RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंदी को लेकर दिया ये बड़ा बयान कहा...  

राजन ने कहा है कि भारत को इससे भी तेज ग्रोथ की जरूरत है, लेकिन यह छोटे-छोटे कदमों से नहीं आएगा। इसके लिए नए जेनरेशन के रिफॉर्म्स की जरूरत है। अर्थव्यवस्था को सुधारने की क्षमता के बारे में कहा कि अच्छी बात ये है कि सरकार में राजनीतिक क्षमता है और इस तरह के रिफॉर्म्स लाने की ताकत भी है।

Update: 2019-10-31 14:37 GMT

नई दिल्ली: भारत में सुस्त अर्थव्यवस्था को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने फेड रिजर्व द्वारा अगले बैठक में नीतिगत ब्याज दरों को​ स्थिर रखने के संकेत को सही ठहराया है। उन्होंने गुरुवार को एक चैनल से बातचीत में कहा कि आर्थिक ग्रोथ के लिए भारत में नए जेनरेशन के रिफॉर्म्स की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकिंग सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है। भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश में ठोस आर्थिक सुस्ती देखने को मिली है।

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नए जेनरेशन के रिफॉर्म्स की जरूरत है

राजन ने कहा है कि भारत को इससे भी तेज ग्रोथ की जरूरत है, लेकिन यह छोटे-छोटे कदमों से नहीं आएगा। इसके लिए नए जेनरेशन के रिफॉर्म्स की जरूरत है। अर्थव्यवस्था को सुधारने की क्षमता के बारे में कहा कि अच्छी बात ये है कि सरकार में राजनीतिक क्षमता है और इस तरह के रिफॉर्म्स लाने की ताकत भी है। हालांकि, खराब बात यह भी है कि सरकार ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।

उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो सरकार ने सिस्टम में सफाई शुरू किया था जो कि अब तक चल रहा है। इसे तेजी से पूरा करने की जरूरत है। रिकैपिटलाइजेशन हुआ है, लेकिन अब गैर-बैंकिंग वित्तीय सेक्टर में भी इसकी जरूरत है। अगर आपको तेज ग्रोथ चाहिए तो वित्तीय सिस्टम को दुरुस्त करना ही होगा।

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ग्लोबल ट्रेड वॉर की मार झेल रहे अमेरिका

बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इस साल लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती किया है, ताकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी लाया जा सके। ग्लोबल ट्रेड वॉर की मार झेल रहे अमेरिका को लेकर फेड ने अगली बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का संकेत दिया है।

इस पर राजन ने कहा कि अब लगता है कि उन्होंने ​मंदी से बचने के लिए पर्याप्त कदम उठा लिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि वो अब स्थिति को परख रहे हैं। ऐसे में मौजूदा समय में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करना ही बेहतर होगा।

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फेडरल रिजर्व पर राजनीतिक दबाव का असर पड़ा है

जब उनसे पूछा गया कि क्या फेडरल रिजर्व पर राजनीतिक दबाव का असर पड़ा है तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि सीधे तौर पर उनपर कोई प्रभाव पड़ा है। लेकिन, मैं ये नहीं मान सकता कि उनके दिमाग में ऐसी कोई बात नहीं होगी। जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, उसे देखकर नहीं लगता कि वे कोई ऐसा कदम उठाएंगे जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़े।

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