Mann ki Baat: भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, हम भारतीयों को है इस बात का गर्व : पीएम मोदी

PM Modi Mann ki Baat 2023: पीएम मोदी का आज 2023 का पहला मन की बात कार्यक्रम है।

Written By :  aman
Written By :  Jugul Kishor
Update:2023-01-29 11:00 IST

PM Modi Mann ki Baat 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज 29 जनवरी की सुबह 11 बजे साल 2023 की पहली मन की बात की। पीएम मोदी के मन की बात का प्रसारण आकाशवाणी पर साल 2014 से हो रहा है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी देश-विदेश के लोगों के साथ अपने विचार साझा किया। बता दें दें, मासिक रेडियो कार्यक्रम की ये 97वीं कड़ी है।

पीएम मोदी ने मन की बात को संबोधित करते हुए कहा कि हर साल जनवरी का महीना काफी Eventful होता है। इस महीने, 14 जनवरी के आसपास उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक, देश-भर में त्योहारों की रौनक होती है। इसके बाद देश अपने गणतंत्र उत्सव भी मनाता है। पीएम ने कहा कि कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह में अनेक पहलुओं का काफी प्रसंशा हो रही है। जेसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाला श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा। पीएम ने कहा कि कानपुर की जया ने लिखा कि उन्हे परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया। इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली सीआरपीएफ की महिला टुकड़ी का काफी सराहना हो रही है। 

पीएम नरेद्र मोदी ने कहा कि आज जब हम आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान गणतंत्र दिवस की चर्चा कर रहे हैं, तो मैं यहाँ एक दिलचस्प किताब का भी जिक्र करूंगा….इस book का नाम India - The Mother of Democracy है और इसमें कई बेहतरीन Essays हैं।  पीएम ने आगे कहा कि महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गाँव की रहने वाली शर्मीला ओसवाल जी पिछले 20 साल से बाजरा की पैदावार में बहुत अच्छे तरीके से योगदान दे रही हैं। वो किसानों को  स्मार्ट खेती की ट्रेनिंग दे रही हैं। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से बाजरा का उत्पादन करते थे। 

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर शोध के प्रयास भी होते हैं। ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है। पीएम ने कहा कि धानीराम टोटो, जानुम सिंह सोय और बी.रामकृष्ण रेड्डी के नाम से अब तो पूरा देश परिचित हो गया। सिद्धी, जारवा और ओंगे जैसी आदि जनजाति के साथ काम करने वाले लोगों को भी सम्मानित किया गया है।

जैसे हीराबाई लोबी, रतन चंद्र कार और ईश्वर चंद्र वर्मा। कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली क प्रसिद्ध झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान दिया गया है। इसी प्रकार नार्थ ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, विक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है। इस बार पदम पुरस्कार पाने वालों में वो लोग हैं जो संतूर, बम्हुम, द्वितारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन बिखेरने में महारत रखते हैं। गुलाम मोहम्मद जाज, मोओ सु-पोंग, री-सिंहबोर कुरका-लांग, मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय ऐसे कितने ही नाम हैं जिनकी चारों तरफ चर्चा हो रही है। 

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश लोकतंत्र की जननी भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में हैं, हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं। डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी। उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां प्रस्ताव, संकल्प, कोरम और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे। बाबासाहेब का मानना था कि भगवान बुद्ध को इसकी प्रेरणा उस समय की राजनीतिक व्यवस्थाओं से मिली होगी। तमिलनाडु में एक छोटा, लेकिन चर्चित गाँव है – उतिरमेरुर | यहाँ ग्यारह सौ-बारह सौ साल पहले का एक शिलालेख दुनिया भर को अचंभित करता है | यह शिलालेख एक Mini-Constitution की तरह है।

पीएम ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एक Report में बताया गया था कि हर साल 50 मिलियन टन E-Waste फेंका जा रहा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना होता है? मानव इतिहास में जितने Commercial Plane बने हैं। उन सभी का वजन मिला दिया जाए तो भी जितना E-Waste निकल रहा है। उसके बराबर नहीं होगा। ई- कचरा को ठीक से व्यवस्थित नहीं किया गया, तो यह हमारे पर्यावरण के लिए भी नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन अगर सावधानीपूर्वक ऐसा किया जाता है, तो यह रीसायकल और पुन: उपयोग की परिपत्र अर्थव्यवस्था की बहुत बड़ी ताकत बन सकती है।

पीएम ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों बाजरा में क्या common है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ common है तो आप हैरान हो जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष दोनों का निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। योग भी स्वास्थय से जुड़ा है और बाजरा भी स्वास्थय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दोनों अभियानों में जनता की भागीदारी के कारण एक क्रांति रास्ते पर है।

गोवा में पर्पल फेस्ट इवेंट हुआ। दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने-आप में एक अनूठा प्रयास था। 50 हजार से भी ज्यादा हमारे भाई-बहन इसमें शामिल हुए। यहां आए लोग इस बात को लेकर रोमांचित थे कि वो अब 'मीरामार बीच' घूमने का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। 

आपको और मुझे आनंद और गर्व दिलाने वाली बात ये है कि साल 2022 में बेंगलुरु का Indian Institute of Science, (IISc) संस्थान के नाम कुल 145 patents रहे हैं। इसका मतलब है – हर पांच दिन में दो patents. ये रिकॉर्ड अपने आप में अद्भुत है। पीएम ने कहा कि आज Patent Filing में भारत की ranking 7वीं और trademarks में 5वीं है | सिर्फ patents की बात करें, तो पिछले पांच वर्षों में इसमें करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

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