सरकारी बैकों ने आपकी जेब पर डाला डांका, साढ़े 3 साल में वसूले 10 हजार करोड़

सरकारी बैंकों ने पिछले साढ़े 3 साल में 10 हजार करोड़ रुपये की रकम जनता से वसूली है। यह रकम बचत खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने और मुफ्त नकद निकालने की मासिक सीमा से अधिक बार एटीएम से विद्ड्रॉल पर लगने वाले चार्ज के जरिए बैंकों ने बटोरा है। केंद्र सरकार ने यह संसद में दिए गए डेटा में दी है।

Update: 2018-12-27 12:19 GMT

नई दिल्ली: सरकारी बैंकों ने पिछले साढ़े 3 साल में 10 हजार करोड़ रुपये की रकम जनता से वसूली है। यह रकम बचत खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने और मुफ्त नकद निकालने की मासिक सीमा से अधिक बार एटीएम से विद्ड्रॉल पर लगने वाले चार्ज के जरिए बैंकों ने बटोरा है। केंद्र सरकार ने यह संसद में दिए गए डेटा में दी है।

सबसे ज्यादा रकम SBI ने वसूले

न्यूनतम राशि बरकरार नहीं करने पर बैंको ने अपने ग्राहकों से 6,246 करोड़ रुपए कमाए, वहीं एटीएम से मुफ्त नकद निकालने की मासिल सीमा से अधिक बार एटीएम से पैसे निकालने पर बैंकों ने 4145 रुपए इकट्ठे किए। इसमें भारतीय स्टेट बैंक आॅफ इंडिया(एसबीआई) सबसे आगे रहा।

सरकार ने संसद में दी जानकारी

संसद में सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि साल 2012 तक मंथली एवरेज बैलेंस पर एसबीआई चार्ज वसूल कर रहा था, लेकिन 31 मार्च 2016 को उसने इस चार्ज को बंद कर दिया। बाद में एसबीआई ने भी 1 अप्रैल 2017 से अतिरिक्त चार्ज वसूलना शुरू कर दिया। सरकार ने 1 अक्टूबर 2017 से मिनिमम बैलेंस में रखी जाने वाली रकम को कम कर दिया है। प्राइवेट बैंक अपने बोर्ड के नियमों के अनुसार यह चार्ज वसूल रहे हैं।

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एसबीआई ने जून 2017 में न्यूनतम अनिवार्य राशि को बढ़ाकर 5 हजार रुपए कर दिया था, लेकिन विरोध के बाद उसने इसे चार स्लैब में बांट दिया जिसे बाद में तीन स्लैब में कर दिया।

सरकारी बैंकों से निजी बैंक अधिक रकम वसूलते हैं

अलग-अलग बैंकों में मेट्रो शहर, अर्धशहरी और ग्रामीण इलाके आधार पर मासिक औसत न्यूनतम अनिवार्य राशि अलग-अलग है और यदि ग्राहक इसे न रखे तो आपसे जीएसटी के साथ पेनाल्टी वसूली जाती है जो अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग तय की गई है। निजी बैंक न्यूनतम राशि बरकरार नहीं रखने पर सरकारी बैंकों की तुलना में ग्राहकों से कहीं अधिक रकम वसूलते हैं।

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हालांकि संसद में प्राइवेट बैंकों के आकड़ों के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है। इससे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि प्राइवेट बैंकों का आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा हो सकता है।

इन खातों में मिनिमम बैलेंस रखने की कोई जरूरत नहीं

वित्त मंत्रालय का कहना है कि आरबीआई ने बैंकों को उनके बोर्ड के मुताबिक अलग-अलग सेवाओं पर चार्ज करने की अनुमति दे रखी है। हालांकि बैंको को निर्देश भी दिए गए हैं कि उनके चार्ज उचित होने चाहिए।

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बेसिक सेविंग बैंक अकाउंट्स और जन-धन बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस रखने की कोई जरूरत नहीं होती है। फिर भी महज साढ़े तील सालों में सरकारी बैंक 10 हजार करोड़ रुपये वसूल चुके हैं।

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