पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन: जारी है कोर्ट और रामदेव के बीच रस्साकशी

Patanjali Misleading Ad Case: सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने से कुछ घंटे पहले, पतंजलि ने अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-04-23 07:41 GMT

Patanjali Misleading Ad Case   (photo: social media )

Patanjali Misleading Ad Case: कोरोना काल में ऐलोपैथी के खिलाफ बयानबाजी और पतंजलि की "कोरोनिल" को कोरोना का इलाज बताने पर रामदेव, बालकृष्ण और उनकी पतंजलि कम्पनी के खिलाफ मामला अभी किसी मुकाम पर नहीं पहुंचा है। कोर्ट की चेतावनियों और सख्त टिप्पणियों के बाद रामदेव और बालकृष्ण अदालत में कई हलफनामे लगा चुके हैं और माफी भी मांग चुके हैं लेकिन इन सबमें कुछ न कुछ ऐसा है कि कोर्ट संतुष्ट नहीं हो पा रहा है। हर आदेश के अनुपालन में कोई न कोई चूक रह ही जा रही है।

किसकी है शिकायत?

- पतंजलि ने 'एलोपैथी द्वारा फैलाई गई गलतफहमियां: फार्मा और मेडिकल उद्योग द्वारा फैलाई गई गलतफहमियों से खुद को और देश को बचाएं' शीर्षक से एक विज्ञापन अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

- इस पर आपत्ति जताते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

- याचिका में उन उदाहरणों का उल्लेख किया गया है जहां रामदेव ने एलोपैथी को "बेवकूफ और दिवालिया विज्ञान" कहा था, और दावा किया था कि एलोपैथिक दवा कोरोना से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है।

- आईएमए ने पतंजलि पर महामारी के दौरान वैक्सीन संबंधी हिचकिचाहट में योगदान देने का भी आरोप लगाया है।

- आईएमए ने कहा - " गलत सूचना का निरंतर, व्यवस्थित और बेरोकटोक प्रसार" पतंजलि के उत्पादों के उपयोग के माध्यम से कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे और निराधार दावे करने के प्रयासों के साथ आता है।

पहली सुनवाई और अब तक

- 21 नवंबर, 2023 को याचिका पर पहली सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने मौखिक रूप से पतंजलि को यह दावा करने के खिलाफ चेतावनी दी कि उनके उत्पाद बीमारियों को पूरी तरह से "ठीक" कर सकते हैं। उन्होंने बीमारी ठीक करने का दावा करने वाले प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी थी।

- 15 जनवरी, 2024 को भारत के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति अमानुल्लाह को संबोधित एक गुमनाम पत्र मिला। जिसमें कहा गया था कि पतंजलि झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को लगातार छाप रहा है।

- इस पर ध्यान देते हुए, 27 फरवरी को जस्टिस हेमा कोहली और अहसन्नुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को पहले के आदेशों का उल्लंघन करने और कंपनी के उत्पादों के साथ बीमारियों के इलाज के बारे में भ्रामक दावों का प्रचार जारी रखने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया।

- सरकार से अब तक अन्य मंत्रालयों के साथ उनके परामर्श का विवरण मांगते हुए, न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा: “पूरे देश को एक चक्कर में डाल दिया गया है! दो साल तक आप इंतजार करते रहे जब ड्रग्स अधिनियम कहता है कि यह निषिद्ध है?"

- इसके बाद अदालत ने पतंजलि औषधीय उत्पादों के किसी भी अन्य विज्ञापन या ब्रांडिंग पर अगले आदेश तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

- 19 मार्च को अदालत को बताया गया कि अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया गया है, जिसके बाद उसने बालकृष्ण और रामदेव की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग करते हुए एक आदेश पारित किया। इसमें उत्तराखंड सरकार को भी एक पक्ष बनाया गया।

- 21 मार्च को बालकृष्ण ने कथित भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट को एक बिनाशर्त माफ़ीनामा जारी किया।

- 2 अप्रैल को अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण की कड़ी आलोचना की और उनकी माफ़ी को "जुबानी दिखावा" कहकर खारिज कर दिया। अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण दोनों को उचित स्पष्टीकरण हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया और कहा कि रामदेव द्वारा दायर माफी अधूरी और महज दिखावा थी।

- उत्तराखंड राज्य ने भी एक विस्तृत हलफनामा दायर किया और सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि पतंजलि के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

- 9 अप्रैल को रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी।

- दायर संक्षिप्त हलफनामे में रामदेव ने नवंबर 2023 की प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भी बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने कहा, ''मुझे इस चूक पर गहरा अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा।''

- 10 अप्रैल को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह माफीनामे से सहमत नहीं है। कोर्ट ने कहा - “माफी कागज पर है। हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं, हम इसे वचन का जानबूझकर किया गया उल्लंघन मानते हैं। मामला अदालत में है लेकिन अवमाननाकर्ताओं ने हमें ताजा माफी हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा। उन्होंने इसे पहले मीडिया को भेजा। वे स्पष्ट रूप से प्रचार में विश्वास करते हैं। आप हलफनामे के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। इसे किसने तैयार किया, मैं हैरान हूं।"

23 अप्रैल को क्या हुआ

- कोर्ट ने रामदेव से पूछा कि क्या उन्होंने प्रमुख समाचार पत्रों में जो माफीनामा प्रकाशित किया था, वह उनके द्वारा प्रकाशित भ्रामक विज्ञापनों के समान ही था। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि से पूछा कि उसने पिछली सुनवाई के संबंध में क्या किया है। पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने 67 अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया है। पीठ ने पूछा कि क्या इसे भ्रामक विज्ञापनों की तरह ही प्रमुखता से और उसी फ़ॉन्ट और आकार में प्रकाशित किया गया था? इस पर रोहतगी ने कहा कि उन्होंने माफी छापने पर 10 लाख रुपये खर्च किए।

पीठ ने कहा, ''हमें कोई चिंता नहीं है।'' रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे अखबारों में बड़ा माफीनामा दाखिल करेंगे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने से कुछ घंटे पहले, पतंजलि ने अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया। इसमें कहा गया कि - "पतंजलि आयुर्वेद माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा का पूरा सम्मान करता है। हमारे अधिवक्ताओं द्वारा शीर्ष अदालत में बयान देने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती के लिए हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं। हम भविष्य में ऐसी गलती नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम आपको आश्वस्त करते हैं कि हम संविधान और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।"

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