Prophet Muhammad Controversy: जानिए किन कारणों से खाड़ी देशों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता भारत
Prophet Muhammad Controversy: देश की राजनीति में मोदी युग आने के बाद से खाड़ी देशों और भारत के बीच संबंध काफी प्रगाढ़ हुए हैं। अधिकांश मुस्लिम अरब देशों के साथ भारत ने अपने संबंधों को नई ऊंचाईयां दी है।
Prophet Muhammad Controversy: देश की राजनीति में मोदी युग आने के बाद से खाड़ी देशों (Gulf countries) और भारत के बीच संबंध काफी प्रगाढ़ हुए हैं। अधिकांश मुस्लिम अरब देशों के साथ भारत ने अपने संबंधों को नई ऊंचाईयां दी है। इन देशों के साथ भारत के राजनीतिक, कूटनीतिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते मजबूत हुए हैं। जम्मू – कश्मीर से धारा 370 का खात्मा और राम मंदिर के मुद्दे पर खाड़ी देशों के रूख ने भारत के साथ मजबूत हो रहे रिश्ते को बयां किया था, जिसे लेकर पाकिस्तान आज भी परेशान है।
लेकिन हालिया घटनाक्रम ने इन देशों के साथ भारत के संबंध को प्रभावित किया है। भाजपा की पूर्व प्रवक्ता द्वारा पैगंबर मोहम्मद के ऊपर की गई विवादित टिप्पणी पर अधिकांश अरब देश बौखलाए हुए हैं। इनमें सऊदी अरब और यूएई भी शामिल है। हालांकि इन्होंने उतनी सख्त भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है, जितना कि अन्य अरब मुल्कों ने किया है। भारत इन देशों से उलझने के बजाय चीजों को वापस पटरी पर लाने की कवायद में जुटा है। दरअसल ऐसे कई प्रमुख कारण हैं, जिसे लेकर भारत खाड़ी देशों की नाराजगी मोल नहीं ले सकता। तो आइए एक नजर इन प्रमुख कारणों पर डालते हैं –
खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय
प्रत्येक साल भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) से बड़ी संख्या में लोग खाड़ी देशों में काम की तलाश में पहुंचते हैं। इन भारतीयों की तादाद भी अच्छी खासी होती है। आंकड़ों के मुताबिक, खाड़ी के 9 देशों में 90 लाख भारतीय रहते हैं। कई खाड़ी देशों में तो उनकी अपनी आबादी से अधिक वहां रह रहे भारतीयों की संख्या है। रिपोर्ट के मुताबिक, खाड़ी में देशों में सबसे अधिक यूएई (UAE) में 35 लाख और सऊदी अरब में 30 लाख भारतीय रहते हैं। इसके अलावा खाड़ी के अन्य धनी देशों जैसे कतर, कुवैत और बहरीन जैसे देशों में भारतीय लोगों के कई बड़े रिटेल स्टोर और रेस्टोरेंट भी हैं। नूपुर शर्मा (Nuper Sharma) के बयान के बाद से इन देशों में भारतीय और भारतीय उत्पादों के खिलाफ मुहिम शुरू हो गई थी। ऐसे में अगर स्थिति और खराब होती है तो इसका खामियाजा वहां रह रहे लाखों लोगों को भुगतना पड़ सकता है।
खाड़ी देशों से आने वाले पैसे
भारत में विदेशों से आने वाले पैसों में खाड़ी देशों की भागीदारी सबसे अधिक है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में यानि कोरोना से ठीक पहले खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीयों ने 6.38 लाख करोड़ से अधिक रूपया भारत भेजा था। इनमें से 53% पैसा सिर्फ 5 गल्फ देशों- UAE, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान से भारत आया। रिजर्व बैंक के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे अधिक इन पैसों का हिस्सा तकरीबन 59 प्रतिशत पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में आता है। यही कारण है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द खाड़ी देशों की नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रही है।
खाड़ी देशों के साथ व्यापार
खाड़ी के कुछ धनी मुस्लिम देश भारत के बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक. यूएई, सऊदी उरब और कतर भारत के शीर्ष ट्रेडिंग पार्टनर हैं। 2020-21 में भारत और यूएई के बीच 5.66 लाख करोड़ रूपये का व्यापार हुआ था। यही वजह है कि यूएई (UAE) को अमेरिका (America) के बाद भारत के लिए दूसरा ट्रेड डेस्टिनेशन माना जाता है। वहीं सुन्नी मुस्लिम देशों का लीडर माने जाने वाला सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
तेल और गैस पर निर्भरता
दुनिया में खाड़ी के देश अपनी विशाल तेल और गैस के भंडार के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों के बदौलत यूएई, सऊदी अरब, कतर इत्यादि जैसे देश मामूली आकार और बेहर कम जनसंख्या होने के बावजूद दुनिया में अपनी धाक बनाए रखते हैं। दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत भी तेल और गैस के लिए खाड़ी देशों पर काफी निर्भर है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी संसद में बताया था कि भारत अपनी जरूरत का 60 प्रतिशत कच्चा तेल खाड़ी देशों से आयात करता है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध
अरब देशों के साथ भारत के संबंध काफी पुराने रहे हैं। 2000 ई पूर्व से ही खाड़ी के दिल्मन सभ्यता के साथ भारत का व्यापारिक जुड़ाव रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान भी खाड़ी देशों के साथ संबंधों के साक्ष्य हैं। इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी बसती है। हर साल भारत से लाखों की संख्या में लोग सऊदी अरब स्थित मक्का मदीना जाते हैं। यही वजह है कि भू राजनीतिक और व्यापार के अलावा सांस्कृतिक कारणों से भारत के खाड़ी देशों के साथ संबंध बेहतर हैं।
इन्हीं कारणों से भारत जल्द से जल्द खाड़ी देशों की नाराजगी दूर कर उसके साथ संबंधों में वहीं मिठास वापस लाना चाहता है, जो इस विवाद से पहले था। अंतराष्ट्रीय जानकार मानते भी हैं कि भारत इस दिशा में बिल्कुल सही बढ़ रहा है और वह जल्द अपने लक्ष्य को हासिल कर लेगा।