अनिल शर्मा
मैंने महात्मा गांधी की और विनोवा भावे की यात्राओं के बारे में सुना है। बाबा आम्टे, अन्ना हजारे, नर्मदा बचाओ यात्रा मेधा पाटेकर, एकता परिषद की भूमि अधिकार यात्राए जलपुरुष राजेंद्र सिंह की नदी बचाओ यात्राएं, योगेंद्र यादव की हल जल यात्रा को देखा है। उन सभी यात्राओं का नियोजन स्थानीय लोग व सामाजिक संगठन करते रहे है।
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यात्रा दल अक्सर किसी मंदिर परिसर, स्कूल परिसर, धर्मशाला में पड़ाव डालते रहे है। लेकिन सदगुरु जग्गी वासुदेव ने पिछले तीन सितम्बर 2017 से कोयम्बटूर से रैली फार रिवर की जो यात्रा शुरु की है। वो 2 अक्तूबर 2017 को दिल्ली में समाप्त होगी। रैली का नेतृत्व जग्गी बाबा कर रहे हैं।
वे स्वयं मर्सिडीज बेंच भी चला रहे है। जो आधुनिक सुविधाओं से लैस है। लेकिन उनके साथ इस यात्रा में लगभग एक दर्जन लग्जरी गाडियां भी चल रही है। इन गाडियों में ओशो (आचार्य रजनीश) की तर्ज पर इलीट क्लास की महिलाएं पुरुष युवक युवतियां भी बड़ी संख्या में चल रही है।
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विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में जहां इस यात्रा ने पड़ाव किया। वह पांच सितारा होटल है। इतना ही इस रैली से जुड़े इलीट क्लास के लोग आराम से बोतलबंद पानी भी पी रहे हैं। आज सुबह स्थानीय सिद्धार्थ कालेज में प्रदेश सरकार की सभा का आयोजन किया गया।
इस दौरान सदगुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि नदियों के पुर्नजीवन के लिए उन्होंने जो देश व्यापी यात्रा शुरु की है। उसमें वे स्वयं आठ घंटे रोजाना गाड़ी चलाते है। 36 साल पहले जो नदियों की स्थिति थी। उससे आज ज्यादा खराब स्थिति हो गई है। इसलिए नदियों के पुर्नजीवन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक गांव में कम से कम एक एक एकड़ जमीन में वे फलदार पौधे लगाना चाहते है। ताकि बच्चे अपने हाथ से फल तोड़कर खा सके। जिससे स्वास्थ्य ठीक रहे। वे अन्य देशों के मुकाबले हमारे देश के बच्चों का स्वास्थ्य खराब है।
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उन्होंने कहा कि प्रत्येक गांव में एक तालाब होना चाहिए। जिसमें लोग मछली पाल सके और ग्रामीण मछली का शिकार कर उसे खा सके। लेकिन सदगुरु ने यह नहीं बताया कि नदियों के पुर्नजीवन का कार्य कैसे होगा। क्योंकि सदगुरु ने नदी पुर्नजीवन का यह कार्य अभी नया नया शुरू किया है।
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यह सही है कि सदगुरु की आध्यात्म के क्षेत्र में गहरी पैठ है और उनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में बताई जाती है। सदगुरु ने नदियों के पुर्नजीवन के लिए चालीस करोड़ लोगों से मिस कॉल लेने का लक्ष्य रखा है। उसके लिए उन्होंने एक टोल फ्री नंबर 8000980009 पर मिस कॉल देने की अपील की है। अब यह मिस काल किस तरह नदियों को पुर्नजीवित करेगी यह कहना तो मुश्किल है। यहां यह हो सकता है कि यह चालीस करोड़ लोगों की मिस कॉल आगामी लोकसभा चुनाव में उनके काम आ जाए जो सदगुरु जग्गी को इस रिवर रिवाइवल रैली के लिए हर तरह से सहयोग दे रहे हैं।
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आज विजयवाड़ा में जब सभा के दौरान जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने मंच से यह कहा कि वे नदियों के पुर्नजीवन के लिए तो जग्गी बाबा के साथ है लेकिन वे नदी गठजोड़ के पूरी तरह खिलाफ है। इस पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू ने सफाई देते हुए कहा कि नदी गठजोड़ अस्थाई है। जबकि नदी को पुर्नजीवित करने का काम स्थाई है।
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यहां गौरतलब बात यह है कि नदी पुर्नजीवित करने के क्षेत्र में जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने नदियों के पुर्नजीवन का काम वर्ष 1985 से राजस्थान से शुरू किया था। उन्होंने राजस्थान की पांच मरी हुई नदियों रुपारेल, जहाजवाली, सरसा, भगानी, अरवरी को पुर्नजीवित किया था। जिसके चलते उन्हे वर्ष 2001 रमन मैगसेसे तथा 2015 में स्टाकहोम का वाटर नोबेल पुरस्कार मिला था। दूसरी तरफ सदगुरु जग्गी वासुदेव का नदियों के पुर्नजीवन के कार्य का अनुभव लगभग शून्य है। ऐसी स्थिति में नदी रिवाइवल का काम कितना सार्थक होगा। यह समय बताएगा।
लेखक स्वतंत्र पत्रकार है।