Bihar Politics: बिहार में बड़ा असर दिखा सकता है पीके का दलित कार्ड, पहले उपचुनाव में ताकत दिखाने की तैयारी

Bihar Politics: प्रशांत किशोर ने एक मजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह अपने दल की लॉन्चिंग के साथ ही दलित कार्ड चल दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-03 09:17 IST

Prashant Kishor  (photo: social media )

Bihar Politics: बिहार की सियासत में एक और सियासी दल की एंट्री हो गई है। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गांधी जयंती के मौके पर जनसुराज नाम से अपनी पार्टी की लॉन्चिंग कर दी है। प्रशांत किशोर ने कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले मनोज भारती को सौंपी है। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर मनोज भारती मधुबनी जिले के रहने वाले हैं।

प्रशांत किशोर ने एक मजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह अपने दल की लॉन्चिंग के साथ ही दलित कार्ड चल दिया है। बिहार की सियासत में करीब 19 फ़ीसदी से अधिक दलित मतदाताओं की भूमिका काफी अहम मानी जाती है और ऐसे में प्रशांत किशोर का यह दलित कार्ड बड़ा रंग दिखा सकता है। जानकारों का मानना है कि लालू यादव, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बाद अब प्रशांत किशोर के निशाने पर लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान हैं।

उपचुनाव में ताकत दिखाने की तैयारी

प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने 2025 के विधानसभा चुनाव में बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि पार्टी नवंबर में बिहार की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी मैदान में उतरेगी।

दरअसल चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव के जरिए प्रशांत किशोर अपनी पार्टी की चुनावी रणनीति को परखने के साथ ही मतदाताओं का रुझान भी भांपना चाहते हैं। उनका कहना है कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान हम बिहार के अन्य राजनीतिक दलों को यह दिखाएंगे कि चुनाव कैसे लड़ा और जीता जाता है।


गांधी और अंबेडकर को दिया महत्व

प्रशांत किशोर बिहार में पिछले करीब दो वर्ष से अधिक समय से पदयात्रा में जुटे हुए हैं और उन्होंने बिहार के बड़े इलाके को कवर किया है। इस दौरान उन्होंने बिहार के गांव-गांव और गली-गली की खाक छानी है और लोगों के सामने बिहार की असली तस्वीर रखने का प्रयास किया है। अपनी पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने लगातार दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम मतदाताओं का समीकरण साधने की कोशिश की है।

जनसुराज के बैनर और पोस्टर में उन्होंने महात्मा गांधी और चरखा को अहमियत दी है और अपनी पार्टी की लॉन्चिंग भी गांधी जयंती के दिन की है। पार्टी की लॉन्चिंग के मौके पर उन्होंने कहा कि वह चुनाव आयोग से पार्टी के झंडे पर महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को स्थान देने का आग्रह करेंगे।

जानकारों का कहना है कि प्रशांत किशोर चुनाव रणनीतिकार रहे हैं और उन्हें इस बात की बखूबी जानकारी है कि बिहार के विधानसभा चुनाव में दलित मतदाताओं की भूमिका कितनी अहम होगी। इसीलिए वे अंबेडकर के प्रति भी अपना प्रेम दिखा रहे हैं।


दलित मतदाताओं की भूमिका क्यों है अहम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातिगत सर्वे कराया था और इस सर्वे के जरिए बिहार में जातियों की तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है। नीतीश सरकार की ओर से जारी किए गए जातिगत सर्वे के आंकड़े के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा 36.01 फ़ीसदी संख्या अति पिछड़ों की है। राज्य में अन्य जातियों के आंकड़े पर नजर डाली जाए तो 27.12 फ़ीसदी पिछड़े,19.65 फीसदी दलित,15.52 फीसदी सवर्ण और 1.68 फ़ीसदी आदिवासी मतदाता हैं।

इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि पिछड़ों और अति पिछड़ों के साथ ही दलित मतदाताओं की भूमिका भी चुनाव में काफी अहम होगी। दलित बिरादरी के मनोज भारती को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर प्रशांत किशोर ने दलित मतदाताओं का समीकरण साधने का प्रयास किया है। पार्टी की लॉन्चिंग के मौके पर उन्होंने मनोज भारती की काबिलियत और योग्यता का जमकर गुणगान किया और यह सबकुछ अनायास नहीं था।


चिराग पासवान को झटका देने की तैयारी

यदि बिहार की सियासत में दलित मतदाताओं के रुख को देखा जाए तो तो राज्य में दलित मतदाताओं के बड़े तबके का वोट रामविलास पासवान और उनके परिवार से जुड़ा रहा है। रामविलास पासवान के निधन के बाद अब चिराग पासवान दलित मतदाताओं के दम पर अपनी सियासत मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी लोजपा ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी पर जीत हासिल कर ली थी।

लोकसभा चुनाव में लोजपा रामविलास को 6.47 फ़ीसदी वोट मिला था। बिहार में 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग की पुरानी पार्टी लोजपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था और उस चुनाव में भी पार्टी को राज्य की 135 विधानसभा सीटों पर 5.66 फ़ीसदी वोट मिला था।

इस तरह चिराग पासवान के साथ बिहार में करीब छह फीसदी मतदाताओं का समर्थन माना जाता है। ऐसे में प्रशांत किशोर का दलित कार्ड बड़ा रंग दिखा सकता है। यदि उनकी रणनीति कारगर साबित हुई तो चिराग पासवान को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है।


मनोज भारती की ताजपोशी दिखा सकती है असर

जनसुराज पार्टी की लॉन्चिंग के मौके पर प्रशांत किशोर ने मनोज भारती का गुणगान अनायास नहीं किया है। इसके पीछे उनकी सोची समझी चाल मानी जा रही है। प्रशांत किशोर ने मनोज भारती को अपने से ज्यादा काबिल बताया। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर आईआईटी नहीं गए जबकि मनोज भारती ने आईआईटी से पढ़ाई की है। प्रशांत किशोर आईएफएस नहीं बने जबकि मनोज भारती ने आईएफएस बनकर दुनिया के कई देशों में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है।

प्रशांत किशोर ने पहले ही ऐलान कर रखा था कि जब उनकी पार्टी के अध्यक्ष का नाम सामने आएगा तो सभी लोग चौंक जाएंगे। जब उनकी पार्टी के अध्यक्ष की दूसरी पार्टी के अध्यक्षों से तुलना होगी तो पार्टी के लोगों को काफी गर्व महसूस होगा। पहले से ही इस बात की चर्चा थी कि प्रशांत किशोर किसी दलित को पार्टी का अध्यक्ष बना सकते हैं और प्रशांत किशोर ने दलित कार्ड चलते हुए बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है।



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