देश की एकता-अखंडता की मजबूत प्रहरी थीं श्री सोनल मां, मोदी बोले- प्राण प्रतिष्ठा समारोह से खुश होंगी 'आई'

PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को जूनागढ़ के मधाडा में आई श्री सोनल मां के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस समारोह में मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़े।

Report :  Viren Singh
Update:2024-01-13 13:03 IST

PM Modi (सोशल मीडिया) 

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार आई श्री सोनल मां को याद करते हुए हा कि श्री सोनल मां देश की एकता और अखंडता की एक मजबूत प्रहरी थीं। भारत विभाजन के समय जब जूनागढ़ को तोड़ने की साजिशें चल रही थीं, तो उसके खिलाफ श्री सोनल मां चंडी की तरह उठ खड़ी हुई थीं और इसका मुंह तोड़ जबाव दिया था। पीएम मोदी ने यह बातें आई श्री सोनल मां के जन्म शताब्दी समारोह में कहीं।

जन्म शताब्दी समारोह में शामिल हुए मोदी

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को जूनागढ़ के मधाडा में आई श्री सोनल मां के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस समारोह में मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़े। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज जब अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो इससे श्री सोनल मां कितनी प्रसन्न होंगी। इस समारोह से पीएम मोदी ने देश वासियों से एक बार फिर से श्री राम ज्योति जलाने की अपील की। मोदी ने कहा कि आज मैं आप सभी से 22 जनवरी को अपने घरों में श्री राम ज्योति प्रज्वलित करने का आग्रह करूंगा।

समाज में शिक्षा के लिए अद्भुत काम किया

उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले देश का प्रत्येक मंदिर स्वच्छ हो, इस अभियान की शुरुआत कल से हो गई है। देश के लोगों के आग्रह करता हूं कि भारत का हर मंदिर स्वच्छ अभियान में अपनी आहूति दें, ताकि जब 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्री राम अपने घर में विराजमान हों, तो देश के सारे मंदिर चमचामते हुए दिखाई दें। इससे प्रभु श्रीराम खुश होंगे। उन्होंने कहा कि श्री सोनल मां ने भारत में शिक्षा के लिए अद्भुत काम किया। उन्होंने, व्यसन और नशे के अंधकार से समाज को निकाल कर नई रोशनी दी। सोनल मां समाज को कुरीतियों से बचाने के लिए निरंतर काम करती रहीं।

आधुनिक युग के लिए प्रकाश स्तंभ थीं

प्रधानमंत्री ने कहा कि सौराष्ट्र की इस सनातन संत परंपरा में श्री सोनल मां आधुनिक युग के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह थीं। उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा, उनकी मानवीय शिक्षाएं और उनकी तपस्या से उनके व्यक्तित्व में एक अद्भुत दैवीय आकर्षण पैदा होता था, जिसकी अनुभूति आज भी जूनागढ़ और मढ़रा के सोनलधाम में की जा सकती है।

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