नई दिल्ली : कम बारिश के कारण सूखी पड़ी लगभग एक एकड़ जमीन और बड़े बेटे के अदालती मामले में फंसे होने के कारण आज पहलू खान के परिवार की आय का एकमात्र स्रोत है, दो गायें, जिनके कारण पहलू खान की हत्या कर दी गई थी।
अप्रैल में राजस्थान के अलवर जिले के बेहरोर क्षेत्र में गोरक्षकों ने हरियाणा के जयसिंगपुर गांव के एक डेयरी किसान पहलू खान की हत्या कर दी थी। पहलू खान जयपुर से दो गाय और दो बछड़े खरीद कर घर लौट रहे थे।
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खान की मौत के बाद दो संगठनों ने उनके परिवार को दो गायें दी और उन गायों का दूध ही परिवार की आय का एकमात्र स्रोत है।
खान की 50 वर्षीय पत्नी जाबुना ने बताया, "हम गाय का दूध बेचकर थोड़ा पैसा कमा लेते हैं और बाकी हमारे रिश्तेदार थोड़ी मदद कर देते हैं।"
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जाबुना ने कहा कि उनका बड़ा बेटा इरशाद एक अदालती मामले में फंस जाने के कारण काम पर नहीं जा पा रहा है। इरशाद उस समय अपने पिता के साथ मौजूद था, जब उनकी हत्या की गई थी।
जाबुना ने कहा, "पहले वह अपने पति के कामों में उनकी मदद करती थीं, लेकिन अब वह कुछ नहीं कर पा रही हैं।"
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जब वह बता रहीं थी कि खान की मौत के बाद उनका जीवन कैसा बीत रहा है, जाबुना का आठ वर्षीय बेटा इंशाद भागता हुआ उनके पास आया और उन्हें गले से लगा लिया।
उनके 24 वर्षीय बेटे इरशाद ने कहा, "हम दूध बेचकर प्रति दिन 150 रुपये तक कमा लेते हैं और बचे हुए दूध का उपयोग घर में करते हैं।"
इरशाद पहले ड्राइवर का काम करता था, लेकिन अब वह कोई काम नहीं कर रहा है।
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उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "मैं कैसे जा सकता हूं? अब पूरे परिवार की देखभाल मेरी जिम्मेदारी है। मैं अपने परिवार की देखभाल करू या गाड़ी चलाऊं।"
उन्होंने कहा कि 45,000 रुपये की दो गाये, जिन्हें वे जयपुर से खरीदे थे, वे उनके घर पहुंची ही नहीं और दोनों गायों को राजस्थान के गोशाला में भेज दिया गया।
आर्थिक तंगी के अलावा परिवार के सामने पहलू खान के हत्यारों को सजा दिलाने की भी चुनौती है।
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इरशाद ने कहा, "पिछली बार जब मैं मामले के सिलसिले में बेहरोर गया था, तब उन लोगों (अभियुक्त के करीबी) ने हमारे सामने अपनी कार रोकी और कहा कि अगर मैं दोबारा आया तो वे मुझे गोली मार देंगे।"
स्थानीय पुलिस द्वारा छह आरोपियों को क्लीन चिट दिए जाने के बाद परिवार ने अदालत की निगरानी में जांच और मामले को राजस्थान से बाहर भेजने की मांग की है।
इरशाद ने पुलिस द्वारा क्लीन चिट दिए गए छह लोगों के बारे में कहा, "उन लोगों ने मेरे पिता को मेरी आंखों के सामने मारा।"
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इससे पहले पांच अन्य आरोपियों को अपराध के दौरान मौके पर मौजूद न होने के आधार पर जमानत दे दी गई।
इरशाद का सरकार, पुलिस और न्यायपालिका से सिर्फ एक सवाल है : "अगर वहां कोई मौजूद नहीं था, तो मेरे पिता को किसने मारा।"