Age of Consent: 'सहमति की आयु' पर NCPCR लॉ कमीशन से असहमत, केंद्र सरकार को सिफारिशें न मानने की दी सलाह !

Age of Consent: यौन संबंध बनाने के लिए सहमति की सही उम्र क्या हो? इस सवाल पर मंथन जारी है। लॉ कमीशन ने सरकार को कई अहम सिफारिशें भेजी हैं। हालांकि, बाल अधिकारों की सबसे बड़ी संस्था NCPCR ने इन सिफारिशों को नहीं मानने की सलाह के संकेत दिए हैं।

Report :  aman
Update:2023-10-04 19:12 IST

प्रतीकात्मक चित्र (Social media) 

Age of Consent : देश में दिनों दिन बढ़ते अपराध और बाल यौन शोषण (Child sexual abuse) के मद्देनजर शारीरिक संबंध (Age of Consent) बनाने की सहमति की सही आयु क्या हो, इस सवाल पर लगातार बहस जारी है। हाल ही में सहमति की उम्र के संबंध में विधि आयोग (Law Commission) ने केंद्र सरकार को कई अहम सिफारिशें भेजीं। भारत में बाल अधिकारों की शीर्ष संस्था 'राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग' यानी NCPCR ने संकेत दिया है कि वह केंद्र को लॉ कमीशन की सिफारिशें नहीं मानने की सलाह देगी। 

NCPCR- 'मौन स्वीकृति बेहद संवेदनशील विषय'

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, NCPCR ने कहा है कि '16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों से जुड़े इस मामले में जो बेहद संवेदनशील हैं, इनमें निर्देशित न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। एनसीपीसीआर सूत्रों के हवाले से ये भी कहा गया है कि यौन अपराधों (Sexual Offenses) से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत ऐसे केस की सुनवाई होती है। ऐसे में 'मौन स्वीकृति' बेहद संवेदनशील विषय है।'

POCSO Act के कार्यान्वयन पर भ्रामक तर्क

ख़बरों की मानें तो NCPCR ने एनफोल्ड प्रोएक्टिव हेल्थ ट्रस्ट (Enfold Proactive Health Trust), यूएनएफपीए और यूनिसेफ (UNICEF) की तरफ से संयुक्त रूप से प्रकाशित नीति को भी कठघरे में खड़ा किया है। रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने कहा है कि, इसमें पॉक्सो अधिनियम के कार्यान्वयन पर भ्रामक तर्क दिए गए हैं। लॉ कमीशन ने सहमति की उम्र के मामले में इस रिपोर्ट के हिस्सों को अपनी सिफारिशों में शामिल किया है।

NCPCR की असहमति का क्या है आधार?

विधि आयोग या लॉ कमीशन से 'असहमति' के कारण बताते हुए NCPCR ने कहा, कि 'जिस रिपोर्ट का जिक्र आयोग ने अपनी सिफारिशों में किया है, उसमें कोर्ट के आदेशों की स्टडी और समीक्षा की गई है। कर्नाटक की एनजीओ एनफोल्ड की रिपोर्ट (NGO Enfold Report) आने के बाद एनसीपीसीआर ने कहा है कि, वास्तविक मामलों के अध्ययन के बिना कहा गया है कि पॉक्सो के तहत 25 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जो रोमांटिक संबंध होते हैं, ये सरासर गलत हैं। NCPCR का दावा है कि वास्तविक हकीकत लॉ कमीशन के दावों से अलग है।

किशोरों का यौन शोषण रोकने पर सरकार गंभीर

दरअसल, POCSO Act के तहत 18 वर्ष से कम आयु के किशोर को नाबालिग माना जाता है। उत्पीड़न के ऐसे मामलों में सहमति की आयु पर भ्रम की स्थिति होती है। इस वजह से किशोर और किशोरियों के बीच बने शारीरिक संबंध को यौन शोषण साबित करने में चुनौती पेश आती है। 

कानूनी मामलों में लॉ कमीशन की अहमियत

गौरतलब है कि, दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने 17 वर्षीय युवती से शादी करने वाले एक युवक को जमानत देते हुए कहा था कि, 'पॉक्सो का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है। पॉक्सो के तहत वयस्कों के बीच सहमति से बने संबंध के कारण किसी शख्स को अपराधी नहीं माना जा सकता।' आपको बता दें, हर 3 साल में विधि आयोग का गठन किया जाता है, जो सरकार को कठिन मामलों में सलाह देता है।

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