Diwali: PM Modi क्यों जवानों के साथ ही मनाते हैं दिवाली, इसके पीछ क्या है खास?, 23 सालों में एक बार टूटी परंपरा, इस बार रक्षा मंत्री भी साथ
PM Modi Ki Jawans Ke sath Diwali: इससे पीएम मोदी का राष्ट्रवाद तो झलकता ही है साथ ही वे खुद को जवानों के साथ जोड़ते हैं। देखा जाए तो पीएम मोदी को अपने बीच पाकर इससे कहीं न कहीं सुरक्षा बलों का मनोबल भी बढ़ता है।
M Modi Ki Jawans Ke sath Diwali:पूरा देश जहां आज दीवाली का त्योहार मना रहा है तो वहीं पीएम मोदी अपनी इस बार की दीवाली भी जवानों के साथ मनाने जा रहे हैं। इस बार वे गुजरात के कच्छ में सैनिकों के साथ दीवाली का जश्न मनाएंगे। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिवाली मनाने के लिए अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचे हैं। वे यहां भारतीय सेना के जवानों के साथ दीपावली का जश्न मनाएंगे।
जब पूरा देश प्रकाश पर्व यानी दीवाली के त्योहार को मनाता है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सैनिकों के साथ अपनी दीवाली मनाते हैं। वे जवानों के साथ समय बिताते हैं, उनसे बातें करते हैं। वे कैसे कार्य करते हैं?, इन विषम परिस्थियों में वे कैसे देश की सेवा में तत्पर रहते हैं। उनके इस जज्बे को पीएम मोदी और बढ़ाने का भी काम करते हैं। 2014 में पीएम बनने के बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लेप्चा में सैनिकों के साथ दीवाली मनाई थी। पीएम मोदी दशकों से जवानों के साथ दीवाली मनाते आ रहे हैं।
दरअसल पीएम मोदी का जवानों के साथ दीवाली मनाने को लेकर यह भी कहा जाता है कि पीएम को जवानों से बेहद लगाव है। पीएम मोदी के अंदर देश के जाबांज सैनिकों से लगाव यूं ही नहीं है। बचपन में पीएम मोदी खुद सैनिक बनकर देश की सेवा करना चाहते थे। वे गुजरात के जामनगर के बालाचडी में स्थित सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन तब वे परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते नहीं पढ़ पाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी जवानों के साथ दीवाली मनाते थे। 2009 में मुख्यमंत्री रहते हुए वह जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिए भारत-चीन के नाथुला बॉर्डर पर पहुंचे थे। तो वे कई बार जवानों के साथ कच्छ में भी दीवाली मनाने के लिए पहुंचे।
काफी पुराना है पीएम का जवानों से प्रेम
पीएम मोदी का सैनिकों से प्रेम काफी पुराना है। हर समय देश की सेवा के लिए तत्पर सुरक्षाबल दीवाली का पर्व अपने परिवारों के साथ नहीं मना पाते थे। वे सुदूर बॉर्डर पर देश की सीमाओं पर मुश्तैद रहते हैं। वे देश की रक्षा में लगे रहते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सैनिकों के पास खुद दीवाली मनाने पहुंच जाते हैं। इससे पीएम मोदी का राष्ट्रवाद तो झलकता ही है साथ ही वे खुद को जवानों के साथ जोड़ते हैं। देखा जाए तो पीएम मोदी को अपने बीच पाकर इससे कहीं न कहीं सुरक्षा बलों का मनोबल भी बढ़ता है। पीएम से मुलाकात जवानों के लिए जिंदगी भर के यादगर पलों में जुड़ जाता है। पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो भी वे जवानों के साथ अपनी दीवाली मनाते थे। मुख्यमंत्री रहते हुए भी वह कच्छ के बॉर्डर पर पहुंच जाते थे और बीएसएफ जवानों के साथ दीवाली मनाते थे। जवानों के साथ मोदी का प्रेम काफी पुराना है। वे मुख्यमत्री बनने से पहले भी जवानों के साथ समय बिताना पसंद करते थे। ऐसे में यह कहना कि उन्होंने पीएम के तौर यह शुरू किया है तो यह गलत होगा।
खुद भी एक सैनिक बनना चाहते थे
देश के जाबांज सैनिकों से लगाव पीएम मोदी के अंदर यूं ही नहीं है। बचपन में पीएम मोदी खुद सैनिक बनकर देश की सेवा करना चाहते थे। वे गुजरात के जामनगर के बालाचडी में स्थित सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन तब परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते नहीं पढ़ पाए थे। उन्होंने दाखिल के लिए दो रुपये जमा करके एडमिशन फॉर्म खरीदा था। बाद में पिता के मना करने के बाद उनके काम में हाथ बंटाने लगे थे। पीएम मोदी चाह कर भी सैनिक स्कूल में दाखिला नहीं ले पाए थे। पीएम की बचपन की कुछ तस्वीरें भी हैं। जिनमें उन्होंने सेना की ड्रेस पहनी है। यही वजह है कि पीएम मोदी के सैनिकों को लेकर बचपन से उनके अंदर एक अलग छवि है। जब देश दीवाली का पर्व मानता है तो वह जवानों के साथ इस पर्व की खुशियां बांटते हैं।
2001 में टूटी परंपरा
दशकों से पीएम मोदी जवानों के साथ दीवाली मानते आ रहे हैं। लेकिन उन्होंने इस परंपरा को 2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद तोड़ा था। इसका भी कारण था। तब उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपनी पहली दीवाली सैनिकों के साथ नहीं बल्कि कच्छ के भुज में मनाई थी। ऐसा उन्होंने कच्छ के भूकंप प्रभावितों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए किया था। उस साल उनकी कैबिनेट के साथियों ने दीवाली का त्योहार नहीं मनाया था। सारे मंत्री भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के बीच मौजूद रहे थे। अगर इस मौके को छोड़ दें तो पीएम मोदी हमेश जवानों के साथ ही दीवाली मनाते रहे हैं। वे दीवाली मनाने के लिए बॉर्डर पर जाते रहे हैं।
जानिए पीएम बनने के बाद मोदी ने कहां-कहां मनाई दिवाली
देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी हर साल अपनी दिवाली सैनिकों के साथ ही मनाते हैं। इस बार भी वे दिवाली सैनिकों के साथ ही मनाएं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि पीएम बनने के बाद मोदी ने अब तक कहां-कहां दिवाली मनाया है।
-2014 में भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने सियाचिन में तैनात सुरक्षा बलों के साथ अपनी दिवाली मनाई थी।
-इसके अगले साल यानी 2015 में उन्होंने 1965 के युद्ध में भारतीय सेना की उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए पंजाब में तीन युद्ध स्मारकों का दौरा किया।
-2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया और चीन की सीमा के पास आईटीबीपी, डोगरा स्काउट्स और सेना के जवानों से मुलाकात की।
- 2017 में, पीएम मोदी ने उत्तर कश्मीर के गुरेज सेक्टर में अपनी दिवाली जवानों के साथ मनाई थी।
-2018 में पीएम मोदी ने उत्तराखंड के हर्षिल में जवानों को सरप्राइज देकर उनके साथ दिवाली का जश्न मनाया।
-2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में वहां पर तैनात सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।
-2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोंगेवाला की सीमा चौकी पर जाकर जवानों से मुलाकात की थी।
-2021 में, प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में जवानों के साथ दिवाली मनाई। -2023 में उन्होंने कारगिल में तैनात सैनिकों के साथ दिवाली का त्योहार मनाया था।
-अब पीएम मोदी 2024 में गुजरात के कच्छ में जवानों के साथ दीवाली का त्योहार मनाने जा रहे हैं।
रक्षा मंत्री जवानों के साथ तवांग में मना रहे हैं दीवाली
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिवाली मनाने के लिए अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचे हैं। वे यहां भारतीय सेना के जवानों के साथ दीपावली का जश्न मनाएंगे। बता दें, इससे पहले, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी बुधवार शाम को असम के तेजपुर पहुंचे थे। यहां उन्होंने मेघना स्टेडियम में सेना के जवानों के साथ दिवाली का जश्न मनाया और उनके साथ डिनर भी किया।