स्टैच्यू ऑफ पीस का अनावरण कर मोदी बोले, आत्म निर्भर भारत का मंत्रदान करे संत समाज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले कि गुजरात की धरती ने दो वल्लभ दिए। राजनीतिक क्षेत्र में सरदार वल्लभभाई पटेल और आध्यात्मिक क्षेत्र में आचार्य विजय वल्लभ सूरिश्चर जी महाराज। दोनों ने देश की एकता व अखंडता के लिए कार्य किया है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन भिक्षु आचार्य विजय वल्लभ सूरिश्वर की 151वीं जयंती समारोह में गुरु वल्लभ की अष्टधातु प्रतिमा का लोकार्पण किया। आचार्य श्री की इस प्रतिमा को शांति प्रतिमा का नाम दिया गया है। समारोह का आयोजन राजस्थान के पाली जिले में किया गया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि वोकल फॉर लोकल का मंत्र जब संत समाज की ओर से देशवासियों को दिया जाएगा तभी आत्म निर्भर भारत का संकल्प सिद्ध होगा।
मोदी बोले मंत्रदान करे संत समाज
गुजरात की धरती ने दो वल्लभ दिए। राजनीतिक क्षेत्र में सरदार वल्लभभाई पटेल और आध्यात्मिक क्षेत्र में आचार्य विजय वल्लभ सूरिश्चर जी महाराज। दोनों ने देश की एकता व अखंडता के लिए कार्य किया है।
मुझे खुशी है कि सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी व आचार्य की स्टैच्यू ऑफ पीस के अनावरण का सौभागय प्राप्त हुआ। दुनिया आज शांति के लिए भारत की ओर देख रही है। मुझे विश्वास है कि शांति, अहिंसा व सेवा के लिए यह स्टैच्यू ऑफ पीस प्रेरक बनेगा।
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वह धर्म को धाराओं में बांधकर नहीं देखते थे उनके लिए सभी वर्ग व समाज के लिए अपने थे। वह दार्शनिक होते हुए सूरदास, मीरा की तरह भक्त भी थे और आधुनिक भारत के द्रष्टा भी थे। उनका संदेश हमारी नई पीढ़ी तक पहुंचना आवश्यक है। जब भी भारत को आंतरिक प्रकाश की जरूरत हुई है। संत परंपरा से कोई न कोई संत का उदय हुआ है जिसने समाज को दिशा दी है। आचार्य वल्लभ जी भी ऐसे ही संत थे।
जल्द साकार होगा आत्म निर्भर भारत का स्वप्न
देश की अस्मिता को जगाने का अविरल प्रयत्न किया। आजादी के आंदोलन में जन जागरण किया। आजादी के आंदोलन की पीठिका भक्ति आंदोलन से हुई है। जन -जन को भक्ति आंदोलन के जरिये संतो-ऋषियों ने आजादी के लिए लोगों को तैयार किया। उसी परंपरा में आचार्य वल्लभ भी थे। आत्म निर्भर भारत की पीठिका तैयार करने का काम भी संतो, महात्माओं का है। वोकल फॉर लोकल की जितनी ज्यादा बात हमारे संतजन करेंगे उतनी ही तेजी से आत्म निर्भर भारत का स्वप्न साकार होगा।
जैन भिक्षु आचार्य विजय वल्लभ सूरिश्वर जी महाराज की 151 वीं जयंती समारोह में प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफे्रसिंग के जरिये हिस्सा लिया। आयोजन समिति ने बताया कि यह विश्व की इकलौती ऐसी अष्टधातु प्रतिमा है जो 151 इंच यानी साढ़े 12 फुट ऊंची है। इस प्रतिमा के निर्माण में तांबे के साथ आठ धातुओं को मिलाया गया है ।
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इस प्रतिमा की स्थापना राजस्थान के पाली में स्थित साधना केंद्र, जेटपुरा के प्रांगण में किया गया। आयोजन समिति की ओर बताया गया कि जैन संत आचार्य विजय वल्लभ सूरिश्वर जी महाराज का जन्म 1870 में हुआ और 1954 तक उन्होंने मनुष्य मात्र के हित के लिए जीवन जिया।
भगवान महावीर के संदेश को फैलाने के लिए निस्वार्थ और समर्पित रूप से काम करते हुए जीवन का नेतृत्व किया। उन्होंने जनता के कल्याण, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए भी अथक परिश्रम किया, उन्होंने प्रेरक साहित्य (कविता, निबंध, भक्ति भजन और स्तवन) लिखे और स्वतंत्रता आंदोलन और स्वदेशी के कारण, वक्तव्य को सक्रिय समर्थन दिया। उनकी प्रेरणा से, कॉलेजों, स्कूलों और अध्ययन केंद्रों सहित 50 से अधिक शैक्षणिक संस्थान कई राज्यों में परिचालन कर रहे हैं।
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