निजीकरण के खिलाफ 15 लाख बिजली कर्मचारी 8 व 9 जनवरी को करेंगे हड़ताल
नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स (एनसीसीओईईई) ने निर्णय लिया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2018, केंद्र व राज्य स्तर पर चल रही निजीकरण की कार्यवाही के विरोध में एवं पुरानी पेंशन हेतु देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आगामी 8 व 9 जनवरी को दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे।
लखनऊ: नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स (एनसीसीओईईई) ने निर्णय लिया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2018, केंद्र व राज्य स्तर पर चल रही निजीकरण की कार्यवाही के विरोध में एवं पुरानी पेंशन हेतु देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आगामी 8 व 9 जनवरी को दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। हड़ताल के दौरान बिजली कर्मचारी और इंजीनियर कोई काम नहीं करेंगे। हड़ताल का निर्णय देश भर की सभी ट्रेड यूनियनों की संयुक्त बैठक में लिया गया था और इसका नोटिस भी केंद्र सरकार व सभी राज्य सरकारों को भेज दी गया है।
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बिना नोटिस के हड़ताल पर जाने की चेतावनी
एनसीसीओईईई ने यह भी एलान किया है कि यदि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2018 को संसद के शीतकालीन सत्र में पहले पारित कराने की कोशिश हुई तो बिना और कोई नोटिस दिए देश भर के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर उसी समय लाइटनिंग हड़ताल पर चले जाएंगे। एनसीसीओईईई ने कहा है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों के ढाई लाख करोड़ रुपए पहले ही फंसे हुए हैं फिर भी निजी घरानों पर कोई कठोर कार्यवाही करने के बजाय केंद्र सरकार नए बिल के जरिये बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप कर और बड़े घोटाले की तैयारी कर रही है।
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ये यूनियन हड़ताल में होंगी शामिल
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने जानकारी दी कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स की समन्वय समिति में ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस फेडरेशन ऑफ इण्डिया (सीटू), ऑल इन्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस (एटक ), इण्डियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (इन्टक), ऑल इन्डिया पावरमेन्स फेडरेशन तथा राज्यों की अनेक बिजली कर्मचारी यूनियन सम्मिलित हैं।
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'बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट हो जाएंगी'
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के जनविरोधी प्रतिगामी प्राविधानों का एनसीसीओईईई और ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन प्रारंभ से ही विरोध करता रहा है और इस संबंध में केंद्र सरकार को लिखित तौर पर कई बार दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि बिल पारित हो गया तो सब्सिडी और क्रास सब्सिडी तीन साल में समाप्त हो जाएगी जिसका सीधा अर्थ है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी जबकि उद्योगों व व्यावसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी की जाएगी। उन्होंने कहा कि संशोधन के अनुसार हर उपभोक्ता को बिजली लागत का पूरा मूल्य देना होगा जिसके अनुसार बिजली की दरें 10 से 12 रु प्रति यूनिट हो जाएंगी।
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बिल के अनुसार बिजली वितरण और विद्युत् आपूर्ति के लाइसेंस अलग अलग करने तथा एक ही क्षेत्र में कई विद्युत् आपूर्ति कम्पनियां बनाने का प्रावधान है। बिल के अनुसार सरकारी कंपनी को सबको बिजली देने (यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लिगेशन ) की अनिवार्यता होगी जबकि निजी कंपनियों पर ऐसा कोई बंधन नहीं होगा। स्वाभाविक है कि निजी आपूर्ति कम्पनियां मुनाफे वाले बड़े वाणिज्यिक और औद्योगिक घरानों को बिजली आपूर्ति करेंगी जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी निजी नलकूप, गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं और लागत से कम मूल्य पर बिजली टैरिफ के घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने को विवश होगी और घाटा उठाएगी।