार पर दवाब बनाने के लिए राजनीतिक नाटक बताया है।

-उन्होंने कहा कि 13 अखाड़ों के अलावा किसी अन्य अखाड़ों को पेशवाई और शाही स्नान की अनुमति नहीं प्रदान की जा सकती है।

-उन्होंने परी अखाड़े के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि परी अखाड़े का कोई इतिहास नहीं है।

-वह कब और कैसे अस्तित्व में आया इसकी भी किसी को जानकारी तक नहीं है।

-उन्होंने प्रशासन से इस संबंध में कोई भी चर्चा करने से भी साफ़ इंकार कर दिया है।

 

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