पीएम मोदी ने गिनाईं पांच साल की उपलब्धियां, राम मंदिर का प्रस्ताव देश के मूल्यों को देगा संवैधानिक शाक्ति

PM Modi in Parliament: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संसद के बजट सत्र की आखिरी बैठक में लोकसभा में राम मंदिर के चर्चा पर शामिल हुए। यह 17वीं लोकसभा की अंतिम बैठक थी और मोदी ने इसको संबोधित किया।

Report :  Viren Singh
Update:2024-02-10 17:13 IST

PM Modi in Parliament (सोशल मीडिया) 

PM Modi in Parliament: प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि यह पांच वर्ष देश में रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के नाम रहा। यह बहुत कम होता है कि सुधार हों, काम हों और हम बदलाव को अपनी आंखों के सामने होता हुआ देखें, सत्रहवीं लोकसभा के माध्यम से आज देश अनुभव कर रहा है और मुझे भरोसा है कि देश सत्रहवीं लोकसभा को जरूरत आशीर्वाद देता रहेगा। पिछले 5 सालों में देश सेवा में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए। लोकसभा में कई अहम निर्णय लिए गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज राम मंदिर को लेकर इस सदन ने जो प्रस्ताव पारित किया है, वह देश के मूल्यों को प्रवर करने की संवैधानिक शाक्ति प्रदान करेगा।

अनेक चुनौतियों को सामना कर देश को दी उचित दिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संसद के बजट सत्र की आखिरी बैठक में लोकसभा में राम मंदिर के चर्चा पर शामिल हुए। यह 17वीं लोकसभा की अंतिम बैठक थी और मोदी ने इसको संबोधित किया। उन्होंने वैश्विक कोरोना महामारी का भी जिक्र किया और कहा कि मानव जाति ने इस सदी का सबसे बड़ा संकट झेला। इस संकट काल में भी भारत नहीं रुका। आज का ये दिवस लोकतंत्र की एक महान परंपरा का महत्वपूर्ण दिवस है। 17वीं लोकसभा ने 5 वर्ष देश सेवा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए गए और अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए भी सबने अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का प्रयास किया। एक प्रकार से आज का ये दिवस हम सबकी उन 5 वर्ष की वैचारिक यात्रा का, राष्ट्र को समर्पित समय का और देश को एक बार फिर से अपने संकल्पों को राष्ट्र के चरणों में समर्पित करने का अवसर है।

नई संसद स्वतंत्रता की भावना को करता समाहित

उन्होंने कहा कि मैं सांसदों का भी इस बात के लिए आभार व्यक्त करता हूं कि संकट काल में (कोविड-19) देश की आवश्यकताओं को देखते हुए सांसद निधि छोड़ने का प्रस्ताव जब मैंने सांसदों के सामने रखा, तो एक पल के विलंब के बिना सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव को मान लिया। भारत के नागरिकों को प्रेरित करने के लिए सांसदों ने अपने-अपने वेतन और भत्ते में 30% की कटौती करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन हमारी विरासत और स्वतंत्रता की भावना को समाहित करता है जिसे हमने पहली बार 1947 में अनुभव किया था। देश को जो नया संसद भवन प्राप्त हुआ है, इस नए भवन में एक विरासत का अंश और आजादी की पहली पल को जीवंत रखने का...सेंगोल को स्थापित करने का काम किया। पवित्र सेनगोल हमारी आने वाली पीढ़ियों को उन आदर्शों की याद दिलाएगा जिनका हम पालन करते हैं और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उन्हें प्रेरणा देते रहेंगे। इसको सेरेमोनियल बनाने का बहुत बड़ा काम आपके (ओम बिरला) नेतृत्व में हुआ है, जो भारत की आने वाली पीढ़ियों को हमेशा-हमेशा उस आजादी के पल से जोड़ कर रखेगा।

देश तेजी से आगे बढ़ रहा

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यकाल में बहुत सारे रिफॉर्म्स हुए हैं। 21वीं सदी के भारत की मजबूत नींव उन सारी बातों में नजर आती है। बदलाव की तरफ देश तेज गति से आगे बढ़ा है और सदन के सभी साथियों ने अपनी हिस्सेदारी निभाई है। अनेक पीढ़ियों ने एक संविधान के लिए सपना देखा था,लेकिन हर पल वो संविधान में एक दरार दिखाई देती थी, एक खाई नजर आती थी और एक रुकावट चुभती थी। हालांकि इसी संसद ने अनुच्छेद 370 हटाया, जिससे संविधान के पूर्ण रूप का, पूर्ण प्रकाश के साथ प्रकटीकरण हुआ। प्रधानमंत्री ने अपने आखिरी भाषण में आतंकवाद पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पहले आतंकवाद नासुर बन कर देश के सीने पर गोलियां चलाते रहता था। मां भारती की धरा आए दिन रक्तरंजित हो जाती थी। देश के अनेक वीर आतंकवाद के कारण बलि चढ़ जाते थे।

राममंदिर प्रस्ताव देगा देश के मूल्यों को संवैधानिक शाक्ति

उन्होंने कहा कि बुरे दिन कितने भी रहे हों, हम भावी पीढ़ी के लिए कुछ न कुछ करते रहेगें। यह सदन हमे प्ररेणा देता रहेगा। हम सामूहिक शक्ति और संकल्प से उत्तम से उत्तम परिणाम देश के नौजवान और भावी पीढ़ी के लिए आशा और आकंक्षा के अनुसार करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज राम मंदिर को लेकर इस सदन ने जो प्रस्ताव पारित किया है, वह देश की भावी पीढ़ी को और देश के मूल्यों को संवैधानिक शाक्ति प्रदान करेगा।

आने वाली पीढ़ियां न्याय सहिंता को मानती है

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्षों तक हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए नियमों से तय होती रही, लेकिन अब हमारी आने वाली पीढ़ियां गर्व से कहेंगी कि हम उस समाज में रहते हैं जो दंड-संहिता नहीं बल्कि न्याय सहिंता को मानता है। देश को आगे बढ़ने के लिए बहुत-सी रुकावटों को हटाना होगा। हमने बहुत-से गैर-जरूरी कानूनों को हटाया है। छोटे-छोटे मामलों में जेल की सजा थी। नागरिक पर भरोसी बढ़ाने का काम 17वीं लोकसभा ने किया है। 180 के ज्यादा प्रावधान बदले गए हैं, जो इसी सदन के सांसदों ने किया है।

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