मोदी ने जोरदार ढंग से रखी अपनी बात,तीन चुनौतियों का किया जिक्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावोस में हिन्दी में जोरदार तरीके से दुनिया के सामने अपनी बातें रखीं। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत नमस्कार से की। उन्होंने मौजूदा समय में दुनिया के सामने मौजूद तीन बड़ी चुनौतियों का
दावोस: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावोस में हिन्दी में जोरदार तरीके से दुनिया के सामने अपनी बातें रखीं। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत नमस्कार से की। उन्होंने मौजूदा समय में दुनिया के सामने मौजूद तीन बड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी दूरियों ने इन चुनौतियों को और कठिन बना दिया है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से सावधान रहना होगा और इनका मुकाबला मिलकर ही किया जा सकता है। मोदी ने कहा कि हम सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते बल्कि हमारे देश में शुरू से ही पूरी दुनिया को ही परिवार मानने की बात की गयी है।
जलवायु परिवर्तन पहली चुनौती
मोदी ने पहली चुनौती के रूप में जलवायु परिवर्तन का जिक्र करते हुए कहा कि आज ग्लेशियर्स पिघलते जा रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। इसी का नतीजा है कि बहुत से द्वीप डूब रहे हैं और बहुत से डूबने वाले हैं। हमारे शास्त्रों में मानव को भूमि मां का पुत्र बताया गया है। तो सवाल इस बात का है कि मानव व प्रकृति में जंग क्यों चल रही है। हमारे उपनिषदों में भी कहा गया है कि संसार का उपभोग त्याग के साथ करो और किसी दूसरे की संपत्ति का लालच नहीं करना चाहिए।
आतंकवाद दूसरी चुनौती
आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए मोदी ने कहा कि इससे आज पूरी मानवता को खतरा है और पूरी दुनिया की सरकारें इस खतरे से वाकिफ हैं। आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे कहीं ज्यादा खतरनाक गुड व बैड टेरेरिज्म को लेकर बनाया गया भेद है। इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा।
आत्मकेंद्रित होना तीसरी चुनौती
चिंता की बात तो यह है कि ग्लोब्लाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ता चला जा रहा है। समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। इस प्रकार की मनोवृत्तियां और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई इंटरकनेक्टेड विश्व की बात करता है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन की चमक खो रही है।
1997 से बदल गयी है दुनिया
मोदी ने 1997 के बाद किसी भारतीय पीएम दावोस आने का जिक्र करते हुए कहा कि तबसे पूरी दुनिया में काफी बदलाव आ चुका है। उस समय की स्थितियां बिल्कुल अलग थीं। उस समय ना ता कोई लादने का जानने वाला था और ना हैरी पॉटर को। उस समय गूगल का भी अवतार नहीं हुआ था। उस जमाने में चिडिय़ा ट्वीट करती थी आज मनुष्य ट्वीट करता है। पीएम मोदी ने कहा कि तकनीक को जोडऩे, तोडऩे और मोडऩे का उदाहरण सोशल मीडिया है। आज डाटा पर नियंत्रण रखना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसा लगता है कि जो डाटा पर नियंत्रण रखेगा वह वर्चस्व बनाए रखेगा। पीएम मोदी ने कहा कि परिवर्तन से ऐसी व्यवस्था भी पैदा हुई है जो दर्द भरी चोट पहुंचा सकती है।
घर की खिड़कियां खुली रखें
मोदी ने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि मेरे घर की खिड़कियां बंद नहीं होनी चाहिए। आज का भारत इसी विचार के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत विश्व भर से जीवनदायिनी तरंगों का स्वागत कर रहा है। लोकतंत्र दरारों को पाटने की संजीवनी शक्ति है। समावेशी दर्शन भारत सरकार की हर योजना का आधार है। 2014 में भारत में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। हम जिस प्रकार से भारत की अर्थव्यवस्था को सुगम बना रहे हैं उसका कोई सानी नहीं है। इसी का उदाहरण है कि भारत से सभी तरह के काम करना बहुत आसान हो गया है। हमने लाइसेंस परमिट राज को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया है।
मोदी ने किया जीएसटी का जिक्र
अपनी सरकार के कामों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि हमने 1400 पुराने कानूनों को खत्म किया है। 70 साल के स्वतंत्र भारत के इतिहास में जीएसटी लागू किया। पारदॢशता बढ़ाने के लिए हम तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर रहे है। हमारे प्रयासों का विश्वभर की बिजनेस कम्युनिटी ने स्वागत किया है। सुधार के लिए दुनिया ने हमारे परिवर्तन को स्वीकार किया है। अब भारत के युवा 2025 में पांच मीलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए सक्रिय हैं। वे जॉब सीकर नहीं जॉब गिवर बनेंगे।
हमारा मकसद सबका साथ, सबका विकास
मोदी ने कहा कि भारत में किसी एक वर्ग के विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा बल्कि हमारा मकसद सबका साथ,सबका विकास है। उन्होंने देश में गरीबों के खाते खुलवाने का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने ऐसे लोगों के खाते खुलवाए जो बैंक जाने में भी घबराया करते थे। हमने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर ध्यान दिया। हमारी सोच है कि सही मायने में विकास तभी संभव है जो सबको साथ में लेकर चला जाए। हमारा उद्देश्य सबका विकास होना चाहिए। हम छोटा-मोटा नहीं बल्कि बड़ा सुधार कर रहे हैं। हम रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर चल रहे हैं। हमारी सरकार ने ऐसे कदम उठाए हैं कि आज देश में निवेश करना, यात्रा करना, काम करना और भारत से अपने उत्पाद का पूरी दुनिया में निर्यात पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है।
आपसी दरारों से नहीं सुलझ रहीं समस्याएं
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय चिंतकों ने कहा है कि वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरी दुनिया ही परिवार है। हम सबको साझा सूत्र में जोडऩा चाहते हैं। वसुधैव कुटुंबकम की यह धारा निश्चित तौर पर दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए और भी ज्यादा सार्थक है। हम अनादिकाल से ही मानवों को जोडऩे में विश्वास करते आए हैं, उसे तोडऩे और बांटने में नहीं। मोदी ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि इस काल में चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे बीच सामंजस्य नहीं है। परिवार में जब कोई चुनौती आती है तो सब एकजुट होकर इसका सामना करते हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है कि आपसी दरारों की वजह से आज हम विश्व बड़ी चुनौतियों से नहीं निपट पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया में गर्मी बढ़ती जा रही है। हमें आत्मचिंतन करना होगा। अगर हम सोचेंगे तो पाएंगे कि पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए हमें एकजुट होना होगा। मानव और प्रकृति के बीच तालमेल बैठाकर पर्यावरण की चुनौतियों से निपटा जा सकता है।