नई दिल्ली: भारत-चीन संबंधों पर जमी बर्फ के एक बार फिर पिघलने के आसार हैं। पीएम नरेंद्र मोदी जून में आयोजित होने वाले 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन' (एससीओ) समिट में भाग लेने चीन जाने वाले हैं। मोदी के दौरे से पहले दोनों देश अपने रिश्तों में आए तनाव को कम करने में एक बार फिर जुट गए हैं।
एससीओ का यह समिट चीन के हांगचो में जून महीने में आयोजित होगा। पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के लिए काफी अहम साबित हो सकता है। इसके लिए दोनों ही देश अपने रिश्तों को एक बार फिर मधुर बनाने के प्रयास में जुट गए हैं।
पीएम मोदी के इस प्रस्तावित दौरे से पहले दोनों देश कई प्रमुख स्तर पर वार्ता के लिए तैयार हैं। सबसे पहले दोनों देशों के विशेषज्ञों की टीम नदियों के संबंध में आगामी 26 से 30 मार्च तक मुलाकात करेंगे। इस चार दिवसीय बैठक में दोनों देश एक-दूसरे के यहां बहने वाली नदियों से जुड़ी जानकारियां साझा करेंगे। गौरतलब है कि बीते साल डोकलाम विवाद के बाद भारत-चीन के रिश्ते तल्ख़ हुए थे। इसके बाद चीन ने भारत के साथ अपने हाइड्रोलॉजिकल डाटा बांटने से इनकार दिया था। भारत ने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे बांधों पर अपनी चिंता जताई थी।
बता दें, कि दोनों देशों के बीच चर्चा की यह कोशिश हांगचो में 9 जून को आयोजित होने वाली एससीओ समिट के बाद अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचेगी। डोकलाम विवाद के बाद से ही दोनों देशों के संबंध में सामान्य नहीं हैं और दोनों देशों ने कई बार अपने मतभेद जाहिर किए हैं।