आरजी कर मर्डर केस: जानिए कब क्या हुआ
RG Kar Rape-Murder Case: इस कांड पर गुस्सा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में बदल गया। विरोध प्रदर्शन सिर्फ़ कोलकाता में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भड़क उठे।;
RG Kar Rape-Murder Case: यह एक ऐसा अपराध था जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। अगस्त की एक सुबह, कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर का शव मिला। छह महीने से भी अधिक समय बाद, अब कोलकाता के सियालदह में सत्र न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है।
अब तक की कहानी
- 9 अगस्त, 2024: 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर का शव अस्पताल की चौथी मंजिल पर सेमिनार हॉल में मिला था। उसके शरीर पर 16 बाहरी और नौ आंतरिक चोटें थीं। बाद में पोस्टमॉर्टम में यौन उत्पीड़न के बाद हाथ से गला घोंटने से मौत की पुष्टि हुई। 28 वर्षीय ट्रैफिक पुलिस स्वयंसेवक संजय रॉय को अगले दिन यानी 10 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार किया गया।
- इस कांड पर गुस्सा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में बदल गया। विरोध प्रदर्शन सिर्फ़ कोलकाता में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भड़क उठे। डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपने सहयोगी के लिए न्याय और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा बढ़ाने की मांग करते हुए एक आक्रामक अभियान चलाया।
- शव मिलने के ठीक दो दिन बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने अस्पताल के अधीक्षक का तबादला कर दिया। लेकिन यह प्रशासनिक फेरबदल बढ़ते आक्रोश को शांत करने के लिए काफ़ी नहीं था। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष ने 12 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
- 13 अगस्त को पीड़िता के माता-पिता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने कोलकाता पुलिस पर अविश्वास का हवाला देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की। उच्च न्यायालय ने इस पर सहमति जताते हुए मामले को सीबीआई को सौंप दिया।
- विरोध बढ़ता गया। डॉक्टरों ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया। पूरे भारत में अस्पतालों में सेवाएं बाधित रहीं।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पीड़िता के शरीर पर संघर्ष के स्पष्ट निशान देखते हुए हस्तक्षेप किया। 14 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने औपचारिक रूप से संजय रॉय को सीबीआई को सौंप दिया।
- 15 अगस्त को, जब देश अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, विरोध का एक और रूप सामने आया: महिलाओं और कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित 'रिक्लेम द नाइट' रैलियां निकाली गईं जिसमें महिलाओं के लिए न्याय और सुरक्षा की मांग की गई थी।
- उधर, आरजी कर मेडिकल कॉलेज में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। भीड़ ने अस्पताल और अपराध स्थल पर तोड़फोड़ की। तनाव तब और बढ़ गया जब राष्ट्रीय महिला आयोग ने अधिकारियों पर सुरक्षा में चूक का आरोप लगाया और कहा कि अपराध स्थल पर समय से पहले मरम्मत का काम किया गया था।
- 17 अगस्त को आईएमए ने पीड़िता के साथ एकजुटता दिखाते हुए 24 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की।
- 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने खुद हस्तक्षेप करते हुए स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा को संबोधित करने के लिए 10 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया।
- अगस्त महीने के अंत तक, विरोध प्रदर्शन बड़े राजनीतिक आंदोलनों में बदल गए। पश्चिम बंगाल सचिवालय तक मार्च पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में बदल गया, जिसके कारण 28 अगस्त को भाजपा द्वारा राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया।
- सीबीआई ने भारी दबाव में संदीप घोष और अस्पताल से जुड़े कई अन्य लोगों के घरों पर छापेमारी की। सितंबर के मध्य तक एजेंसी ने घोष को सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया। स्थानीय ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को भी एफआईआर दर्ज करने में देरी करने के लिए हिरासत में लिया गया।
- अदालत ने औपचारिक रूप से संजय रॉय पर नवंबर में आरोप दर्ज किए। रॉय पर बलात्कार और हत्या सहित कई आरोप लगे। लेकिन जब सियालदह की अदालत में मुकदमा शुरू हुआ, तो यह स्पष्ट था कि न्याय की राह आसान नहीं थी।
- दिसंबर में सीबीआई के मामले को झटका लगा। सीबीआई द्वारा वैधानिक 90-दिन की अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहने के बाद अदालत ने संदीप घोष और अभिजीत मंडल दोनों को जमानत दे दी।
- पीड़ित के माता-पिता के लिए, यह एक लंबी और दर्दनाक प्रक्रिया में एक और झटका था। उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि जांच आधी-अधूरी थी, और एक नई जांच की मांग की गई।
- सियालदाह कोर्ट में अंतिम सुनवाई 16 जनवरी, 2025 को पूरी हुई और अब फैसला आ गया है। लेकिन ये तय है कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है।