जानिए अब तक किन-किन राज्यों में लग चुका है राष्ट्रपति शासन?
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति के पास राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भेज दी थी, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर दिया है।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति के पास राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भेज दी थी, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर दिया है।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद महाराष्ट्र में पिछले करीब 20 दिनों से सरकार बनाने को लेकर हो रही उठा-पटक को अब विराम लग गया है।
साल 2014 के बाद से देश के चार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। आखिरी बार जिस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा था, वह जम्मू-कश्मीर था।
ये भी पढ़ें...महाराष्ट्र में सरकार पर सस्पेंस, राष्ट्रपति शासन लगाने की उठी मांग
जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में पिछले साल जून में बीजेपी ने पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
राष्ट्रपति शासन के दौरान ही राज्य में आर्टिकल 370 को रद्द कर दिया गया और राज्य से विशेष राज्य का दर्जा भी वापस ले लिया गया।
इससे पहले भी साल 2015 में विधानसभा चुनावों में एक खंडित फैसले के बाद सरकार गठन में विफलता के चलते जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय शासन राज्य में लागू किया गया था।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश साल 2016 में 26 दिनों के राष्ट्रपति शासन का गवाह बना. कांग्रेस के 21 विधायकों ने 11 बीजेपी और दो निर्दलीय विधायकों के साथ हाथ मिलाया, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई। हालांकि, मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने अपने फैसले में कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया था।
उत्तराखंड
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड ने भी साल 2016 में दो बार राष्ट्रपति शासन देखा. पहले 25 दिन और बाद में 19 दिनों के लिए। पहले कांग्रेस में फूट पड़ने के बाद और दूसरी बार मई में एक बार फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में साल 2014 में 33 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन रहा.था। 2014 में चुनाव होने से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में 15 साल के कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के टूटने के बाद इस्तीफा दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति शासन लगा।
यहां हम आपको यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन किन परिस्थितयों में लगता है और इसके क्या प्रावधान होते हैं।
महाराष्ट्र की बात करें तो यहां राष्ट्रपति शासन इसलिए लगाया गया है क्योंकि चुनावों में किसी भी दल या गठबंधन के पास बहुमत नहीं है।
ये भी पढ़ें...जानें क्यों लगता है राष्ट्रपति शासन, क्या कहता है संविधान?
राष्ट्रपति शासन की संवैधानिक व्यवस्था
राष्ट्रपति शासन से जुड़े प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 356 में दिए गए हैं। आर्टिकल 356 के मुताबिक राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं यदि वे इस बात से संतुष्ट हों कि राज्य सरकार संविधान के विभिन्न प्रावधानों के मुताबिक काम नहीं कर रही है।
ऐसा जरूरी नहीं है कि राष्ट्रपति उस राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही यह फैसला लें। यह अनुच्छेद एक साधन है जो केंद्र सरकार को किसी नागरिक अशांति जैसे कि दंगे जिनसे निपटने में राज्य सरकार विफल रही हो की दशा में किसी राज्य सरकार पर अपना अधिकार स्थापित करने में सक्षम बनाता है।
संविधान में इस बात का भी उल्लेख है कि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के दो महीनों के अंदर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसका अनुमोदन किया जाना जरूरी है।
यदि इस बीच लोकसभा भंग हो जाती है तो इसका राज्यसभा द्वारा अनुमोदन किए जाने के बाद नई लोकसभा द्वारा अपने गठन के एक महीने के भीतर अनुमोदन किया जाना जरूरी है।
बहुमत के अभाव में राष्ट्रपति शासन
जब किसी सदन में किसी पार्टी या गठबंधन के पास स्पष्ट बहुमत ना हो । राज्यपाल सदन को 6 महीने की अवधि के लिए 'निलंबित अवस्था' में रख सकते हैं 6 महीने के बाद, यदि फिर कोई स्पष्ट बहुमत प्राप्त ना हो तो उस दशा में पुन: चुनाव आयोजित किए जाते हैं।
राष्ट्रपति शासन की अवधि
यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन कर दिया जाता है तो राष्ट्रपति शासन 6 माह तक चलता रहेगा। इस प्रकार 6-6 माह कर इसे 3 वर्ष तक आगे बढ़ाया जा सकता है।
क्यों कहते हैं राष्ट्रपति शासन
इसे राष्ट्रपति शासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इसके द्वारा राज्य का नियंत्रण एक निर्वाचित मुख्यमंत्री की जगह सीधे भारत के राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है। लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से राज्य के राज्यपाल को केंद्रीय सरकार द्वारा कार्यकारी अधिकार प्रदान किए जाते हैं।
प्रशासन में मदद करने के लिए राज्यपाल सलाहकारों की नियुक्ति करता है, जो आम तौर पर सेवानिवृत्त सिविल सेवक होते हैं। आमतौर पर इस स्थिति में राज्य में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की नीतियों का अनुसरण होता है।
क्या होते हैं बदलाव
- राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रीपरिषद् को भंग कर देते हैं।
- राष्ट्रपति, राज्य सरकार के कार्य अपने हाथ में ले लेते हैं और उसे राज्यपाल और अन्य कार्यकारी अधिकारियों की शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं।
- राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति के नाम पर राज्य सचिव की सहायता से अथवा राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी सलाहकार की सहायता से राज्य का शासन चलाता है।
यही कारण है कि अनुच्छेद 356 के अंतर्गत की गई घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है।
- राष्ट्रपति, घोषणा कर सकता है कि राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग संसद करेगी।
- संसद ही राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारित करती है।
- संसद को यह अधिकार है कि वह राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति राष्ट्रपति अथवा उसके किसी नामित अधिकारी को दे सकती है।
- जब संसद नहीं चल रही हो तो राष्ट्रपति, 'अनुच्छेद 356 शासित राज्य' के लिए कोई अध्यादेश जारी कर सकता है।
ये भी पढ़ें...महाराष्ट्र में सरकार पर सस्पेंस, राष्ट्रपति शासन लगाने की उठी मांग