Rahul Gandhi Birthday: राहुल हुए 54 के, राजनीतिक यात्रा में देखे कई रंग और जबर्दस्त बदलाव

Rahul Gandhi Birthday: राहुल गांधी आज 54 साल के हो गए। इनका राजनीतिक सफर चुनौतियों से भरा रहा। उन्हें इस क्रम में संभवतः सबसे ज्यादा उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-06-19 09:27 GMT

Rahul Gandhi Birthday (Pic: Newstrack)

Rahul Gandhi Birthday: नए जमाने की कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख स्तम्भ, राहुल गांधी 54 वर्ष के हो गए हैं। भारत के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में 19 जून 1970 को जन्मे राहुल का रास्ता स्वाभाविक रूप से राजनीति के लिए ही बना था। पिता राजीव गांधी की हत्या, उसके बाद मची राजनीतिक उथलपुथल और मां सोनिया की इटालियन पृष्ठभूमि के चलते राहुल की राजनीतिक ग्रूमिंग एक असामान्य दौर में हुई।

राहुल गांधी का राजनीतिक सफर चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने राजनीति में पैर जमाने की कोशिशें कीं लेकिन उन्हें इस क्रम में संभवतः सबसे ज्यादा उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा। उनके लिए अपमानजनक उपनाम "पप्पू" का इस्तेमाल किया गया जिसके जरिये उनके कई आलोचक उनकी क्षमताओं को कम आंकने के लिए करते हैं।


2004 से शुरुआत

राहुल गांधी ने 2004 में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया और अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला चुनाव जीता। उनके प्रवेश को गांधी परिवार के इतिहास की निरंतरता के रूप में देखा गया, लेकिन इसके बावजूद, राहुल को लगातार उनकी परिपक्वता व मंशा के संदेह, और आलोचना का सामना करना पड़ा। आलोचकों ने अक्सर राहुल की नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक समझदारी पर सवाल उठाए, उन्हें अनुभवहीन, नासमझ और रोजमर्रा की वास्तविकता से दूर के व्यक्ति के रूप में चित्रित किया। यह धारणा "पप्पू" शब्द में समाहित थी, जिसका मतलब है एक बेवकूफ, भोला या नासमझ व्यक्ति।

कोई इग्नोर न कर सका

सार्वजनिक मंचों, बयानों और चर्चाओं में राहुल को उनके प्रतिद्वंदियों और विरोधियों द्वारा एक नासमझ और ना-गंभीर व्यक्ति के रूप में प्रोजेक्ट किया गया लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि उन्हें पप्पू बताने वालों ने राहुल के एक एक बयान, एक एक क्रियाकलाप और एक एक भाषण को सुना और उसका जवाब दिया, भले ही उपहास के जरिए। लेकिन राहुल को कभी कोई इग्नोर नहीं कर सका।


पार्टी अध्यक्ष तक रहे

इन बाधाओं के बावजूद राहुल गांधी ने दृढ़ता से काम किया और 2013 से कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष और फिर 2017 से 2019 तक अध्यक्ष पद पर रहे। अपने कार्यकाल के दौरान राहुल ने पार्टी की आंतरिक चिंताओं को दूर करके और नए नेताओं का समर्थन करके संगठन को फिर से खड़ा करने का काम किया। भले ही लकांग्रेस को गंभीर चुनावी असफलताओं का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से 2014 और 2019 के आम चुनावों में, लेकिन पार्टी और राहुल बने जरूर रहे।


भारत जोड़ो यात्रा

चुनावी पराजयों के जवाब में और अपनी राजनीतिक इमेज को फिर से स्थापित करने के लिए राहुल गांधी ने 2022 में भारत जोड़ो यात्रा शुरू की। इस देशव्यापी मार्च का उद्देश्य सीधे सीधे लोगों से जुड़ना था। हाल के दशकों में संभवतः किसी नेता द्वारा ऐसी यात्रा पहली बार निकाली गई थी। यह यात्रा 3,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए कई राज्यों से गुजरी। इसने स्थानीय मुद्दों को संबोधित करती है और जनता से सीधे जुड़ाव पैदा किया।

एक नई शुरुआत

भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इसने उन्हें सभी क्षेत्रों के लोगों से जुड़ने में सक्षम बनाया। यात्रा के क्रम में किसानों, मजदूरों, छात्रों और समाज के अन्य वर्गों के साथ राहुल की बैठकें हुईं। इस आउटरीच ने राहुल गांधी की छवि को "पप्पू" से निकाल कर अधिक गंभीर और दृढ़ राजनीतिज्ञ में बदलने में मदद की। यात्रा ने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलने और जमीनी स्तर पर बातचीत करने में मदद की। इस यात्रा ने एक अलग शख्सियत को दिखाया है। राहुल की पिछले लोकसभा चुनाव में दिखाई गई परिपक्वता और सफलता की अलग तस्वीर रही है।

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