नई दिल्ली: लालकिले से पहले भी पाकिस्तान को उसकी भाषा में दो टूक नसीहत दी जाती रहीं है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि सीधे तौर पर एक ही साथ पाकिस्तान की तीनों दुखती रगों- बलूचिस्तान, गिलगिट व पाक के कब्जे वाले कश्मीर को भारत के प्रधानमंत्री ने इतनी तबियत से कुरेदा हो।
सियासी हलकों में इस बात पर भी बहस तेज हो गई है कि पीएम मोदी ने कश्मीर में जेहाद करने वाले भारत विरोधी अलगावादियों को खुले समर्थन का जो राग दो दिन पहले अपने स्वाधीनता दिवस पर अलापा है उसका इससे सटीक जवाब लाल किले से देना ही सबसे सटीक मौका था।
जाहिर है कि बलूचिस्तान भौगोलिक तौर पर पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है तथा उसकी बड़ी सीमा पड़ोसी देश ईरान व उत्तर में अफगानिस्तान से लगी है। उसके कुछेक निर्वासित नेता अमेरिका व दूसरे मुल्कों में हैं। दूसरी ओर बलूचिस्तान का कमजोर पक्ष यह है कि वहां घरेलू बलूच आबादी मात्र 50 हजार ही होगी। बाकी आबादी वहां अफगानी व पठानों की है। पीएम मोदी द्वारा बलूचिस्तान के लोगों की हमदर्दी के प्रति आभार प्रकट करने से चीन के सबसे ज्यादा कान खड़े हुए होंगे क्योंकि वह बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को खाड़ी के मुल्कों व अफ्रिकी व मध्य एशियाई मुल्कों में व्यापार व कारोबार बढ़ाने हेतु बड़े पैमाने पर विस्तार कर रहा हैै।
चीन इस बलूचिस्तान को दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा पोर्ट बना रहा है जहां 2 लाख से 4 लाख टन सामान ढोने वाले पानी के जहाज आवाजाही करेंगे। चीन वहां से सीधे अपने पड़ोसी सूबों जिंजयांग व कास्कर होते हुए राजधानी बिजिंग को रेल लिंक से पहले ही जोड़ने के काम में जुटा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी की ओर से पाकिस्तान की दुखती रग बलूचिस्तान का राग अलापने से दूसरा बड़ा झटका ईरान को लगेगा क्योंकि बलूचिस्तान में कोई भी सियासी उठापठक होती है तो वह ईरान को नागवार गुजरेगी। ईरान की अपनी अदंरूनी समस्या यह है कि ब्लूचिस्तान से लगे उसके इलाकों में अच्छी खासी बलूच आबादी रहती है। इसलिए पाक के इस प्रांत में कोई भी अलगाववादी आंदोलन या अलग देश की मांग के जोर पकड़ने और भारत की ओर से उसे प्रत्यक्ष समर्थन को ईरान व चीन दोनों ही हजम नहीं कर सकेंगे।
मोदी के बयान के बाद आने वाले दिनों में यह जमीनी असर दिखेगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले और उसके पहले पिछले सप्ताह संसद भवन में सर्वदलीय बैठक में जो कुछ कहा है उसके कूटनीतिक, क्षेत्रीय और भारत-पाक रिश्तों की तल्खी के बाद क्या गुल खिलेगा। जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में आतंकवादियों को समर्थन और निर्दोष लोगों को आतंकियों द्वारा मारे जाने पर पाकिस्तान में जश्न मनाने की घटनाओं पर पाकिस्तान को जमकर घेरा। साथ ही पेशावर स्कूल में दर्जनों स्कूली बच्चों को आतंकवादियों द्वारा मारे जानेे पर भारत की गहरी संवेदना का ध्यान दिलाकर पाकिस्तान को मानवता का लिहाज रखने की नसीहत देते हु उसके असली चेहरे को सार्वजनिक तौर पर उजागर किया है।