Parliament Attack Anniversary: संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी, 2001 में नौ लोगों ने दी थी शहादत, पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

Parliament Attack Anniversary: संसद पर आतंकवादी हमले की 22वीं बरसी के मौके पर कई शहीदों के परिजन भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके परिजनों से मुलाकात करके उनका हाल-चाल पूछा और सांत्वना दी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-13 11:43 IST

PM Modi on Parliament Attack Anniversary  (photo: social media )

Parliament Attack Anniversary: संसद भवन पर आतंकवादी हमले की आज 22वीं बरसी है। 2001 में आज ही के दिन आतंकियों ने संसद भवन पर हमला करके पूरे देश को दहला दिया था। इस हमले में नौ लोगों की शहादत हुई थी। बाद में सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमला करने वाले पांच आतंकियों को मार गिराया था।

संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत कई सांसदों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

शहीदों के परिजनों से मिले पीएम मोदी

संसद पर आतंकवादी हमले की 22वीं बरसी के मौके पर कई शहीदों के परिजन भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके परिजनों से मुलाकात करके उनका हाल-चाल पूछा और सांत्वना दी।

इस मौके पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी लिखा। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आज हम 2001 में संसद हमले में शहीद हुए बहादुर सुरक्षाकर्मियों को याद कर रहे हैं और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। खतरे के सामने उनका साहस और बलिदान हमारे देश की स्मृति में हमेशा अंकित रहेगा।

राष्ट्रपति मुर्मू ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राष्ट्र हमेशा उन बहादुर सुरक्षा कर्मियों का ॠणी रहेगा जिन्होंने 2001 में संसद पर आतंकवादी हमले के दौरान अपनी जान गंवा दी थी। राष्ट्रपति ने आतंकवाद को खत्म करने का संकल्प एक बार फिर दोहराया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा कि बहादुर सुरक्षाकर्मियों ने 22 साल पहले आज ही के दिन देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को खत्म करने और हमारे लोकतंत्र के मंदिर को नुकसान पहुंचाने की आतंकवादियों की नापाक साजिश को नाकाम कर दिया था। नौ लोगों ने मातृभूमि के लिए अपनी जान दे दी थी और देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस मौके पर कहा कि 2001 में हमारी संसद पर हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले साहसी सुरक्षाकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान के लिए भारत सदैव उनका ऋणी रहेगा। आतंकवाद दुनिया भर में मानवता के लिए खतरा बना हुआ है और वैश्विक शांति के लिए इस बाधा को खत्म करने के लिए राष्ट्रों का एकजुट होना जरूरी है।

संसद के लिए नौ लोगों ने दी थी शहादत

संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को हुआ आतंकी हमला देश में सबसे दुस्साहसिक आतंकी घटनाओं में गिना जाता है। इस हमले के दौरान दिल्ली पुलिस के जवानों ने आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा संभाला था मगर हमले के दौरान पांच जवानों को शहादत देनी पड़ी थी। इनमें नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, बिजेंद्र सिंह और घनश्याम शामिल हैं। इन जवानों के अलावा अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कांस्टेबल कमलेश भी इस आतंकी हमले में शहीद हो गई थीं।

संसद की सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षा कर्मी जगदीश प्रसाद यादव और मातबर सिंह नेगी भी अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इसके साथ ही संसद भवन में मौजूद एक पार्क में पेड़-पौधों की देख-रेख करने वाले माली देशराज को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस तरह इस आतंकी हमले में नौ लोग शहीद हुए थे। इनके अलावा 16 जवान गोलीबारी में घायल हो गए थे।

संसद में मौजूद थे आडवाणी समेत दो सौ सांसद

संसद भवन पर हमला करने वाले पांच आतंकी सफेद रंग की एंबेसडर कर पर सवार होकर पहुंचे थे और उन्होंने 45 मिनट के भीतर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे हिंदुस्तान को दहला दिया था। संसद भवन पर जिस समय यह आतंकी हमला किया गया था, उस समय तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 200 सांसद सदन के भीतर मौजूद थे।

संसद पर हमला करने वाले पांचों आतंकी एक-47 से लैस थे और उन्होंने अपने कंधों पर बैग टांग रखे थे। सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई की वजह से आतंकियों को मार गिराने में कामयाबी मिली।

आतंकी हमले में अफजल गुरु को फांसी

संसद भवन पर हुए इस हमले में सुरक्षाबलों ने सभी आतंकियों को मार गिराया था। दिल्ली पुलिस के अनुसार मारे गए आतंकियों में हैदर उर्फ तुफैल, मोहम्मर राना, रणविजय, हमला शामिल थे।

इस हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। हमले की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को बाद में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसने पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग भी ली थी।

2002 में दिल्लीर हाईकोर्ट और 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई। तत्काललीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद 9 फरवरी 2013 की सुबह अफजल गुरू को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी।

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