Delhi News: प्रधानमंत्री मोदी ने की ‘मिशन मौसम’ की शुरुआत, आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज जारी
Delhi News: प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में कई बड़े चक्रवातों और आपदाओं के बावजूद भारत ने अधिकांश मामलों में जानमाल के नुकसान को सफलतापूर्वक कम या खत्म कर दिया है।;
Delhi News: किसी देश की आपदा प्रबंधन क्षमताओं के लिए मौसम विज्ञान महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए मौसम विज्ञान की दक्षता को बढ़ाने की जरूरत है। भारत ने लगातार इस महत्व को समझा है और अब वह उन आपदाओं के प्रभावों को कम करने में सक्षम है, जिन्हें कभी अपरिहार्य माना जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के भारत मंडपम में भारत मौसम विज्ञान विभाग के 150वें स्थापना दिवस के समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आईएमडी के 150 वर्ष न केवल विभाग की यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि भारत में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की गौरवशाली यात्रा का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्होंने कहा कि आईएमडी ने इन डेढ़ शताब्दियों में लाखों भारतीयों की सेवा की है और यह भारत की वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक बन गया है। पीएम मोदी ने आईएमडी की उपलब्धियों के बारे में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। उन्होंने कहा कि 2047 में जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा, आईएमडी के भविष्य को रेखांकित करने वाला एक विजन दस्तावेज जारी किया गया है।
1998 में कच्छ के कांडला में आए चक्रवाती तूफान और 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन से हुई तबाही को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों की मौत हो गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में कई बड़े चक्रवातों और आपदाओं के बावजूद भारत ने अधिकांश मामलों में जानमाल के नुकसान को सफलतापूर्वक कम या खत्म कर दिया है। उन्होंने इन सफलताओं में मौसम विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तैयारियों के एकीकरण ने अरबों रुपये के आर्थिक नुकसान को भी कम किया है, जिससे अर्थव्यवस्था में लचीलापन आया है और निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि “विज्ञान में प्रगति और इसका पूर्ण उपयोग किसी देश की वैश्विक छवि के लिए महत्वपूर्ण है।“
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की मौसम संबंधी प्रगति ने इसकी आपदा प्रबंधन क्षमता को मजबूत किया है, जिसका लाभ पूरी दुनिया को मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की फ्लैश फ्लड गाइडेंस प्रणाली नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जानकारी प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि भारत ‘विश्व बंधु’ के रूप में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अन्य देशों की मदद करने के लिए हमेशा सबसे आगे रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इससे भारत की वैश्विक छवि बढ़ी है। उन्होंने कहा कि मौसम विज्ञान को एक अलग शाखा नहीं माना जाता था, बल्कि इसे खगोलीय गणना, जलवायु अध्ययन, पशु व्यवहार और सामाजिक अनुभवों के साथ एकीकृत किया गया था। प्रधानमंत्री ने कृषि पाराशर और बृहत संहिता जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया, जिसमें बादलों के निर्माण और प्रकारों और ग्रहों की स्थिति पर गणितीय कार्य का अध्ययन किया गया था। कृषि पाराशर का हवाला देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि उच्च या निम्न वायुमंडलीय दबाव और तापमान बादलों की विशेषताओं और वर्षा को प्रभावित करते हैं। उन्होंने आधुनिक मशीनरी के बिना प्राचीन विद्वानों द्वारा किए गए व्यापक शोध पर टिप्पणी की, उनके गहन ज्ञान और समर्पण पर जोर दिया।
उन्होंने सिद्ध पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने के महत्व पर जोर दिया और इस दिशा में और अधिक शोध करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित करने सहित भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और आईएमडी जैसे संस्थानों को नई सफलताओं की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। अपने संबोधन का समापन करते हुए श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत वैश्विक सेवा और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने आईएमडी और मौसम विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को उनकी 150 साल की यात्रा पर बधाई दी। इस कार्यक्रम में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के महासचिव प्रोफेसर सेलेस्टे साउलो सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान की प्रासंगिकता न केवल नई ऊंचाइयों को छूने में है, बल्कि आम आदमी के लिए जीवन को आसान बनाने में भी है। उन्होंने टिप्पणी की कि आईएमडी ने सटीक मौसम की जानकारी सभी तक पहुँचाकर इस मानदंड पर प्रगति की है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘सभी के लिए पूर्व चेतावनी’ पहल अब 90 फीसदी से अधिक आबादी को कवर करती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पिछले और आने वाले 10 दिनों की मौसम संबंधी जानकारी किसी भी समय प्राप्त कर सकता है, यहां तक कि पूर्वानुमान व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि ‘मेघदूत मोबाइल ऐप’ सभी स्थानीय भाषाओं में मौसम की जानकारी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले केवल 10 फीसदी किसान और पशुपालक ही मौसम संबंधी सलाह का उपयोग करते थे, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 50 फीसदी से अधिक हो गई है।